Friday, December 11, 2020

श्री राम के अलावा चार अन्य लोगों से भी हारा था रावण


 लोग यही जानते हैं कि रावण सिर्फ श्री राम से ही हारा था, लेकिन रावण चार अन्य लोगों से भी हारा था। श्रीराम के अलावा शिवजी, राजा बलि, बालि और सहस्त्रबाहु ने भी रावण को हराया था। 

बालि से कैसे हारा रावण 

 एक बार रावण बालि से युद्ध करने के लिए पहुंच गया था। बालि उस समय पूजा कर रहा था। रावण ने बार-बार बालि को ललकारा जिससे बालि की पूजा में बाधा  हो रही थी। जब रावण नहीं माना तो बालि ने उसे अपनी कांख में दबा लिया और उसी स्थिति में चार समुद्रों की परिक्रमा कर डाली। बालि बहुत शक्तिशाली था और इतनी तेज गति से चलता था कि रोज सुबह-सुबह ही चारों समुद्रों की परिक्रमा कर लेता था। इस प्रकार परिक्रमा करने के बाद सूर्य को अर्घ्य अर्पित करता था। जब तक बालि ने परिक्रमा की और सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया तब तक रावण को अपनी कांख में दबाकर ही रखा था। रावण ने बहुत प्रयासकिया, लेकिन वह बालि की गिरफ्त से मुक्त नहीं हो पाया। पूजा के बाद बालि ने रावण को छोड़ दिया था।

सहस्त्रबाहु  ने भी रावण को हराया था

सहस्त्रबाहु अर्जुन के एक हजार हाथ थे और इसी वजह से उसका नाम सहस्त्रबाहु पड़ा था। जब रावण सहस्त्रबाहु से युद्ध करने पहुंचा तो सहस्त्रबाहु ने अपने हजार हाथों से  नर्मदा नदी के बहाव को रोक दिया था। सहस्त्रबाहु ने नर्मदा का पानी  इकट्ठा किया और पानी छोड़ दिया, जिससे रावण पूरी सेना के साथ ही नर्मदा में बह गया था। इस पराजय  के बाद एक बार फिर रावण सहस्त्रबाहु से युद्ध करने पहुंच गया था, तब सहस्त्रबाहु ने उसे बंदी बना कर जेल में डाल दिया था।

राजा बलि से भी हारा रावण

दैत्यराज बलि पाताल लोक के राजा थे। एक बार रावण राजा बलि से युद्ध करने के लिए पाताल लोक में उनके महल तक पहुंच गया था। वहां पहुंच कर रावण ने बलि को युद्ध के लिए ललकारा, उस समय बलि के महल में खेल रहे बच्चों ने ही रावण को पकड़कर घोड़ों के साथ अस्तबल में बांध दिया था। इस प्रकार राजा बलि के महल में रावण की हार हुई।

शिवजी से भी हारा था रावण 

रावण बहुत शक्तिशाली था और उसे अपनी शक्ति पर बहुत ही घमंड भी था। रावण इस घमंड के नशे में शिवजी को हराने के लिए कैलाश पर्वत पर पहुंच गया था। रावण ने शिवजी को युद्ध के लिए ललकारा, लेकिन महादेव तो ध्यान में लीन थे। रावण कैलाश पर्वत को उठाने लगा। तब शिवजी ने पैर के अंगूठे से ही कैलाश का भार बढ़ा दिया, इस भार को रावण उठा नहीं सका और उसका हाथ पर्वत के नीचे दब गया। बहुत प्रयत्न के बाद भी रावण अपना हाथ वहां से नहीं निकाल सका। तब रावण ने शिवजी को प्रसन्न करने के लिए उसी समय शिव तांडव स्रोत' जटा टवी गलज्जलप्रवाह पावितस्थले गलेऽव लम्ब्यलम्बितां भुजंगतुंग मालिकाम्‌।....

 रच दिया। शिवजी इस स्रोत से बहुत प्रसन्न हो गए और उसने रावण को मुक्त कर दिया।  मुक्त होने के पश्चात रावण ने शिवजी को अपना गुरु बना लिया।

इस तरह रावण को राम से पहले चार इन लोगों ने भी पराजित किया था।

इस आलेख को वीडियो के रूप में सुनने के लिए कृपया यहां क्लिक कीजिए

1 comment: