Sunday, May 11, 2014

कविता




 यह तुम भूल न जाना!
कितने आंसू पिए अभी तक, कितनी बार पड़ा था रोना।
कितने दिन तक फांका काटे, बिन खाये पड़ा था सोना।।
कितने अधिकार गये हैं छीने, कब-कब खायी थी मात।
राजनीति के छल-प्रपंच में, कितने ठगे गये हो तात।।
           मत की कीमत को पहचानो, मत देने अवश्य ही जाना।
           दल के दलदल में भाई, सही व्यक्ति को भूल न जाना।।
लंबी-चौड़ी हांक गये सब, जैसे दुख सब ये हर लेंगे।
जहां-जहां है बंजर धरती, सत्वर ये उपवन कर देंगे।।
बेकारों को काम मिलेगा, कामगार को पूरी मजदूरी।
दुखिया नहीं रहेगा कोई, ख्वाहिश सबकी होगी पूरी।।
           ये धरती पर स्वर्ग गढ़ेंगे, पल भर को हमने माना।
           बीते दिनों भी यही अलापा, यह तुम भूल न जाना।।
जाति-पांति का चक्कर छोड़ो, अब तो लो दिमाग से काम।
जाति नहीं है काम ही सच्चा, यह संदेश सुखद अभिराम।।
जांचो-परखो यह भी सोचो, क्या चाह रहा है अपना देश।
चहुंदिशि विकास हो ऐसा, मिट जाये जन-जन का क्लेश।।
      लोक लुभावन उन नारों से मेरे भाई मत भरमाना।
      अपना भाग्य हाथ में अपने, यह तुम भूल न जाना।।
जाने कितने चेहरे देखे, सबके अपने-अपने नारे।
सत्ता-सुख की खातिर, जो धूप में घूमे मारे-मारे।।
इनके इतिहास को देखो, देखो विकास का खाका।
इसको परखो तो जानोगे, इनमें से कौन है बांका।।
     उसको मत,  मत देना, जो ठग है जाना पहचाना।
     सच्चे को चुनना हितकर, यह तुम भूल न जाना।।
कितने दुर्दिन भोग रहा है, अपना प्यारा भारत देश।
सुख तो सपना है अब, बढ़ते जाते दिन-दिन क्लेश।।
महंगाई है, है बेकारी, दिशा-दिशा कोहराम मचा है।
क्या कहें किससे कहें,किसने जीवन-संग्राम रचा है।।
     देश-दुर्दशा से उबरे, सब सुख-चैन का गायें गाना।
     उसे ही चुनना जो सब कर दे, यह तुम भूल न जाना।।
वीर-धीर हो दृढ़प्रतिज्ञ हो, निर्णय ले सकता हो आला।
देश के बाहर से ला दे जो, धन जमा है जो भी काला।।
दुश्मनों को दे जवाब जो, जो जन-जन की हर ले पीर।
सीमाओं को करे सुरक्षित, देश को पूजे जो सच्चा वीर।।
     जिसमें हो साहस व दृढ़ता, सबका जो जाना-पहचाना।
     अब ऐसे ही शख्स को चुनना, यह तुम भूल न जाना।।
वादों और इरादों में अंतर जो, उसको जानो भाई।
झूठ बहुत मैदान में फैला, सच को मानो  भाई।।
जो सच के साथ खड़ा है, वही है सच्चा मीत ।
उसका गर दिया साथ तो, वह लेगा दिल जीत।।
     सच को पहले पहचानो, नहीं भुलावे में अब आना।
     पांच साल होगा पछताना, यह तुम भूल न जाना।।
-राजेश त्रिपाठी

    

    

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