Wednesday, October 26, 2022

ऋषि सुनक के ब्रिटिश पीएम बनने का भारत पर असर

 

ऋषि सुनक

भारतीय मूल के ऋषि सुनक ब्रिट्रिश के प्रधानमंत्री बन गये हैं। किंग चार्ल्स (तृतीय) द्वारा ऋषि सुनक को ब्रिटिश का नया प्रधानमंत्री घोषित किए जाने के बाद ऋषि सुनक 10 डाउनिंग स्ट्रीट पर पहुंच गये हैं। 10 डाउनिंग स्ट्रीट ब्रिटिश प्रधानमंत्री की आधिकारिक निवास है। वे ब्रिटेन के 57 वें प्रधानमंत्री हैं। ऋषि सुनक सोमवार 24 अक्टूबर को ही कंजरवेटिव पार्टी के नेता चुन लिये गये थे। इस तरह वह ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनने वाले भारतीय मूल के पहले सांसद बन गए हैं। सुनक को 190 से अधिक सांसदों का समर्थन मिला। वहीं उनकी विरोधी पेनी मोर्डंट 100 सांसदों का जरूरी समर्थन हासिल करने में भी नाकाम रहीं और प्रधानमंत्री की दौड़ से बाहर हो गयीं। समय का फेर देखिए जिन अंग्रेजों ने हमारे देश पर वर्षों तक राज किया आज उनका प्रधानमंत्री एक भारतीय मूल का व्यक्ति बना है।

