Sunday, March 6, 2022

बजरंग बाण के पाठ से होते हैं चमत्कारिक लाभ

 


हनुमान जी का एक नाम संकट मोचन भी है। श्रद्धापूर्वक उनके नाम का जाप करने से मनोकामनाएं तो पूरी होती ही हैं सारे कष्ट भी दूर हो जाते हैं। हनुमान  जी को प्रसन्न करने के लिए आपने लोगों को हनुमान चालीसा का पाठ करते देखा होगा। हनुमान जी को प्रसन्न करने और कार्य सिद्धि के लिए  बजरंग बाण का नियमित पाठ भी मनोबल बढ़ाता  और सभी तरह के कष्टों से मुक्ति दिलाता है। बजरंग  बाण के पाठ से हृदय रोगों और रक्तचाप के कष्ट में भी लाभ होता है। जो बच्चे कोई भी काम करने से डरते हों, कमजोर हों अगर उन्हें बजरंग बाण का पाठ करवाया जाय तो उनकी यह आदत ठीक हो जाती है।

बजरंग बाण पाठ के बहुत लाभ हैं। हनुमान जी के नाम का जाप शीघ्र  फल प्रदान करने वाला है। हनुमान जी की आराधना करने में नियम, संयम का पालन करना बहुत जरूरी होता है। नियम, संयम में त्रुटि होने पर हनुमान जी अप्रसन्न हो जाते हैं। उनकी आराधना के समय किसी भी तरह के बुरे व्यसन या आदतें छोड़ देनी चाहिए तभी फल की प्राप्ति होगी। संकटमोचन हनुमान जी के अनेक रूप हैं। उनमें से एक वज्र रूप भी है। वज्र रूप वाले हनुमान जी को बजरंगबली कहा जाता है। बजरंगबली को प्रसन्न करने के लिए बजरंग बाण का पाठ करना चाहिए। विधिवत बजरंग बाण का पाठ करने से अनेक लाभ होते हैं, जीवन सभी कष्टों से मुक्त हो जाता है। कैसे करें पूजा- कार्य की सिद्धि और संकट दूर करने के लिए मंगल या शनिवार के दिन बजरंग बाण का पाठ करना चाहिए। हनुमान जी का एक चित्र या मूर्ति सामने एक चौकी में स्थापित कर लें। एक आसन में बैठ कर पाठ करें। यह पाठ करने के लिए शुद्ध स्थान तथा शान्त वातावरण होना चाहिए।आप यह पाठ किसी हनुमान मन्दिर में भी कर सकते हैं। पाठ करते समय सामने एक दीपक अवश्य जला कर रख लेना चाहिए।

गेंहू, चावल, मूंग, उड़द व काले तिल पांचों को अनुष्ठान से एक दिन पूर्व एक-एक मुट्ठी लेकर शुद्ध गंगाजल में भिगो दें। अनुष्ठान वाले दिन इन अनाजों को पीसकर उनका दीपक बना लें। बत्ती के लिए अपनी लम्बाई के बराबर रक्षासूत्र का एक धागा लेकर इसे पांच बार मोड़ लें। इस प्रकार के धागे की बत्ती बनाकर उसे सुगन्धित तेल या इत्र में डालकर प्रयोग करें। पूरी पूजा के समय यह दीपक जलता रहना चाहिए। हनुमान जी को गूगुल की धूनी सबसे प्रिय है। जप के प्रारम्भ में संकल्प अवश्य लेना चाहिए कि मनोकामना पूर्ण होने पर हम हनुमान जी के निमित्त कुछ न कुछ करते रहेंगे। अब शुद्ध उच्चारण से हनुमान जी की छवि पर ध्यान केन्द्रित करके बजरंग बाण जाप करें। बजरंग बाण का पाठ करने से चमात्कारिक लाभ होते हैं। आप शत्रुओं व विरोधियों से परेशान हैं तो हर मंगलवार को 11 बार बजरंग बाण का पाठ करें। बजरंग बाण का नियमित पाठ करने से आत्म-विश्वास व साहस में वृद्धि होती है। ह्रदय रोगियों व ब्लड प्रेशर के रोगियों को बजरंग बाण का पाठ करने से विशेष लाभ होता है। अगर हर कार्य में बाधा आ रही हो तो शनिवार के दिन 21 बार बजरंग बाण का पाठ करने से बाधाएं दूर हो जाती हैं। अगर आप किसी महत्वपूर्ण कार्य के लिए जा रहे हों तो उसकी सिद्धि के लिए  पांच बार बजरंग बाण का पाठ करके जाइये सफलता मिलेगी। यदि आपके व्यापार में निरंतर हानि हो रही है तो अपने व्यावसायिक प्रतिष्ठान पर लगातार 8 मंगलवार बजरंग बाण का पाठ करें या किसी पंडित से करवायें। लाभ अवश्य मिलेगा।

