जाने कितने दंश दे गया, बीत गया जो साल ।
जनता खस्ताहाल सभी हैं अनाचार से त्रस्त ।
सदाचार का सूरज तो जैसे होने को है अस्त ।।
ऐसे में खुशियों के कुछ पल हमको हैं पाने ।
नये साल में क्या होगा, बस ये राम ही जाने ।।
दुख-दैन्य और निराशा गये साल में पाये ।
ईश करे नया साल तो सुखद सवेरा लाये।।
इसी कामना के साथ आपको सपरिवार नये साल की शुभकामनाएं
राजेश त्रिपाठी और परिवार, कोलकाता, प. बंगाल, भारत
नव वर्ष के आगमन पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ...
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