पेनी मोर्डंट ने स्वयं ट्वीट कर के यह घोषणा दी कि वह प्रधानमंत्री पद की दौड़ से बाहर हो रही हैं। इसके साथ ही उन्होंने अपने इस ट्वीट में यह भी जोड़ा कि वे ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के रूप में सुनक को समर्थन दे रही हैं।
ब्रिटेन के नए पीएम ऋषि सुनक ने देश को संबोधित करते हुए कई महत्वपूर्ण बातें कहीं। उनके इस भाषण में अर्थव्यवस्था में सुधार से लेकर जनता का विश्वास प्राप्त करने की बात शामिल थी। उन्होंने अपने संबोधन में और भी कई महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं। जिनमें सबसे महत्वपूर्ण यह है कि उन्होंने कहा कि वे अगली पीढ़ी के लिए ऋण नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने अपने पहले संबोधन में यह भी कहा कि इस समय देश रूस यूक्रेन युद्ध और महामारी के कारण गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। कुछ गलतियां हुईं थीं जिनको ठीक करने के लिए उन्हें चुना गया है और इन गलतियों को ठीक करने का काम तुरंत शुरू होगा। आज हम जिन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं उनसे निपटने का आप लोगों से वादा करता हूं। भारत के विकास कार्यों और प्रगति से वे काफी प्रभावित हैं और चाहते हैं कि ब्रिटेन भी इसी तरह विकास के पथ पर चले। उनके प्रधानमंत्री बनने से भारत और ब्रिटेन के आपसी संबंधों साथ ही व्यापारिक संबंधों में सुधार की उम्मीद है।
42 वर्षीय सुनक इससे पहले ब्रिट्रिश वित्त मंत्री रह चुके हैं। उन्होंने अपने संबोधन में यह बात भी कही कि उनकी सरकार ऐसी अर्थव्यवस्था का निर्माण करेगी, जो ब्रेक्सिट के अवसरों का अधिकतम लाभ उठाये। ब्रेक्सिट ब्रिटेन और एक्जिट दो शब्दों से मिल कर बना है। यह ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के बाहर होने का परिचायक है। उन्होंने कहा कि इस समर्थन का मैं पूरी इमानदारी के साथ निर्वहन करते हुए आपके लिए कार्य करूंगा। भरोसा जीता जाता है और मैं आपका भरोसा जीतूंगा।
उन्होंने बेहतर स्कूल, सुरक्षित सड़कें, सीमाओं पर नियंत्रण, पर्यावरण की रक्षा, सशस्त्र बलों का समर्थन करने और अमीर-गरीब के बीच के खाई को कम करने की प्रतिज्ञा ली। उन्होंने कहा कि वे अपने देश को सिर्फ शब्दों से ही नहीं बल्कि कार्य के जरिए भी एकजुट रखूंगा। मैं अविश्वसनीय उपलब्धियों के लिए बोरिस जॉनसन का हमेशा आभारी रहूंगा।
यह उम्मीद की जा रही है कि सुनक के शपथ लेने के बाद भारत-ब्रिटेन के रिश्तों में मजबूती आने की आशा है। ऋषि सुनक शुरू से ही भारत के साथ मजबूत संबंध रखने के पक्षधर रहे हैं। भारत और ब्रिटेन में फ्री ट्रेड एग्रीमेंट को लेकर बातचीत चल रही है।
फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर भारत-ब्रिटेन में बात बन सकती है। प्रवासियों के वीजा पर भी दोनों देशो में हाल में ही प्रगति देखने को मिली है।
भारत के लिए सबसे अच्छी बात यह है कि ऋषि सुनक भारत और ब्रिटेन के बीच अच्छे संबंधों के पक्षधर हैं। वे चाहते हैं कि ब्रिटेन भी भारत से सीखे।
सुनक जब ब्रिटेन के वित्त मंत्री थे तब उन्होंने कहा था कि ब्रिटेन का अवसरों पर एकछत्र राज नहीं है। भारत में भी विशाल अवसर हैं और हमें सुनिश्चित करना चाहिए कि ब्रिटिश लोगों को भी भारत जाने की सुगमता हो, ताकि वे विश्व स्तरीय संस्थानों में पढ़ सकें और वहां के शानदार स्टार्टअप में काम कर सके।
सुनक निवेश बैंकर के रूप में काम करने के बाद राजनीति में आए हैं।
सुनक ने प्रधानमंत्री के रूप में अपने पहले संबोधन में कहा कि आज हम जिन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, मैं उनसे उसी तरह सहानुभूतिपूर्ण तरीके से निपटने का प्रयास करूंगा। सुनक ब्रिटेन के पहले गैर श्वेत प्रधानमंत्री है जो यह जताता है कि आधुनिक ब्रिटेन विविधता का पक्षधर है। सुनक पांच सितंबर को कंजरवेटिव पार्टी की नेता लिज ट्रस से प्रधानमंत्री पद की दौड़ में हार गए थे। हालांकि ट्रस ने 45 दिनों के बाद पद से इस्तीफा दे दिया।
कौन हैं ऋषि सुनक