विशेष मनोकामना के लिए बजरंग बाण का पाठ कर रहे हैं तो कम से कम 41 दिनों तक यह पाठ नियमपूर्वक करना चाहिए।

हनुमान जी की कृपा पाने के लिए भगवान राम का सुमिरन करना चाहिए और नित्य हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।

हनुमान जी ऐसे देवता है जो कलयुग में भी पृथ्वी पर विद्यमान हैं। भगवान हनुमान की पूजा आराधना करने से मनुष्य हर प्रकार के भय से मुक्त हो जाता है।हनुमान जी की पूजा करने से मनोबल में वृद्धि होती है। ज्यादातर लोग हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं।इसके साथ ही अगर बजरंग बाण का पाठ भी किया जाए तो इससे  बजरंगबली की कृपा प्राप्त होती है। इस पाठ को करने से आप कई तरह की समस्याओं से मुक्ति पा सकते हैं। बजरंग बाण के पाठ की विधि

बजरंग बाण के पाठ में इन पक्तियों को अवश्य पढ़ना चाहिए जिसमें भगवान राम की सौगंध का उल्लेख है। यह इस प्रकार हैं- भूत प्रेत पिशाच निसाचर। अगिन बेताल काल मारी मर।

इन्हें मारु,तोहिं सपथ राम की। राखु नाथ मर्याद नाम की।

जनक सुता हरि दास कहावौ। ताकी सपथ विलम्ब न लावौ।

उठु उठु चलु तोहिं राम दोहाई। पांय परौं कर जोरि मनाई।।

 

-बजरंग बाण पाठ मंगलवार से शुरू करना चाहिए।

-मंगलवार के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें.

-पूजा स्थान पर भगवान हनुमान की मूर्ति स्थापित करें।

-भगवान गणेश सभी देवों में प्रथम पूजनीय हैं। इसलिए बजरंग बाण का आरंभ करते समय सर्वप्रथम गणेश जी की आराधना करें।

इसके बाद भगवान राम और माता सीता का ध्यान करें।

उसके बाद हमुमान जी को प्रणाम करके बजरंग बाण के पाठ का संकल्प लें।

हनुमान जी को फूल अर्पित करें और उनके समक्ष धूप, दीप जलायें।

शुद्ध आसन में बैठ कर बजरंग बाण का पाठ आरंभ करें।

पाठ पूर्ण हो जाने के बाद भगवान राम का स्मरण और भजन करें।

हनुमान जी को प्रसाद के रूप में चूरमा, लड्डू और अन्य मौसमी फल अर्पित कर सकते हैं।

बजरंग बाण के नियम

-जितनी बार बजरंग बाण पाठ का संकल्प लें, उतनी बार रुद्राक्ष की माला से पाठ करें। बजरंग का बाण पाठ करते समय ध्यान रखें कि शब्दों का उच्चारण साफ और स्पष्ट होना चाहिए।

अगर आप किसी विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए बजरंग बाण का पाठ कर रहे हैं तो कम से कम 41 दिनों तक यह पाठ नियम से करें।

पाठ के दिनों में दौरान विशेष रूप से लाल रंग के कपड़े धारण करें। लाल रंग हनुमान जी को बहुत प्रिय है।

जितने दिन तक बजरंग बाण का पाठ करें उतने दिनों तक पूरी तरह से ब्रह्मचर्य का पालन अवश्य करना चाहिए।

यदि कोई ऐसी बीमारी है, जिससे आप काफी समय से परेशान है, तो आप उससे मुक्ति के लिए भी बजरंग बाण का पाठ पूरे विधि विधान से करें अवश्य लाभ होगा। हमेशा मन में डर बना रहता है, अकारण ही आप भयभीत रहते हैं, तो हनुमान जी आपके सभी डर को दूर करने में सक्षम हैं। आपको बजरंग बाण का पाठ करना चाहिए।

बजरंग बाण

दोहा

निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करैं सनमान।

तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान।।

चौपाई

जय हनुमन्त सन्त हितकारी। सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी।।

