गायत्री मंत्र की हिंदू धर्म में विशेष मान्यता है। इसे बहुत ही चमत्कारी मंत्र माना गया है जिसके पाठ से सुख-शांति तो आती ही है, बुद्धि, विवेक की वृद्धि और मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है। जिंदगी में सुख, समृद्धि लाता है यह मंत्र। कई शोधों से यह निष्कर्ष निकला है कि शुद्ध अंतकरण से पवित्रता के साथ गायत्री मंत्र का जाप करने से चेहरे पर कांति आती है,क्रोध पर नियंत्रण होता है और इंद्रियों पर नियंत्रण रहता है। गायत्री मंत्र को हिन्दू धर्म में सबसे उत्तम मंत्र माना जाता है. यह मंत्र हमें ज्ञान प्रदान करता है. इस मंत्र का मतलब है - हे प्रभु, क्रिपा करके हमारी बुद्धि को उजाला प्रदान कीजिये और हमें धर्म का सही रास्ता दिखाईये. गायत्री मंत्र सूर्य देवता) के लिये प्रार्थना रूप से भी माना जाता है।
हम अरसे से यह सुनते आये हैं कि जीवन में अगर कोई समस्या आये तो भगवान का चिंतन,मनन, भजन या किसी विशेष मंत्र का जाप करना चाहिए। गायत्री मंत्र भी ऐसा ही मंत्र है जो किसी समस्या से अशांत मन को शांति प्रदान करने में सहायक होता है। प्रार्थना में भी अक्सर गायत्री मंत्र का प्रयोग होता है। कहते हैं कि इस मंत्र के प्रतिदिन जाप करने से, कई समस्याएं, विपत्तियां दूर हो जाती हैं। कहते हैं कि ‘गायत्री मंत्र’ की उत्पत्ति ऋषि विश्वामित्र ने अपने कठोर तपस्या से की थी। यह ऋगवेद से लिया गया है।
किसी को अगर विस्मृति दोष अर्थात भूलने की बीमारी हो तो कुछ दिन अगर नियमित गायत्री मंत्र का जाप करें तो इससे उन्हें बहुत लाभ मिल सकता है। वैज्ञानिक आधार पर भी गायत्री मंत्र को बहुत महत्वपूर्ण और उपयोगी माना गया है।
यह माना जाता है कि गायत्री मंत्र का उच्चारण करते समय प्रति सेंकेड 11 लाख तरंगें उत्पन्न होती है। इससे मस्तिष्क का तनाव दूर होता है और मन को शांति मिलती है।
सूर्य उदय से डेढ़ घंटा पहले इस मंत्र का जाप करने से बहुत लाभ होता है।
गायत्री मंत्र को वेदों की माता और हिन्दू धर्म में सबसे उत्तम मंत्र माना जाता है।
गायत्री मंत्र
ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्यः धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्
इस मंत्र का अर्थ
भगवान सूर्य की स्तुति के इस मंत्र का अर्थ यह है कि -हम. उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा सत्यपथ पर ले चलें।
गायत्री मंत्र के पहले नौ शब्द प्रभु के गुणों की व्याख्या करते हैं...
ॐ = प्रणव
भूर = मनुष्य को प्राण प्रदाण करने वाला
भुवः = दुख़ों का नाश करने वाला
स्वः = सुख़ प्रदान करने वाला
तत = वह,
सवितुर = सूर्य की भांति उज्जवल
वरेण्यं = सबसे उत्तम
भर्गो = कर्मों का उद्धार करने वाला
देवस्य = प्रभु
धीमहि = आत्म चिंतन के योग्य [ध्यान]
धियो = बुद्धि,
यो नः = हमारी,
प्रचोदयात् = हमें शक्ति दें {प्रार्थना]
यूं तो इस बेहद सरल मंत्र को कभी भी पढ़ा जा सकता है लेकिन शास्त्रों के अनुसार इसका दिन में तीन बार जप करना चाहिए...
- प्रात:काल सूर्योदय से पहले और सूर्योदय के पश्चात तक.
- फिर दोबारा दोपहर को.- फिर शाम को सूर्यास्त के कुछ देर पहले जप शुरू करना चाहिए.
