हे माता पर्वतवाली त्रस्त भक्तगण आज।
कृपा करो हे माता दुखिया सकल समाज।।
तुमने जाने कितने राक्षस हे माता संहारे।
मानव तन ले उनमें कुछ हैं आन पधारे।।
ललनाओं की लाज लूटते,करते ये हत्याएं।
पापकर्म में इतने डूबे रही ना अब सीमाएं।।
भारतवासी त्रस्त बहुत हैं जपते तेरा नाम।
इनके चलते दुख भरे हैं उनके सुबहो शाम।।
हे मां अपने गणों संग अब तो वेग
पधारो।
दुष्टों से पीड़ित है धरती आकर उसे उबारो।।
नवरात्रि में भक्तगण करते हैं तेरा आराधन।
वेग पधारो सिंहवाहिऩी हम करते आवाहन।।
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आप सभी को नवरात्र के पावन पर्व की
मंगलकामनाएं
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