Wednesday, October 28, 2009

शर्म इनको मगर नहीं आती



बंद करो `बिग बॉस ' का नंगा नाच
-राजेश त्रिपाठी
आजकल टेलीविजन चैनलों में टीआरपी के लिए गलाकाट प्रतिस्पर्धा चल रही है। इसके चलते नया कुछ दिखाने और दूसरों से आगे
बढ़ने के नाम पर चैनल किस तरह से मर्यादा और शालीनता की सीमा लांघ रहे हैं इसका ताजा उदाहरण है कलर्स चैनल का `बिग बॉस' कार्यक्रम। इस कार्यक्रम में 25 अक्टूबर की रात जो भी दिखाया गया उसे फूहड़, नंगापन, भोड़ापन या टुच्चई के अलावा और कुछ नहीं कहा जा सकता। उसमें तुर्रा यह कि यह नंगई करनेवालों को अपने इस कुकृ्त्य पर रत्ती भर शर्मिंदगी नहीं। जो दृश्य क्षण भर के लिए करोड़ों दर्शकों भौंचक्का और शर्मशार कर गया उसे अंजाम देनेवालों ने उसका जम कर लुत्फ उठाया। यानी शर्म इनको नहीं आती भले ही देखने वालों को आती हो। कलर्स चैनल अपने कई अच्छे धारावाहिकों के लिए काफी पसंद किया जाता है लेकिन `बिग बॉस' में उस दिन जो कुछ हुआ, उसने इस चैनल की सारी साख धो दी और इसे भी उन चैनलों की पांत में ला खड़ा किया जो मनोरंजन के नाम पर जनता को नंगा नाच दिखाते हैं और सीरियलों के नाम पर सामाजिक विकृति फैलाने का काम करते हैं। 25 अक्टूबर की रात `बिग बॉस' में जो कुछ हुआ पहले उस पर नजर डालते हैं। `बिग बॉस' का कार्यक्रम इस बार शुरुआत से ही विवादों के केंद्र में रहा है। पहले तो कमाल खान का वह बड़बोलापन इस पर भारी रहा जो न दर्शकों को पसंद आया, न ही `बिग बॉस' के घर में इस बार रह रहे प्रतिभागियों को। कमाल खान इस घर से निकले भी बड़े बेआबरू होकर। रात दो बजे उन्हें निकाल फेंका गया। चैनल वाले क्या करना चाहते हैं इसका इरादा शार्लिन चोपड़ा के उस स्नान दृश्य से ही चल गया था जिसमें सिर्फ अंतर्वस्त्रों में स्वीमिंग पूल में अपने जलवे बिखऱेती शार्लिन को देख राजू श्रीवास्तव अपनी आंखें सेंक रहे थे, आप यह भी कह सकते हैं कि नयन सुख प्राप्त कर रहे थे। माफ करें ऐसी भाषा इस्तेमाल करने के लिए लेकिन राजू श्रीवास्तव ने जो संवाद इस दृश्य में इस्तेमाल किये वे करीब-करीब ऐसा ही प्रकट करते हैं। सद्यस्नाता शार्लिन मात्र उतने कपडों में जिनमें एक स्त्री का लज्जा ढंकना भी मुनासिब नहीं था, राजू से मुखातिब हैं और राजू हैं कि अपलक उनके रूप सौंदर्य को टकटकी लगाये निर्निमेष घूर रहे हैं। ना महिला को शर्म है न नयनों से उसके रूप रस को पीते पुरुष को। बल्कि पुरुष जो गुजारिश करता है उससे उसकी मंशा साफ जाहिर हो जाती है। राजू शार्लिन से गुजारिश करते हैं कि वे कब-कब स्वीमिंग पूल में नहाने आती हैं उसका टाइम टेबल बता दें ताकि वे भी आनंद ले सकें , उनके भी मुफ्त में चर्चे-वर्चे हो जायेंगे। आप खुद ही सोच लें कोई भद्र महिला कम कपड़ों में स्वीमिंग पूल में नहा रही है तो उस वक्त कोई पुरुष वहां पूजा-आरती करने तो आता नहीं। क्यों आता है यह दिन के उजाले की तरह साफ है। यानी `बिग बॉस' किस तरह गंदगी फैला रहा है और क्या दिखा रहा है या दिखाना चाहता है यह स्पष्ट हो चुका है। 25 अक्टूबर को `बिग बॉस' के ही घर में स्वीमिंग पूल के पास एक पार्टी में सब मस्ती में नाच रहे हैं। इनमें राजू श्रीवास्तव भी हैं जो सिर्फ अंडरबीयर पहने हैं। पार्टी में नाचते-नाचते अचानक अदिति गोवात्रिकर और तनाज ईरानी मस्ती में उनका अंडरबियर खींच देती हैं और राजू नग्न हो जाते हैं। दोनों महिलाएं राजू को नंगा देख कर इस तरह खुश होती हैं और आपस में लिपट कर ठहाकों में डूब जाती हैं जैसे उन्होंने कोई जंग जीत ली हो। भला हो तकनीक का कि पलक झपकते कैमरे में स्मोक्ड स्क्रीन इस्तेमाल किया जाता है और वह नंगा दृश्य धुंधला हो जाता है। इसके बावजूद इसके करोड़ों दर्शक धक्क रह जाते हैं। उन्हें पता चल जाता है कि दृश्य क्या था और उनके परिवार का अभिन्न अंग बन चुका टीवी चैनल अब कितना फूहड और अशालीन होता जा रहा है। जाहिर है इस पर शोर मचना था, मचा, सूचना प्रसारण मंत्रालय को जो करना था उसने किया। चैनल के नियंताओं को नोटिस भेज कर आगाह किया कि वे ऐसी गंदगी न परोसें लेकिन ऐसी कितनी नोटिसें कारगर साबित हुई हैं। जहां तक `बिग बॉस' का सवाल है तो इससे पहलेवाले `बिग बॉस' (यानी सेशन-2) को भी विवाद