गायत्री मंत्र के फायदे
हिन्दू धर्म में गायत्री मंत्र को विशेष मान्यता प्राप्त है. कई शोधों द्वारा यह भी प्रमाणित किया गया है कि गायत्री मंत्र के जाप से कई फायदे भी होते हैं जैसे : मानसिक शांति, चेहरे पर चमक, खुशी की प्राप्ति, चेहरे में चमक,इंद्रियां नियंत्रित रहतीहैंं, क्रोध आता है और बुद्धि तेज होती है.
भारतवर्ष के लोगों को गऊ, गंगा, गीता, गायत्री और गुरु के प्रति बड़ी श्रद्धा रही है। वेदों, पुराणों तथा समस्त शास्त्रों में जिस पावनी शक्ति की महिमा गायी गयी है और जिसके जप को महान् जप कहा गया, जिसे देव मंत्र, सविता मंत्र, महामंत्र तथा गुरु मंत्र कहा गया है, उस मंत्र, उस शक्ति का नाम गायत्री है। भगवान् की शरण में जाने की इच्छा रखने वाले साधक, भक्त एवं अध्यात्म से जुड़े हुए अन्य लोग गायत्री मंत्र के विशेष श्रद्धा, आस्था रखते हैं । गायत्री मंत्र जैसी और कोई शक्ति नहीं।
महात्मा गांधी- मनुष्य के मन, मस्तिष्क और आत्मा को पवित्र करने वाली जप पद्धति में अगर कोई सर्वाधिक शक्तिशाली पद्धति हो सकती है तो वह गायत्री महिमा है, गायत्री पाठ है। इसीलिए, मैं मानता हूं कि समस्त संकटों को मिटाने के लिए और समस्त प्रकार की मानसिक दुर्बलताओं को दूर करने के लिए इंसान को श्रद्धापूर्वक गायत्री का जाप करना चाहिए । सुभाषचंद्र बोस-जिस तरह आग में तेज है, उसी तरह मनुष्य के अंदर तेजस्विता पैदा करने वाली शक्ति का नाम गायत्री है और मैं उस पर श्रद्धा रखता हूं।
रवींद्रनाथ ठाकुर से लेकर महात्मा गांधी जैसे महापुरुषों ने भी इस महामंत्र के गुण गाये हैं।
महर्षि वाल्मीकि ने रामायण में ऋषि विश्वामित्र के द्वारा श्रीराम और लक्ष्मण को उपदेश के प्रसंग में कहा है कि मेरी शक्ति तो केवल गायत्री है, इसीलिए हे राम, मैं तुम्हें केवल गायत्री का ही उपदेश दे सकता हूं। महर्षि वेदव्यास ने महाभारत में कहा है कि तीनों लोकों को जीतनेवाली शक्ति एक ही है। तीनों लोकों को पवित्र करनेवाली, सभी वेदों का सार 24 अक्षरों वाली गायत्री ही वह शक्ति है जिसका जप करते हुए मनुष्य अनेक पीड़ाओं व दु:खों के बीच भी प्रसन्न रहता है। आदि शंकराचार्य के अनुसार उन्होंने अपनी साधना में यह अनुभव किया है कि गायत्री मंत्र की साधना करनेवाला व्यक्ति को 40 प्रकार की शक्तियां प्राप्त होती है। टह मंत्र रोगों से मुक्ति दिला सकता है और घर-परिवार में सुख-शांति प्रदाता है।
भारतीय वैज्ञानिक चिंतन - भारतीय चिंतकों का कहना है कि हर मनुष्य के मस्तिष्क में ज्ञान-तंतु जहां जाकर जुड़ते हैं, उन बिंदुओं की संख्या 24 है तथा इंसान के अंदर 24 मर्म स्थल हैं, जहां मनुष्य अनेक प्रकार की संवेदनाओं का अनुभव करता है। गायत्री मंत्र में भी 24 ही अक्षर हैं। जब भी कोई इस मंत्र का पाठ करता है तो अनेक प्रकार की संवेदनाएं इस मंत्र के द्वारा होती हुई व्यक्ति के मस्तिष्क को पवित्र करती है।
वेदों ने एक ही मंत्र की पुनरावृत्ति की है। तो इसका अर्थ क्या है? साधारण मंत्र नहीं है यह। जप पद्धतियों में यह सर्वश्रेष्ठ शक्ति है।
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