जन के काज विलम्ब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै।।

जैसे कूदि सिन्धु वहि पारा। सुरसा बदन पैठि विस्तारा।।

आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुर लोका।।

जाय विभीषण को सुख दीन्हा। सीता निरखि परम पद लीन्हा।।

बाग उजारि सिन्धु मंह बोरा। अति आतुर यम कातर तोरा।।

अक्षय कुमार को मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा।।

लाह समान लंक जरि गई। जै जै धुनि सुर पुर में भई।।

अब विलंब केहि कारण स्वामी। कृपा करहु प्रभु अन्तर्यामी।।

जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता। आतुर होई दुख करहु निपाता।।

जै गिरधर जै जै सुख सागर। सुर समूह समरथ भट नागर।।

ॐ हनु-हनु-हनु हनुमंत हठीले। वैरहिं मारू बज्र सम कीलै।।

गदा बज्र तै बैरिहीं मारौ। महाराज निज दास उबारों।।

सुनि हंकार हुंकार दै धावो। बज्र गदा हनि विलम्ब न लावो।।

ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमंत कपीसा। ॐ हुँ हुँ हुँ हनु अरि उर शीसा।।

सत्य होहु हरि सत्य पाय कै। राम दूत धरू मारू धाई कै।।

जै हनुमन्त अनन्त अगाधा। दुःख पावत जन केहि अपराधा।।

पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत है दास तुम्हारा।।

वन उपवन जल-थल गृह माहीं। तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं।।

पाँय परौं कर जोरि मनावौं। अपने काज लागि गुण गावौं।।

जै अंजनी कुमार बलवन्ता। शंकर स्वयं वीर हनुमंता।।

बदन कराल दनुज कुल घालक। भूत पिशाच प्रेत उर शालक।।

भूत प्रेत पिशाच निशाचर। अग्नि बैताल वीर मारी मर।।

इन्हहिं मारू, तोंहि शमथ रामकी। राखु नाथ मर्याद नाम की।।

जनक सुता पति दास कहाओ। ताकी शपथ विलम्ब न लाओ।।

जय जय जय ध्वनि होत अकाशा। सुमिरत होत दुसह दुःख नाशा।।

उठु-उठु चल तोहि राम दुहाई। पाँय परौं कर जोरि मनाई।।

ॐ चं चं चं चं चपल चलन्ता। ॐ हनु हनु हनु हनु हनु हनुमंता।।

ॐ हं हं हांक देत कपि चंचल। ॐ सं सं सहमि पराने खल दल।।

अपने जन को कस न उबारौ। सुमिरत होत आनन्द हमारौ।।

ताते विनती करौं पुकारी। हरहु सकल दुःख विपति हमारी।।

ऐसौ बल प्रभाव प्रभु तोरा। कस न हरहु दुःख संकट मोरा।।

हे बजरंग, बाण सम धावौ। मेटि सकल दुःख दरस दिखावौ।।

हे कपिराज काज कब ऐहौ। अवसर चूकि अन्त पछतैहौ।।

जन की लाज जात ऐहि बारा। धावहु हे कपि पवन कुमारा।।

जयति जयति जै जै हनुमाना। जयति जयति गुण ज्ञान निधाना।।

जयति जयति जै जै कपिराई। जयति जयति जै जै सुखदाई।।

जयति जयति जै राम पियारे। जयति जयति जै सिया दुलारे।।

जयति जयति मुद मंगलदाता। जयति जयति त्रिभुवन विख्याता।।

ऐहि प्रकार गावत गुण शेषा। पावत पार नहीं लवलेषा।।

राम रूप सर्वत्र समाना। देखत रहत सदा हर्षाना।।

विधि शारदा सहित दिनराती। गावत कपि के गुन बहु भाँति।।

तुम सम नहीं जगत बलवाना। करि विचार देखउं विधि नाना।।

यह जिय जानि शरण तब आई। ताते विनय करौं चित लाई।।

सुनि कपि आरत वचन हमारे। मेटहु सकल दुःख भ्रम भारे।।

एहि प्रकार विनती कपि केरी। जो जन करै लहै सुख ढेरी।।

याके पढ़त वीर हनुमाना। धावत बाण तुल्य बनवाना।।

मेटत आय दुःख क्षण माहिं। दै दर्शन रघुपति ढिग जाहीं।।

पाठ करै बजरंग बाण की। हनुमत रक्षा करैं प्राण की।।

डीठ, मूठ, टोनादिक नासै। परकृत यंत्र मंत्र नहीं त्रासे।।

भैरवादि सुर करै मिताई। आयुस मानि करै सेवकाई।।

प्रण कर पाठ करें मन लाई। अल्प-मृत्यु ग्रह दोष नसाई।।

आवृत ग्यारह प्रतिदिन जापै। ताकी छाँह काल नहिं चापै।।

दै गूगुल की धूप हमेशा। करै पाठ तन मिटै कलेषा।।

यह बजरंग बाण जेहि मारे। ताहि कहौ फिर कौन उबारे।।

शत्रु समूह मिटै सब आपै। देखत ताहि सुरासुर काँपै।।

तेज प्रताप बुद्धि अधिकाई। रहै सदा कपिराज सहाई।।

दोहा

प्रेम प्रतीतिहिं कपि भजै। सदा धरैं उर ध्यान।।

तेहि के कारज तुरत ही, सिद्ध करैं हनुमान।।

बजरंग बाण का मंत्र कौन सा है?

