Wednesday, June 11, 2014

राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बहस के जवाब में बोले मोदी



बताया, ऐसे आयेंगे अच्छे दिन
-राजेश त्रिपाठी
  •  चार साल राष्ट्रनीति को दें आखिरी साल राजनीति को
  •  बलात्कार का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण करना बंद करें
  • स्किल इंडिया से बदलेगी स्कैम इंडिया की तसवीर
  •  गरीब और गांवों की भलाई पर रहेगा जोर
  •  सबको साथ लेकर चलने का वादा
  •  विकास को जनआंदोलन बनाने की बात
  • राजनीति को अपराध मुक्त करने का संकल्प



  संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हुई बहस का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बहुत ही प्रभावशाली ढंग से जवाब दिया। उन्होंने विश्वास दिलाया की राष्ट्रपति के अभिभाषण में जो विकास का खाका पेश किया गया है, सरकार के कार्य की जो प्राथमिकताएं बतायी गयी हैं उन्हें वे अवश्य पूरा करेंगे। मोदी जी ने क्षमा मांगने के साथ अपने भाषण की शुरुआत की तो समापन भी क्षमा के साथ ही किया। संसद के दोनों सदनों में दिये अपने पहले भाषण में उन्होंने सरकार की भविष्य की योजनाओं का पूरा ब्यौरा दिया और कहा कि हम काम करने को आये हैं और उसके प्रति गंभीर हैं। उन्होंने राजनीति को अपराधमुक्त करने का वचन दिया। इसके साथ ही कहा कि संसद एक मंदिर है यहां कटुता का नहीं प्रेम का माहौल होना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश के विकास के लिए हमें सबका साथ चाहिए। अपने इस वाक्य से कि चार साल राष्ट्रनीति को दें, आखिरी साल राजनीति को उन्होंने विपक्ष को यह संकेत किया कि वह बेवजह की टोकाटाकी के बजाय सकारात्मक विपक्ष की भूमिका निभाये। मोदी जब बोलते हैं तो धाराप्रवाह बोलते हैं, पूरे संदर्भों और उदाहरणों के साथ बोलते हैं। उन्होंने ही नारा दिया था कि सर्वप्रथम राष्ट्र। संसद में अपने भाषण में उन्होने कहा कि दल से बड़ा है देश। सच है देश है तो राजनीति है, दल है और है उससे जुड़ी बातें। मोदी के संसद में भाषणों में कई ऐसे क्षण आये जब ट्रेजरी बेंचों की ओर से देर तक मेजें थपथपायी गयीं।

राष्ट्र के निर्माण में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी का संकल्प दोहराते हुए प्रधानमंत्री ने पिछले कुछ दिनों से देश में बढ़ती बलात्कार की घटनाओं पर चिंता व्यक्त गी। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि बलात्कार का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण बंद होना चाहिए। उन्होंने इस बात पर भी चिंता जतायी कि विदेश में आज भारत या इंडिया की पहचान एक स्कैम वाले देश के रूप में बन गयी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हम स्किल इंडिया स्कैम इंडिया की तसवीर बदल देंगे। उन्होंने देश को स्वच्छ बनाने का संकल्प दोहराया साथ ही कहा कि सार्टिफिकेट से ज्यादा कौशल जरूरी है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने आजादी के  आंदोलन को जनांदोलन बना दिया था। उसी तरह से हमें विकास को जनांदोलन बनाना है।
    प्रधानमंत्री मोदी ने ग्रामीण विकास और गुजरात मॉडल समेत कई मसलों पर अपने गृह राज्य का हवाला दिया। कृषि विकास का मामला हो या स्किल डेवलपमेंट, कई मुद्दों पर प्रधानमंत्री ने कहा कि गुजरात में हमने इस दिशा में सफल कार्यक्रम चलाए हैं। उन्होंने महिला सुरक्षा को लेकर नेताओं को शर्मनाक टिप्पणी न करने की सलाह दी। बिना नाम लिए उन्होंने हाल की शर्मनाक घटनाओं पर टिप्पणी करते हुए कहा कि महिला सुरक्षा की जिम्मेदारी सवा सौ करोड़ भारतीयों की है ।अपने पूरे भाषण के दौरान उन्होंने गरीबी का निदान शिक्षा को बताया, युवा शक्ति को मजबूत करने का तरीका स्किल डेवलपमेंट को बताया, कृषि का विकास आधुनिकरण को बताया।उन्होंने बताया कि किस तरह से उन्होने गुजरात में किसानों को स्वायल हेल्थ कार्ड दिलवाया जिससे उनको यह पता चल सके कि उनकी किस जमीन में कौन सी फसल ज्यादा पैदावार देगी, कौन सी खाद कितनी डालनी सही होगी। इससे वहां कृषि में क्रांतिकारी परिवर्तन आया। इससे पहले किसान खाद और दूसरी चीजों में अनावश्यक रूपये खर्च करते थे।

