Sunday, November 28, 2021

क्या अर्जुन का संपर्क परग्रही लोगों से था?




स्विस लेखक एरिक वान डेनिकेन की पुस्तक ‘चैरिएट आफ गॉड’ में परग्रहियों यानी एक्स्ट्रा टेरेस्ट्रियल का उल्लेख मिलता है। अर्थात हमारे ग्रह पृथ्वी से अलग किसी और ग्रह के लोग।इतना ही नहीं एरिक का तो यहां तक कहना है कि वे हमारी दुनिया पर बराबर नजर रख रहे हैं। उनके अनुसार वे बीच-बीच में हम लोगों से संपर्क करने का प्रयत्न भी करते हैं। यह भी कि कभी ना कभी उनका पृथ्वी के लोगों से संपर्क अवश्य होगा। डेनिकेन का कहना है कि भारत में महाभारत युद्ध के योद्धा अर्जुन का इन परग्रहियों से संबंध था। दुनिया में आज भी कई ऐसे लोग हैं जो इनके बारे में जानते हैं। ये परग्रही बुद्धि बल और ज्ञान-विज्ञान के मामले में पृथ्वी लोक के मानवों से बहुत-बहुत आगे हैं। उनके पास उन्नत किस्म के स्पेसशिप और अस्त्र आदि हैं। एरिक का कहना है कि पृथ्वी में पिरामिड जैसे व ऐसे अन्य प्राचीन निर्माण में इन परग्रहियों की भूमिका हो सकती है। वे यहां तक मानते हैं कि पृथ्वी पर अनेक बड़ी-बड़ी चट्टानों आदि में उत्कीर्ण अद्भुत से चित्र और मूर्तियां या अक्षर इन परग्रहियों द्वारा पृथ्वी के लोगों से संपर्क साधने का साधन भी हो सकते हैं। उड़नतश्तरियां भी इस तरह के दावे की पुष्टि करती सी लगती हैं। पृथ्वी पर कई जगह उड़नतश्तरियों के उतरने और उनसे विचित्र शक्ल के व्यक्तियों के निकलने की खबरें अक्सर पश्चिमी देशों से आती रही हैं। इन लोगों को एलियंस कहा जाता है। यह भी एक तरह से परग्रही ही होंगे। धर्म ग्रंथों में उल्लखित पुष्पक विमान आदि भी इस बात का प्रमाण हैं कि उन दिनों विज्ञान कितना आगे था। लोग पुष्पक विमान को काल्पनिक मानते थे लेकिन हमारे राष्ट्रपति रहे एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा था कि पुष्पक विमान कल्पना नहीं हकीकत थी। सुना है कलाम साहब की बतायी तकनीक के आधार पर हमारे वैज्ञानिक क्रयोजेनिक इंजन विकसित करने की दिशा में काफी आगे बढ़ गये हैं। अगर प्राचीन धर्मग्रंथों पर विश्वास करें तो महाभारत काल में कुंती के पुत्र अर्जुन वस्तुत: इंद्र को वरदान से हुए थे। इस बारे में कहा जाता है कि जब पाण्डु संतान उत्पन्न करने में असफल रहे तो कुन्ती ने उनको एक वरदान के बारे में याद दिलाया। कुन्ती को कुंआरेपन में महर्षि दुर्वासा ने एक वरदान दिया था जिसमें कुंती किसी भी देवता का आवाहन कर सकती थीं और उन देवताओं से संतान प्राप्त कर सकती थी। पाण्डु एवं कुन्ती ने इस वरदान का प्रयोग किया और इन्द्र देवता का आवाहन किया। इस प्रकार अर्जुन इन्द्र के पुत्र थे। उल्लेख मिलता है कि वे इंद्र के दरबार में भी गये थे जहां उनकी भेंट इंद्र के दरबार की अप्सरा उर्वशी से भेंट हुई। इससे सिद्ध होता है कि अर्जुन को पृथ्वी लोक से इंद्रलोक जाने की कला आती थी। यह भी सिद्ध होता है कि उसका परग्रहियों से संपर्क था। कहते हैं कि मंगल ग्रह से आए एक उल्कापिंड के कुछ ढांचे बैक्टीरिया के जीवाश्म जैसे लगते हैं। कुछ वैज्ञानिकों ने इसके परग्रही जीवन के चिन्ह होने का दावा किया। परग्रही जीवन या पथ्वी से इतर जीवन (एक्स्ट्रा टेरेस्ट्रिटल) वह