भारतीय मूल के माता-पिता की संतान हैं सुनक। सुनक के माता-पिता सेवानिवृत्त डॉक्टर यशवीर और फार्मासिस्ट उषा सुनक हैं।1960 के दशक में केन्या से ब्रिटेन आए थे। सुनक का विवाह इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति की बेटी अक्षता मूर्ति से हुई है। सुनक दंपति की दो बेटियां हैं। सुनक का जन्म साउथेम्प्टन में हुआ था। सुनक के दादा-दादी भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान पैदा हुए थे, लेकिन उनका जन्मस्थान अब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित गुजरांवाला में पड़ता है।
साल भर में ब्रिटेन के तीसरे प्रधानमंत्री हैं सुनक। पार्टीगेट प्रकरण के बाद बोरिस जॉनसन की 10 डाउनिंग स्ट्रीट(ब्रिटिश प्रधानमंत्री का आधिकारिक आवास) से विदाई और लिज ट्रस के मिनी-बजट की नाकामी के बाद सिर्फ सात सप्ताह के अंतराल पर तीसरे प्रधानमंत्री के रूप में, नए नेता को वैश्विक उथल-पुथल के दौर में अर्थव्यवस्था को बचाने और गहराई से विभाजित कंजरवेटिव पार्टी को एकजुट करने के कठिन कार्य का सामना करना है।
सुनक को ऐसे समय में सत्ता की कमान संभालने का मौका मिला है जब ब्रिटेन धीमी गति से विकास की तिहरी मार-उच्च मुद्रास्फीति, यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर ऊर्जा की कीमतों में बढ़ोतरी और बजट की नाकामी के मुद्दे से जूझ रहा है।इसके चलते अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की वित्तीय विश्वसनीयता को कमजोर हुई है। देश के पास अब कर दरों को बढ़ाने और खर्च में कटौती करने के अतिरिक्त और कोई विकल्प नहीं बचा।में कटौती करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा, जो अलोकप्रिय होगा और इसके अप्रत्याशित राजनीतिक परिणाम भी हो सकते हैं।
स्टैनफोर्ड और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के स्नातक सुनक 2015 में यॉर्कशायर के रिचमंड से सांसद चुने गए थे। वह वित्त मंत्रालय में कनिष्ठ पदों पर रहे और फिर वित्त मंत्री बने और जुलाई में पार्टी नेतृत्व के लिए ‘‘रेडी फॉर ऋषि’’ अभियान शुरू किया। सुनक ने ब्रिटेन के पहले गैर-श्वेत प्रधानमंत्री बनने के लिए दौड़ के बारे में एक सवाल पर कहा था-मैंने जो सबसे बड़ा त्याग किया है, वह यह है कि मैं पिछले कुछ वर्षों से एक बहुत खराब पति और पिता रहा हूं।
धर्मनिष्ठ हिंदू सुनक ने हाउस ऑफ कॉमन्स का सदस्य चुने जाने पर भगवद्गीता पर हाथ रख कर शपथ ली थी। अपने व्यस्त कार्यक्रमों के दौरान भी वह इस्कॉन मंदिर में दर्शन करने रहे। वह पहले ब्रिटिश चांसलर थे जिन्होंने इस पद पर रहते हुए अपने आधिकारिक निवास 11 डाउनिंग स्ट्रीट के द्वार पर दिवाली के अवसर पर दीया जलाया।
12 मई, 1980 को ब्रिटेन के साउथेम्प्टन में जन्में सुनक एमबीए हैं। वे धर्म से हिंदू और जाति से ब्राह्मण हैं। ऋषि सुनक के भाई संजय एक मनोवैज्ञानिक हैं, साथ ही उनकी बहन राखी विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय में शांति निर्माण और संयुक्त राष्ट्र के लिए काम करती हैं।
ऋषि सुनक की प्रारंभिक शिक्षा विनचेस्टर कॉलेज में हुई। इसके बाद उन्होंने आगे की शिक्षा लिंकन कॉलेज ऑक्सफोर्ड से की। जहां उन्होंने राजनीति और अर्थशास्त्र का अध्ययन किया। अपनी पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने कंजर्वेटिव कैम्पेन मुख्यालय में इंटर्नशिप भी की। 2006 में उन्होंने स्टैनफोर्ड विश्वविधालय से एमबीए की डिग्री हासिल की।
ऋषि सुनक ने अपनी पहली नौकरी कैलिफोर्निया में स्थित एक अमेरिका निवेश बैंक में की जिसका नाम था गोल्डमैन सैक्स। इसमें उन्होंने बतौर विश्लेषक के रूप में काम किया। साल 2004 में उन्होंने हेज फंड मैनेजमेंट फर्म द चिल्ड्रन इन्वेस्टमेंट फंड मैनेजमेंट में भी काम किया। उसके बाद साल 2009 में नौकरी छोड़ दी। अक्टूबर 2010 में लगभग 536 मिलियन डॉलर के शुरूआती निवेश से फर्म शुरू की। जिसका नाम रखा थेलेम पार्टनर्स।
फिर 2013 में उन्हें और उनकी पत्नी को उनके ससुर ने निवेश फर्म कैटामारन वेंचर्स यूके लिमिटेड का निदेशक बनाया। जिसके बाद उन्होंने 30 अप्रैल 2015 को इस पद से इस्तीफा दे दिया।
ऋषि सुनक की उनकी पत्नी से पहली मुलाकात स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में हुई। जहां वो और उनकी पत्नी एमबीए की पढ़ाई कर रहे थे। उनकी पत्नी भारतीय अरबपति एनआर नारायण मूर्ति की बेटी हैं। साथ ही वो कटमरैन वेंचर्स के निदेशक के रूप में भी काम करती हैं। ऋषि सुनक और उनकी पत्नी नॉर्थ यॉर्कशायर के नॉर्थहेलर्टन के पास रहते हैं। जिनके साथ उनकी दो बेटियां भी रहती हैं।