झेलने पड़े थे। उसमें भी राहुल महाजन और पायल रोहतगी की जल क्रीडा से कई भौंहें तन गयी थीं, बहुत सी नजरें शर्मशार हुई थीं। वैसे ऐसे कार्यक्रमों की आलोचना करते वक्त एक डर लगता है कि मैं अपने महान देश भारत के और भी महान तथाकथित प्रगतिशील वर्ग को अपना दुश्मन न बना बैठूं जैसा ` सच का सामना' की मेरी आलोचना के वक्त हुआ था। कुछ लोगों को लगा कि उस कार्यक्रम पर आपत्ति जता कर मैंने महापाप किया है, ऐसे कार्यक्रम आते रहने चाहिए जिसमें भारत की एक महान नारी (?) अपने पति के सामने ही गर्व से स्वीकार करती है कि वह आज भी पराये मर्द के संग की कामना करती है। मेरे प्रगतिशील भाई ही जानते होगे कि यह सच किस महान समाज की संरचना करेगा। `बिग बॉस' की आलोचना भी बहुतों को अखर सकती है। वे कह सकते हैं कि आपको बुरा लगा तो क्या, हमें तो मजा आया। भाई माफ कीजिए आपका यह आनंद हमारे समाज को, जो पश्चिमी रंग-ढंग में रच कर इतरा रहा है, पतन के उस गर्क में धकेल देगा जहां सारे संस्कार स्वाहा हो जायेंगे और अनाचार, कदाचार, व्याभिचार राज करेंगे।
इस बार के `बिग बॉस' के प्रति लोगों के सर्वाधिक आकर्षण का कारण यह है कि इससे सूत्रधार के रूप में सदी के सितारे बिग बी यानी अमिताभ बच्चन जुड़े हैं। कुछ लोग तो उन्हें ही `बिग बॉस' मान रहे हैं। वैसे उनकी आत्मीयता भरी प्रस्तुति की प्रशंसा सर्वत्र हो रही है। जिस कार्यक्रम से अमित जी जुड़े हों उसमें ऐसी अश्लीलता और अशालीनता दिखायी जाये तो फिर अमित जी के नाम पर भी बट्टा लगता है। सवाल उठ सकते हैं कि आखिर ऐसी क्या मजबूरी थी कि उनको इस फूहड़ और अशालीन कार्यक्रम का हिस्सा बनना पड़ा। जाहिर है उन्हें इस बारे में पहले से कुछ नहीं बताया गया होगा। अगर उन्हें पता होता कि ऐसे प्रसंग इस कार्यक्रम में आयेंगे तो शायद वे इसमें शामिल होना पसंद नहीं करते। आखिर उनका नाम है, कला की दनिया में एक ऊंचा मकाम है जो इस तरह के कार्यक्रमों से जुड़ने में धूमिल होता है। `बिग बॉस' बनाने वाले यह कह कर अपना पल्ला झाड़ सकते हैं कि यह अचानक हो गया और यह अनायास था सायास नहीं तो सवाल यह उठता है कि जब `बिग बॉस' का दावा है कि उनके घर के हर कोने में कैमरे लगे हैं और वे कैमरे 24 घंटे सतर्क नजर रखते हैं, जब सब सो जाते हैं तब भी कैमरे जागते रहते हैं तो फिर ऐसी भूल कैसे हो गयी। इन कैमरों का संचालन कहीं कोई एक केंद्रीय इकाई करती होगी जिसे इस पर ध्यान रखना था। हर भारतीय चैनल की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह ऐसा कुछ भी नहीं दिखाये जिससे समाज में गलत संदेश जाता हो या कुछ लोगों को ही सही मानसिक आघात लगता हो। `बिग बॉस' में जिस तरह से खुला खेल फरुर्खाबादी दिखाया जा रहा है, उसकी मिसाल शुरू से ही मिलने लगी थी जब कमाल खान विदेशी बाला क्लाडिया से इश्क फरमाते वक्त मजनूं बन जाते हैं और दो दिन के लिए खाना त्याग देते हैं और जब भूख बरदाश्त नहीं होती तो रसोई में चोरी-छिपे खाना खाते पकड़े जाते हैं। वैसे `बिग बॉस' में कुछ पात्रों को क्यों ठूंसा गया यह समझ में नहीं आता। जैसे जया सावंत की बात लें जो घर में सिर्फ इसलिए आयी ताकि बेटी ऱाखी सावंत की ओर से सताये जाने और अमिताभ जी की कृपा पाने की कहानी दुनिया को सुना सके। इसके अलावा और उसकी क्या भूमिका थी। वैसे भी इस घर के सभी पात्र आपस में एक दूसरे पर खीझते- खौख्याते ही दिखते हैं। लगा था कि राजू श्रीवास्तव हैं उनका सही प्रयोग करके इस बार `बिग बॉस' को रोचक बनाया जायेगा मगर यह तो चूं-चूं का मुरब्बा बन कर रह गया है। अगर यही रीयलिटी शो की रीयलिटी है तो फिर इससे तौबा। बिग बी कहां फंस गये हैं आप? या तो इस कार्यक्रम को सही दिशा में मोड़िए, एक सही और सार्थक सारथी की भूमिका में आइए या फिर इसे नमस्कार कर बाइज्जत इससे निकल जाइए क्योंकि पता नहीं इसमें आगे क्या-क्या होने वाला है। इसके सारे पात्र फुल टेंशन में नजर आते हैं पता नहीं कब क्या कर बैठें। बोतल चल चुकी है, वस्त्रहरण हो चुका है, अब जो बाकी है खुदा न करे वह भी सरेआम होने लगे तो फिर यही कहना होगा-वतन का क्या होगा अंजाम बचा लो ऐ मौला ऐ राम। दुनिया की नजरों में होगा भारत बदनाम बचा लो ऐ मौला ऐ राम।

