पाक देश की पावन कन्या, साहस की प्रतिमूर्ति।
ऐसा काम कर गयी मलाला, जग में छायी कीर्ति।।
जीवन के सत्य को खोजा, ऐसे हैं पुरुषार्थी।
बच्चों की सेवा में रत हैं, कैलाश जी सत्यार्थी ।।
बचपन जो बंधक था, मुफलिसी के दृढ़ बंधन में।
जीवन का सबब मिला जिन्हें, मानवता के क्रंदन में।।
सब कुछ त्यागा और जुट गये सेवा में कैलाश।
वंचित,शोषित, पीड़ित बचपन में फिर से जागी आस।।
खुशियां जिनकी रूठ गयी थीं, जो थे बड़े हताश।
उसमें ‘बचपन बचाओ’ ने भरा नवल उल्लास।
अस्सी हजार बच्चों के मुख पर, फिर छायी मुसकान।
तभी सत्य के इस साधक को मिला महा सम्मान ।।
इन दोनों का नाम जुड़ा , नोबल का बढ़ा मान।
ऐसे लोगों से जुड़ कर ही, इनकी सच्ची पहचान।।
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