Sunday, January 12, 2014

विवेकानंद जी को सश्रद्ध नमन

मानव सेवा ही प्रभु सेवा उसने दिया ये ज्ञान।
विश्व मंच पर जिसने रखा भारत मां का मान।।
उठो, जागो प्रयास करो मनचाहा तुम पा लो।
संस्कार अपने अपनाओ और विश्व में छा लो।।
व्यथित रहा जो लख पीडि़त जन का क्रंदन।
उन महान विवेकानंद जी को सश्रद्ध नमन।।
आज जयंती में उनकी सब लें यह संकल्प।
सेवा ही परम धर्म है, इसका नहीं विकल्प।।




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