महाभारत के महाबली पर सर्वाधिक उपेक्षित पात्र कर्ण के बारे में हर वह व्यक्ति जानता होगा जिसे महाभारत की कहानी मालूम होगी। महाभारत के युद्ध में अर्जुन से टक्कर लेनेवाला कोई योद्धा अगर कौरव सेना में था तो वह कर्ण ही था। पर क्या आपको पता है कि कृष्ण ने अपने हाथों पर किया था कर्ण का अंतिम संस्कार।
कर्ण कुंती और सूर्य का पुत्र था लेकिन कुंती अविवाहित थी इसलिए उसने लोकलाज के चलते अपने पुत्र कर्ण का परित्याग कर दिया। उसे नदी में प्रवाहित कर दिया। कुंती ने मंत्र द्वारा सूर्य का आह्वान किया था उसी के बाद कर्ण का जन्म हुआ जिmके शरीर में जन्म से ही कवच और कुंडल चिपके हुए थे। नदी में बहते बालक कर्ण को अधीरथ नामक एक सारथी ने बचा लिया और अपनी पत्नी राधा के साथ उसका लालन-पालन किया। सारथी के घर पले कर्ण को जीवन भर सूतपुत्र कह कर अपमानित किया जाता रहा। कुंती की सेवा से प्रसन्न होकर उसे देवताओं का आह्वान करने का मंत्र दुर्वासा ऋषि ने सिखाया था।
सूर्य के दिये कवच कुंडल के रहते कर्ण का वध करना असंभव था। कर्ण से कवच कुंडल लेने के लिए इंद्र ने भिक्षुक का वेष बना कर छल किया और उससे दान में कवच, कुंडल मांग लिये। इसके बाद ही कर्ण का वध संभव हो सका।
कर्ण के पिता सूर्य और माता कुंती थी लेकिन उनका पालन एक रथ चलाने वाले ने किया था, इसलिए वो सूतपुत्र कहलाए और इसी कारण उन्हें वह सम्मान नहीं मिला, जिसके वे अधिकारी थे।
इस लेख में आज हम महारथी कर्ण से सम्बंधित कुछ प्रमुख बातें बताते हैं। द्रौपदी ने कर्ण को अपना पति क्यों नहीं चुना?
कर्ण द्रोपदी को पसंद करता था और उसे अपनी पत्नी बनाना चाहता था साथ ही द्रौपदी भी कर्ण से बहुत प्रभावित थी और उसका चित्र देखते ही यह निर्णय कर चुकी थी कि वह स्वयंवर में उसी के गले में वरमाला डालेगी। लेकिन फिर भी उसने ऐसा नहीं किया।
द्रोपदी और कर्ण, दोनों एक-दूसरे से विवाह करना चाहते थे लेकिन सूतपुत्र होने की वजह से यह विवाह नहीं हो पाया। भाग्य ने इन दोनों का विवाह नहीं होने दिया, जिसके परिणामस्वरूप कर्ण, पांडवों से नफरत करने लगा।
द्रोपदी ने कर्ण के विवाह प्रस्ताव को ठुकरा दिया क्योंकि उसे अपने परिवार के सम्मान को बचाना था। इसके बाद कर्ण ने दो विवाह किए।
अविवाहित रहते हुए कुंती ने कर्ण को जन्म दिया था। समाज के लांछनों से बचने के लिए उसने कर्ण को स्वीकार नहीं किया। कर्ण को गोद लेने वाले उसके पिता अधीरथ चाहते थे कि कर्ण विवाह करे। पिता की इच्छा को पूरा करने के लिए कर्ण ने रुषाली नाम की एक सूतपुत्री से विवाह किया। कर्ण की दूसरी पत्नी का नाम सुप्रिया था। सुप्रिया का जिक्र महाभारत में ज्यादा नहीं किया गया है।
रुषाली और सुप्रिया से कर्ण के नौ पुत्र थे। वृशसेन, वृशकेतु, चित्रसेन, सत्यसेन, सुशेन, शत्रुंजय, द्विपात, प्रसेन और बनसेन। कर्ण के सभी पुत्र महाभारत के युद्ध में शामिल हुए, जिनमें से 8 मारे गए। कर्ण का एकमात्र जीवित बचा पुत्र वृशकेतु था। कर्ण की मौत के पश्चात उसकी पत्नी रुषाली सती हो गई थी। महाभारत के युद्ध के पश्चात जब पांडवों को यह बात पता चली कि कर्ण उन्हीं का ज्येष्ठ था, तब उन्होंने कर्ण के जीवित पुत्र वृशकेतु को इन्द्रप्रस्थ की गद्दी सौंपी थी। अर्जुन के संरक्षण में वृशकेतु ने कई युद्ध भी लड़े थे।
जब कर्ण मृत्युशैया पर थे तब कृष्ण उनके पास उनके दानवीर होने की परीक्षा लेने के लिए आए। कर्ण ने कृष्ण को कहा कि उसके पास देने के लिए कुछ भी नहीं है। ऐसे में कृष्ण ने उनसे उनका सोने का दांत मांग लिया।
कर्ण ने अपने समीप पड़े पत्थर को उठाया और उससे अपना दांत तोड़ कर कृष्ण को दे दिया। कर्ण ने एक बार फिर अपने दानवीर होने का प्रमाण दिया जिससे कृष्ण काफी प्रभावित हुए। कृष्ण ने कर्ण से कहा कि वह उनसे कोई भी वरदान मांग़ सकते हैं।
कर्ण ने कृष्ण से कहा कि एक निर्धन सूत पुत्र होने की वजह से उनके साथ बहुत छल हुए हैं। अगली बार जब कृष्ण धरती पर आएं तो वह पिछड़े वर्ग के लोगों के जीवन को सुधारने का प्रयत्न करें। इसके साथ कर्ण ने दो और वरदान मांगे।
दूसरे वरदान के रूप में कर्ण ने यह मांगा कि अगले जन्म में कृष्ण उन्हीं के राज्य में जन्म लें और तीसरे वरदान में उन्होंने कृष्ण से कहा कि उनका अंतिम संस्कार ऐसे स्थान पर होना चाहिए जहां कोई पाप ना हो।
पूरी पृथ्वी पर ऐसा कोई स्थान न होने के कारण कृष्ण ने कर्ण का अंतिम संस्कार अपने ही हाथों पर किया। इस तरह दानवीर कर्ण मृत्यु के पश्चात साक्षात वैकुण्ठ धाम को प्राप्त हुए। हमारे बुजुर्ग लोग कहा करते थे कि चूंकि कृष्ण ने अपने हाथों पर कर्ण का अंतिम संस्कार किया था इसलिए अगर कोई सुबह उठ कर बिना हाथ मुंह धोये अपनी हथेलियों को मल कर सूंघे तो उससे मांस जलने की सी गंध आती है। हमने तो यह कर के देखा है आप भी आजमाये और अपनी टिप्पणी दें।
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