4 comments:

  1. पैसे के लिए ये अपनी माँ-बहनों को कैमरे पर नंगा नचवा ले,. यहाँ तो सिर्फ किसी का अंडरवेयर ही नीचे खींच रहे है !

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  2. देखने वाले बेवकूफ़ बन रहे हैं भैय्ये, बनाने वाले सयाने हैं. सारा कुछ pre-planned होता है वो जानते हैं-बदनाम होंगे तो क्या नाम न होगा. रहा प्रसारण मंत्रालय, इनकी तो "नूरा कुश्ती" है.

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  3. ब तो कोई अवतार ही जन्म ले तभी सब सुधर सकता है वर्ना जो हाल है उस पर तो शर्म से डूब कर मरने वाली स्थिति है बहुत अच्छा आलेख है धन्यवाद्

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  4. खैर बिग बॉस की टीआरपी बढ़ाने के लिए जो नंगई टीवी स्क्रीन पर दिखाई जा रही है, उस पर रोक लगने चाहिए। सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने जो नोटिस जारी किया है उसका हम स्वागत करते हैं। अब हमें सोचना चाहिए कि क्या हमें नंगेपन के बीच अपनी जिंदगी गुजारनी है और अगर गुजारनी है तो फिर बिग बॉस में अश्लीलता पर शोर मचाने की कोई जरूरत नहीं है। या तो हमें उस उन्मुक्त कल्चर को स्वीकार करना होगा जिसे शमिता और तनाज जैसी लड़कियां पहले ही स्वीकार कर चुकी हैं या फिर इस कल्चर का जोरदार विरोध करना होगा। उदारता किसी भी कीमत पर नुकसान ही लाएगी....

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