ऋषि सुनक को सबसे ज्यादा फिट रहना, क्रिकेट और फुटबॉल खेलना बेहद पंसद है।
ऋषि सुनक को इंग्लैंड के सबसे अमीर लोगों में से एक हैं। ऋषि सुनक ने व्यापार और राजनीति में बहुत पैसा कमाया है। भारतीय रूपयो में इसकी बात करें तो ये करीबन 300 करोड़ के बराबर है।

ऋषि सुनक साल 2014 में पहली बार ब्रिटेन की संसद में कदम रखा। दरअसल जिस समय वो संसद में पहुंचे तब उस समय पूर्व सांसद विलियम हेग ने रिचमंड को चुनाव लड़ाने से इनकार कर दिया। जिसके बाद ऋषि सुनक ने रिचमंड की जगह ली और कंजर्वेटिव एमपी उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े।
साल 2015 में ऋषि सुनक ने चुनाव लड़ा और उसमे जीत हासिल की। चुनाव जीतने के बाद उन्होंने 2015 से लेकर 2017 तक ब्रिटेन के पर्यावरण, खाद्य और ग्रामीण मामलों की चयन समिति में काम किया।
इसके बाद साल 2017 में ऋषि सुनक को भारी वोट मिले। जिसके बाद वे एक बार फिर सांसद के रूप में चुने गए।
24 जुलाई 2019 में उनके बेहतरीन काम को देख कर ब्रिटेन के पीएम बोरिस जॉनसन ने उन्हें ट्रेजरी के मुख्य सचिव के रूप में नियुक्त किया।
2019 में वे दोबारा एमपी के रूप में चुने गए और इस बार उन्हें भारी मत मिले। जिसके बाद वे तीसरी बार सांसद बने। अपनी प्रतिभा और कार्यशैली से वे आगे बढ़ते रहे। जिसके बाद 12 फरवरी 2020 को वो बोरिस जॉनसन के कैबिनेट में वित्त मंत्री के तौर पर नियुक्त हुए।
11 मार्च 2020 को उन्होंने अपना पहला बजट पेश किया था। अपने कार्यकाल के दौरान ऋषि सुनक ने कोरोना महामारी से परेशान लोगों की मदद को लेकर एक बड़ा ऐलान किया था।जिसमे उन्होंने करीबन 30 मिलियन खर्च करने का ऐलान किया। जिसके कारण कई लोगों की जान भी बचाई गई जिनके पास खाने के लिए कुछ नहीं था। इसके बाद 17 मार्च 2020 को उन्होंने व्यवसायों के लिए आपातकालीन सहायता में 330 बिलियन और कर्मचारियों के लिए वेतन की घोषणा की। इसमें उन्हें सब्सिडी प्राप्त कराई गई।
ऋषि सुनक को 24 जुलाई 2019 को प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन द्वारा चांसलर साजिद जाविद के साथ काम करते हुए ट्रेजरी के मुख्य सचिव के रूप में नियुक्त किया गया। उसी के अगले दिन वे प्रिवी काउंसिल के सदस्य बने। उन्हें 2019 के आम चुनाव में 47.2 प्रतिशत के बढ़े हुए बहुमत के साथ चुने गए। चुनाव अभियान के दौरान सुनक ने कंजर्वेटिव का प्रतिनिधित्व किया।
ऋषि सुनक को बोरिस जॉनसन का वफादार माना जाता है। वहीं उन्हें उभरते सितारे के रूप में भी देखा जाता है।
ऋषि सुनक की दो बेटियां हैं जिन दोनों की शादी हो चुकी हैं।
ऋषि सुनक 2001 से 2004 तक निवेश बैंक में काम किया करते थे। 

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