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राजेश त्रिपाठी
मात-पिता का गौरव बन चंदा सा चमके।
जिसके यश का सौरभ सारे जग में महके।।
घर की सुंदर अल्पना, देवों का वरदान।
बेटी तो है घर में खुशियों की पहचान।।
घर-घर में
दीप खुशी के जलाती हैं बेटियां।
धनवान हैं
वे जिनके घर आती हैं बेटियां।।
बेटी है नाम ममता का समता का नाम है।
बेटी अगर है घर में तो सुख भी ललाम है।।
लक्ष्मी का रूप है वे सरस्वती का वेष है।
जिस घर नहीं हैं बेटियां समझो क्लेश है।।
ममता का पाठ
सबको पढ़ाती हैं बेटियां।
भगवान की
कृपा से आती हैं बेटियां।।
बोझ नहीं ये तो खुदा की हैं नियामत।
जो इनको सताया तो आयेगी कयामत।।
बेटी हैं तो दुनिया बहुत खुशगवार है।
बेकार हैं वो जिन्हें न बेटी से प्यार है।।
माता-पिता
से प्यार निभाती हैं बेटियां।
हर वक्त
अपना फर्ज निभाती हैं बेटियां।।
बेटे को सिर पे बिठा बेटी को भूलते।
जो बदगुमां हो गफलत में झूमते।।
बेटे से चोट खाके होते हैं पशेमां।
रोते हैं जार-जार तब वो नादान।
नफरत के
बियाबां से बचाती हैं बेटियां।
खुशियों की
आमद हो जहां आती हैं बेटियां।।
मां,बहन और जाने कितने वेष में।
साथ निभाती हैं वे दुख-क्लेश में।।
वे हैं तो दुनिया है वरना वीरान है।
बेटी नहीं तो घर मानिंदे शमशान है।।
हर घर को
फुलवारी-सा सजाती हैं बेटियां।
चंदन सी
शीतल कितनी प्यारी हैं बेटियां।।
आओ इन्हें लगा लें गले जीवन धन्य हम करें।
हर घर में एक बेटी हो, पावन संकल्प हम करें।।
बेटी को समझे कमतर वे सचमुच बड़े लाचार हैं।
नारी है कुदरत का वरदान, सृष्टि का आधार है।।
घर-घर को
स्वर्ग-सा बनाती हैं बेटियां।
खुशियों को
साथ लेके आती हैं बेटियां।।
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