सम्भावित जीवन है जो पृथ्वी से अलग किसी अन्य पिण्ड पर विद्यमान हो और जिसकी उत्पत्ति भी पृथ्वी से न हुई हो। यह परिकल्पित जीव सरल अकेन्द्रिक हो सकते हैं या मानवों से कहीं अधिक विकसित व शक्तिशाली सभ्यता वाले जीव भी हो सकते हैं। जिन कल्पनाओं में ऐसे परग्रही जीवन में बुद्धि की उपस्थिति मानी जाती है उसे "परग्रही चेतना" या एक्सट्रा टेरेस्ट्रियल इंटेलिजेंस कहते हैं। नासा चीफ बिल नेल्सन का कहना है कि ब्रह्मांड में हैं एलियन एक दिन उनसे होगा संपर्क। बिल नेल्सन पूर्व एस्ट्रोनॉट भी रहे हैं। उनका कहना है कि है इस ब्रह्मांड में इंसान अकेले सभ्य जीव नहीं हैं। इनके अलावा और भी बुद्धिमान जीवों के होने की जिन्हें हम इंटेलिजेंट लाइफ कहते हैं या आम भाषा में कहें तो एलियन कहा जाता है। मानव की एक दिन अवश्य इन एलियंस से भेंट होगी। नेल्सन का यह बयान पेंटागन द्वारा एलियन यानों पर दी गई रिपोर्ट के कुछ ही हफ्ते बाद आया है। रिपोर्ट में कहा गया था कि एलियन यानों की पुष्टि नहीं कर सकते, लेकिन धरती के अलावा भी कुछ ग्रहों पर इंटेलिजेंट जीवन का वास जरूर होगा। नासा लगातार इन चीजों पर नजर रख रही है। साथ ही अंतरिक्ष से आने वाले सिग्नलों, संदेशों का भी अध्ययन करने की कोशिश की जा रही है। नेल्सन का कहना है कि जब आपके सामने 13.5 बिलियन साल पुराना ब्रह्मांड हो तो इस बात की पूरी संभावना रहती है कि दूसरे सूरज भी होंगे। दूसरी धरती भी होगी, अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा लगातार अपने सौर मंडल और उससे बाहर के ग्रहों और तारों में ऐसे इंटेलिजेंट लाइफ को खोजने का काम कर रही है। हर धर्म के धर्मग्रंथों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि पृथ्वी के लोगों संदेश देने महान आत्माएं पृथ्वी पर आती थीं। इन्हें कोई देवता कहता है कोई देवदूत या फिर कोई एंजेल। इनका काम विश्व को शांति और प्रेम का संदेश देना था। हिस्ट्री चैनल की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्षों के वैज्ञानिक शोध के बाद यह पता चला कि 12 हजार वर्ष ईसा पूर्व धरती पर देवता या दूसरे ग्रहों के लोग पृथ्वी पर उतरे थे। हिस्ट्री चैनल की एक सीरिज अनुसार ऐसा माना जा सकता है कि वे अलग-अलग काल में अलग-अलग धर्म और समाज की रचना कर धरती के देवता या कहें कि फरिश्ते बन बैठे। सचमुच इंसान उन्हें अपना देवता या फरिश्ता मानता है।अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें कहा था कि एलियन के यान यूएफओ के बारे में पुख्ता जानकारी नहीं पर पृथ्वी के चारों ओर मौजूद लगभग दो हजार तारों के चारों तरफ एलियंस चक्कर लगा रहे हैं। ये तारे पृथ्वी से 325 प्रकाश वर्ष की दूरी के अंदर स्थित हैं। इनमें से 1402 तारे ऐसे हैं जहां पृथ्वी से पिछले 100 सालों में जितनी भी रेडियो तरंगें अंतरिक्ष में भेजी गई हैं, उन्हें 75 तारों के आसपास रोका गया है। ये तारे धरती से काफी पास हैं। स्टीवेन स्पेलबर्ग की एक बहुचर्चित अंग्रेजी फिल्म ‘एनकाउंटर आफ थर्ड काइंट’ आयी थी जो अनआइडेंटीफाइड आब्जेक्ट या यूएफओ पर आधारित थी। इसमें धरती के एक व्यक्ति का सामना यूएफओ से होता है तो उसके बाद क्या होता है