कृपा करें सब पर जग के जो हैं नाथ। दुख-दर्द में भूल कर छोड़ें कभी न साथ।।
मानवता के कल्याण हित प्रभु लीजै अवतार। त्राहि-त्राहि अब कर है पूरा संसाऱ।।
ललनाएं असुरक्षित हैं सज्जन हैं अति हीन। पीड़ा से तड़प रहे भक्त आपके दीन।।
आर्यावर्त आपका स्वामी अब दिखता बेहाल। सिर्फ आप ही सकते इसे संभाल।।
जगन्नाथ स्वामी अब तो फिर से आओ। जग में फिर प्रभु प्रेम-सुधा सरसाओ।।
भक्तों को विश्वास है आयेंगे प्रभु आप। हर लेंगे इस धरा के जितने है संताप।।
भारत फिर हो विश्वगुरु, विश्व का ताज। कृपा अब कीजिए जगन्नाथ महाराज।।
अंत हो पाप का धर्म का हो फिर राज। मुदित मन गा उठे फिर भक्त समाज।।
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