ॐ चं चं चं चं चपल चलन्ता। ॐ हनु हनु हनु हनु हनु हनुमंता।। ॐ हं हं हांक देत कपि चंचल। ॐ सं सं सहमि पराने खल दल।।

भगवान हनुमान जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता हैं और इनकी पूजा आराधना करने से तमाम तरह की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। चाहे समस्या कितनी भी बड़ी हो अगर हनुमानजी का सच्चे मन से स्मरण करे तो हर समस्या सुलझ जाती है। 12 चमत्कारी नामों का पाठ करने से हनुमान जी होते हैं प्रसन्न होते हैं।

अगर शनि,राहु,केतु जैसे क्रूर ग्रहों की महादशा चल रही हो तो तिल के तेल का दीपक जलाकर सिर्फ 3 बार बजरंगबाण का पाठ करने से ग्रह दशा ठीक हो जाती है।

अगर नौकरी करते समय तमाम तरह की बाधाएं आ रही हो या फिर नौकरी छूटने का डर हो तो बजरंगबाण का पाठ करें। इसके लिए आपको मंगलवार का व्रत भी रखना होगा।

ऐसी मान्यता है कि जब किसी को कोई गंभीर बीमारी हो और उस दवा का असर न हो तो इसके लिए 2 बार बजरंग बाण का पाठ करना चाहिए।अगर आपके घर में वास्तुदोष के चलते तमाम तरह की परेशानियां आ रही है तो इस समस्या से मुक्ति पाने के लिए तीन बार बजरंग बाण का पाठ करना चाहिए।

विवाह बाधा दूर करने  के लिए केले के पेड़ के नीचे बजरंग बाण का पाठ करना चाहिए।

 पेट की गंभीर समस्या या रोग मंगल गृह के प्रतिकूल होने से होती है। अगर इस तरह के रोग से मुक्ति पानी हो तो हनुमान जी को 21 पान के पत्ते की माला चढ़ाते हुए 5  बार बजरंग बाण का पाठ करना चाहिये। पाठ के समय घी का दीप अवश्य  जलायें।

नौकरी छूट गयी हो या छूटने का डर हो तो बजरंगबाण का पाठ रात में   करना चाहिए। अगर आप    हनुमान जी को नारियल चढ़ाने के बाद,  उसे लाल कपड़े में लपेट कर घर के आग्नेय कोण में रखते हैं  तो अवश्य लाभ होगा।

 कई बार घर में वास्तुदोष के चलते भी तरह-तरह की समस्याएं हो जाती हैं। घर का वास्तुदोष दूर करने के लिए 3 बार बजरंगबाण का  पाठ करना चाहिए। हनुमान जी को लाल झंडा चढ़ाने के बाद उसे घर के दक्षिण दिशा में लगाने से भी वास्तुदोष से मुक्ति  मिलती है। घर में सकारात्मक ऊर्जा के लिए   पंचमुखी हनुमान की प्रतिमा घर के मुख्य द्वार पर लगायें।

कई बार गंभीर बीमारी में दवा लाभ  नहीं करती। इसके लिए दो बार बजरंग बाण   का पाठ करना  चाहिए। इससे दवा का असर होने लगेगा।

हनुमान जी के 2 नाम

1 ॐ हनुमान

2 ॐ अंजनी सुत

3 ॐ वायु पुत्र

4 ॐ महाबल

5 ॐ रामेष्ठ

6 ॐ फाल्गुण सखा

7 ॐ पिंगाक्ष

8 ॐ अमित विक्रम

9 ॐ उदधिक्रमण

10 ॐ सीता शोक विनाशन

11 ॐ लक्ष्मण प्राण दाता

12 ॐ दशग्रीव

इन बारह नामों का जाप करने से बहुत लाभ मिलता है। इन्हें सिंदूर या रोली घोल कर एक कागज में लिख कर द्वार के बाहरी दरवाजे की चौखट के बीचोंबीच चिपकाने से घर में नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश नहीं करती।

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