Monday, February 9, 2009

वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. रुक्म त्रिपाठी सम्मानित


कोलकाता में पत्रकारिता में आधी शताब्दी गुजार चुके और अब स्वतंत्र साहित्य सृजन में रत 83 वर्षीय डॉ. रुक्म त्रिपाठी का महानगर की साहित्य,संगीत और कला को समपिर्त संस्थ संचेतना केंद्र मित्र मंदिर ने 25 जनवरी के शाम सम्मान किया। समारोह के अध्यक्ष कवि व हिंदी सेवी डॉ. नगेंद्र चौरसिया ने अंगवस्त्र, मानपत्र देकर सम्मानित किया। समारोह में वक्ताओं ने डॉ. रुक्म के पत्रकार, संपादक, उपन्यासकार और कवि के रूप में कृतित्व व हिंदी की सेवाओं की सराहना की। अब तक आठ उपन्यास, दर्जनों बाल उपन्यास, हजारों व्यंग्य कविताएं, गजल, गीत लिख चुके डॉ.रुक्म ने पत्रकारिता में गुजारी आधी शताब्दी में पत्रकारिता को विकसित होते हुए देखा है। उनके स्तंभों के लेखक आज कई समाचारपत्रों में संपादक हैं। समारोह में बोलते हुए अध्यक्ष डॉ. नगेंद्र चौरिसया ने उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि- उनके बारे में कुछ भी कहना कठिन नहीं बल्कि सरल है। उतना ही सरल है उनका व्यक्तित्व। उनका लेखन ही यह प्रकट कर देता है कि वे कितने बड़े लेखक हैं। डॉ. रुक्म इससे पूर्व लायंस क्लब आफ कोलकाता, राजश्री स्मृति न्यास की ओर से सम्मानित किये जा चुके हैं। महानगर की मनीषिका संस्था ने उनको सारस्वत सम्मान दिया है। समारोह में लेखक-पत्रकार संतन कुमार पांडेय ने डॉ. रुक्म की दीर्घायु की कामना की और कहा कि उनकी 100वीं वर्षगांठ पर भी वे उनका सम्मान करने की कामना करते हैं। इस अवसर पर डॉ. रुक्म त्रिपाठी ने एक सामयिक संदर्भ की गजल पेश की जिसकी उपस्थित श्रोताओं ने करतल ध्वनि से स्वागत किया। समारोह में पुणे से आयी कवयत्री पुष्पा गुजराथी के अलावा नगर के कई कवियों प्रो, श्यामलाल उपाध्याय, प्रो. अगम शर्मा, योगेंद्र शुक्ल 'सुमन' आदि ने कविता पाठ किया।
रिपोर्ट राजेश त्रिपाठी, फोटोः सुधीर उपाध्याय

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