Wednesday, August 17, 2011

इस धर्मयुद्ध के सहभागी बनें

प्यारे देशवासियों हमारा देश आज एक ऐसे कठिन दौर से गुजर रहा है जहां हर कदम पर गणतांत्रिक अधिकारों की हत्या की जा रहा है। भ्रष्टाचार का दानव आज सिर चढ़ कर बोल रहा है। इसे परास्त करने के बजाय बहुत हद तक इसका पोषण किया जा रहा है। भ्रष्टाचार के खिलाफ उठी हर आवाज को दबाने की कोशिश यही दरशाती है कि कोई है जो भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए गंभीर नहीं है। एक शख्स भ्रष्टाचार की लड़ाई में हिंदुस्तान की आवाज बन गया है। बल्कि हम कहें वह आज खुद हिंदुस्तान बन गया है कारण , आज भारत के हर कंठ से उसकी आवाज गूंज रही है। मेरा आशय भ्रष्टाचार के खिलाफ गंभीर और पवित्र युद्ध छेड़े अन्ना हजारे से है। अन्ना ने देश के भ्रष्टाचार से मुक्त कराने के लिए जो धर्मयुद्ध छेड़ा है वह उनके व्यक्तिगत हित के लिए नहीं बल्कि देशहित के लिए है। देश के कोने में जो जहां है, जैसे भी हो उसे उनके गणतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के इस अहिंसक आंदोलन में अपनी तरह से शामिल होना चाहिए। यह हर व्यक्ति का परम कर्तव्य है क्योंकि अब देश उस संधिकाल में पहुंच गया है जहां आम व्यक्ति का संघर्ष उन शक्तियों से है जो देश से भ्रष्टाचार या काला धन को खत्म करने के लिए गंभीर नहीं है बल्कि ऐसे किसी प्रयास को कुचलने के लिए पूरी शक्ति से तैयार है। ऐसे में एक ही रास्ता बचा है कि देशवासी आज या आनेवाले कल को अपनी उस सर्वोच्च शक्ति का सही ढंग से प्रयोग कर बता दें कि अगर वे किसी को सर्वोच्च शिखर तक अपने मतों से पहुंचा सकते हैं तो कल को उसे राजनीतिक इतिहास के अंधेरे में भी फेंक सकते है। यह कैसा गणतंत्र है कि आप वहां अपनी बात भी नहीं रख सकते। हमारी संसदीय प्रणाली और संसद पर पूरा विश्वास है, हम उसका तहेदिल से सम्मान करते हैं किंतु देशवासियों के सपनों, उनकी आकांक्षाओं की भी कीमत होती है। उनका भी सम्मान होना चाहिए। आज देश यह सवाल सत्ता के कर्णधारो से पूछना चाहता है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ उठी आवाज उन्हे इतनी बुरी क्यों लगती है।  होना तो यह चाहिए था कि ऐसे किसी अभियान को सरकार प्रोत्साहित करती और उसे गंभीरता से लेकर देश को भ्रष्टाचारे से मुक्त करने की कोशिश करती । भ्रष्टाचार को हर कीमत पर खत्म होना चाहिए। इसके खिलाफ देश में किसी को तो खड़ा होना ही था। कब तक लूटतंत्र चलता रहेगा और जनता के धन का बंदरबांट होता रहेगा। किसी को नहीं भूलना चाहिए कि यह गणतंत्र है यहां गनतंत्र या भ्रष्टाचार तंत्र कदापि नहीं चल सकता। आज पूरा देश आक्रोश में है, शुक्र है कि वह शांत है और उसे रहना चाहिए क्योंकि अहिंसा में सबसे बड़ी शक्ति होती है। यह पता तो अब दिल्ली दरबार तक को चल गया है जिसकी चूलें हिल गयी हैं। उनके खुफिया तंत्र ने अन्ना हजारे की ताकत आंकने में गलती की। शायद सरकार को लगा था कि यह बूढ़ा उसका क्या बिगाड़ देगा। माफ करें इस बूढ़े में देश को दूसरा गांधी दिख रहा है। जिस जनता के बल पर आप सत्ता-सुख भोग रहे हैं उसका 96 प्रतिशत हिस्सा अन्ना के साथ खड़ा है। पूरा देश आज सड़कों पर उतर आया है, छोटे-छोटे बच्चे भूखे-प्यासे अन्ना के इस आंदोलन से जुड़ गये हैं। आप पूरे देश को जेल नहीं बना सकते। दिल्ली में छत्रसाल स्टेडियम आपके लिए छोटा पड़ गया आपको दूसरा स्टेडियम खोलना पड़ा। अब भी समय है, वक्त की नजाकत को समझिए और हो सके तो अन्ना की जायज मांगे मान लीजिए। माना कि संसद को ही कानून बनाने का अधिकार है लेकिन एक गणतंत्र देश की संसद जनता के लिए जनता के द्वारा चुनी गयी शासन व्यवस्था होती है। क्या  उसे जनता की आकांक्षाओं को ध्यान में नहीं रखना चाहिए। अन्ना की आवाज को भारत की आवाज समझिए वह किसी एक व्यक्ति की लड़ाई नहीं। अगर यह एक व्यक्ति की लड़ाई होती तो आज पूरा देश उनके साथ नहीं खड़ा होता। हर जगह जिद  और अहमन्यता नहीं जीतती कभी-कभी बुद्धि का भी इस्तेमाल किया जाना चाहिए।  पुलिस प्रशासन को और सत्ता को शायद अन्ना से इतना खौफ था कि उन्हें कानून तोड़ने से पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया। कृपया जनभावनाओं का सम्मान करना सीखिए। देशवासियो कृपया अन्ना या उनके जैसे धर्मयुद्ध छेड़नेवाले शख्तियतों का हर हाल में समर्थन करें। हिंदुस्तान जिंदाबाद, अन्ना जिंदाबाद, गणतंत्र जिंदाबाद, गणतांत्रिक अधिकार जिंदाबाद, भ्रष्टाचार मुर्दाबाद, भ्रष्ट तंत्र और भ्रष्ट नेता मुर्दाबाद।

3 comments:

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    हिंदुस्तान जिंदाबाद, अन्ना जिंदाबाद, गणतंत्र जिंदाबाद, गणतांत्रिक अधिकार जिंदाबाद, भ्रष्टाचार मुर्दाबाद, भ्रष्ट तंत्र और भ्रष्ट नेता मुर्दाबाद।

    अन्ना एवं अन्य सभी धर्युद्ध छेड़ने वालों के साथ मेरा पूरा समर्थन है।

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  2. बहुत अच्‍छी पोस्‍ट .. आपके इस पोस्‍ट की चर्चा अन्‍ना हजारे स्‍पेशल इस वार्ता में भी हुई है .. असीम शुभकामनाएं !!

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