देश की युवा शक्ति को प्रधानमंत्री से सबसे बड़ी ताकत बताया और कहा कि चीन जहां बूढ़ा हो रहा है वहां भारत जवान हो रहा है। उनके कहने का मतलब था कि देश में युवा शक्ति की बहुलता है और उसे सशक्त, सक्षम कर देश के विकास में लगाने की
आवश्यकता है। उन्होने कहा कि स्वस्थ आलोचना को वे बुरा नहीं मानते लेकिन बेबुनियाद आरोप नहीं लगाये जाने चाहिए।विपक्षी दलों को भरोसा दिलाते हुए मोदी जी ने कहा कि उनकी सरकार ज्यादा संख्या बल के घमंड में नहीं है और उनकी सरकार को विपक्ष के बिना आगे नहीं बढ़ना है। गांव, गरीब और कृषि पर उन्होंने जोर दिया। गांवों में आधारभूत सुविधाओं के विकास की बात हो, या गांवों से होने वाले पलायन का मुद्दा, मोदी ने बखूबी इसे सदन में रखा। गरीब लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के वादे को मोदी ने एक बार फिर दोहराया। उन्होंने कहा कि कुछ सालों के बाद हर गरीब के घर में  नल, पानी, बिजली, शौचालय होना चाहिए। उन्होंने एग्रो प्रोडक्टको बढ़ावा देने पर जोर दिया। उन्होने कहा कि उनका सपना है कि देश का कोई आदमी भूखा न सोये, सबके सिर पर छत हो।

      अपने भाषण में मोदी ने ने बताया कि अच्छे दिन कैसे आयेंगे। उन्होंने कहा कि उन्होने देश से जो वादा किया है उसे वे अवश्य पूरा करेंगॆ। सरकार की क्या प्राथमिकताएं होंगी इस पर भी उन्होने प्रकाश डाला। विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बहस के दौरान कहा था कि ज्यादा संख्या पर भाजपा घमंड न करे, कौरव भी सौ थे लेकिन विजय पांच पांडवों को ही मिली थी। मोदी ने इसका भी माकूल जवाब महाभारत का उल्लेख देकर ही किया। उन्होने दुर्योधन के वक्तव्य का उल्लेख करते हुए कहा कि –मैं धर्म को जानता हूं लेकिन उसके प्रति मेरी प्रवृत्ति नहीं, सच का मुझे पता है पर उस पर मेरी प्रवृत्ति नहीं। मोदी जी ने कहा कि
आज भी सभी पांडवों की ही विजय की कामना करते हैं। अर्थात धर्म के पथ पर चलना या उसके पक्ष में खड़ा होना ही श्रेयष्कर है।

      आज देश में जो एक नया माहौल बना है, विकास की जो उम्मीद  जगी है उसमें यह जरूरी है कि सभी देश के विकास में सहभागी बनें। पक्ष-विपक्ष की बात भूल कर देश की बात सोचें क्योंकि देश के भले में सबका भला है। मोदी जी ने जो सपना दिखाया है उसे पूरा करने के प्रति वे प्रतिबद्ध हैं।उनके सही कामों में साथ देकर विपक्ष भी जनता में खोया विश्वास पा सकता है क्योंकि यह तो अब स्पष्ट है कि भाजपा को जनता ने सत्ता में भेजा है। ऐसे में केंद्र सरकार के विरोध का अर्थ होगा जनादेश का विरोध करना।
इसके बाद विपक्षी दल क्या मुंह लेकर उस जनता के पास अगले चुनाव में जायेंगे। उनके सामने दो रास्ते हैं या तो सकारात्मक विपक्ष की भूमिका निभायें या फिर बेवजह की टोकाटाकी और बाधा पहुंचा कर लोगों की निगाहों में विकास के बाधक के रूप में चिह्नित हों। अब उन्हें अपना रास्ता खुद चुनना होगा।

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