यह दर्शाया गया है। अनजाने तथ्यों को जानने की उत्कट अभिलाषा ने ही मनुष्य को इस संधान के लिए प्रेरित किया कि हमारे विश्व के आसपास कोई दूसरी दुनिया है क्या है तो वहां के लोग कैसे हैं। प्राचीन सभ्यता के अनुसार इजिप्ट और माया सभ्यता के कुछ लोग मानते थे कि अंतरिक्ष से हमारे जन्मदाता एक निश्चित समय पर पुन: लौट आएंगे। उन्हें विश्वास था कि उनके देवता ओसाइशिरा उन्हें लेने जल्द वापस आयेंगे। यही वजह है की मिस्र के गिजा के निवासियों की मृत्यु के बाद उनके शरीर को ममी बना दिया जाता ‍कि उनके आकाशदेव उन्हें अं‍तरिक्ष में ले जाकर उन्हें फिर से जीवित कर देंगे। इजिप्ट के पिरामिडों की लिखावट से पता चलता है कि स्वर्ग से आए थे देवता और उन्होंने ही धरती पर जीवों की रचना की। इजिप्ट के राजा उन्हें अपना पूर्वज मानते थे। उन्होंने इजिप्टवासियों को कई तरह का ज्ञान दिया। उनकी कई पीढ़ियों ने यहां शासन किया। भारतीय, मिस्र, ग्रीस, मैक्सिको, सुमेरू, बेबीलोनिया और माया सभ्यता के अनुसार वे कई प्रकार के थे, जैसे आधे मानव और आधे जानवर। इंसानी रूप में वे लंबे-पतले थे। उनका सिर पीछे से लंबा था। वे 8 से 10 फीट के थे। अर्धमानव रूप में वे सर्प, गरूड़ और वानर जैसे थे। दूसरे वे थे जो राक्षस थे, जो बहुत ही खतरनाक और लंबे-चौड़े थे। चीन में पवित्र ड्रेगन को स्वर्गदूत माना जाता है, स्वर्गदूत मनुष्यों से बिलकुल अलग स्तर के प्राणी हैं। मनुष्य मरने के बाद स्वर्गदूत नहीं बन जाते हैं। स्वर्गदूत भी कभी मनुष्य नहीं बनेंगे और न कभी मनुष्य थे। परमेश्वर ने ही स्वर्गदूत की सृष्टि की, जैसे कि उसने मानव जाति को बनाया। रूस में आज भी पुरातत्त्ववेताओं को कभी-कभी खुदाई करते हुए प्राचीन रूसी देवी-देवताओं की लकड़ी या पत्थर की बनी मूर्त्तियाँ मिल जाती हैं। कुछ मूर्त्तियों में दुर्गा की तरह अनेक सिर और कई-कई हाथ बने होते हैं। रूस के प्राचीन देवताओं और हिन्दू देवी-देवताओं के बीच बहुत ज़्यादा समानता है। यह हो सकता है कि रूस में भी पहले लोग हिन्दू ही होंगे। बाद में उन्होंने दूसरे धर्म स्वीकार कर लिये होंगे। ब्रह्मा को सृष्टि का सर्जक विष्णु को पालक और शिव को संहारक माना जाता है। परग्रही यानी दूसरी दुनिया के लोगों या एलियंस के अस्तित्व को लेकर भले ही अभी संदेह हो लेकिन इनको लेकर अक्सर कई तरह की बातें सुनने में आती ही रहती हैं। कहा तो यहां तक जाता है कि पृथ्वी से बाहर अंतरिक्ष में मौजूद एलियंस और अन्य जीव पृथ्वी के लिए खतरा हैं। भविष्य में ये जीव पृथ्वी पर आक्रमण भी कर सकते हैं। हाल ही में वैज्ञानिकों ने खुलासा किया है कि अभी तक एलियंस या बाह्य जीवों का धरती पर हमला करना सिर्फ एक कल्पना मात्र था. लेकिन अब जल्द ही ये कल्पना हकीकत में बदल सकती है। सच्चाई कुछ भी हो लेकिन यह तय है कि व्यक्ति का स्वभाव सदा से अज्ञात को जानने के प्रति लालायित रहा है। वह दिन दूर नहीं जब हम परग्रहियों के बारे में और अधिक जानकारी हासिल करने में सफल होंगे। यह भी सच है कि हमारे धर्मग्रंथों में भगवान के अनेक अवतारों के रूप में पृथ्वी पर आने का उल्लेख मिलता है।

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