Monday, June 2, 2014

आगाज तो अच्छा है अंजाम भी अच्छा होगा



काम करती तो दिखती है मोदी सरकार
-राजेश त्रिपाठी
     किसी सरकार की दशा-दिशा का परिचायक होता है उसका अपने कर्तव्य के प्रति सजग होना, केवल जबानी जमा खर्च नहीं बल्कि काम करते हुए दिखना। अगर इस पैमाने पर मापें तो देश की नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार कम से कम काम तो करती दिखती है। इस सरकार की जो पहली बात है वह यह है कि इसने अपनी दशा-दिशा पहले से तय कर ली है। इसके सामने जो काम हैं वे असीम हैं और उन्हें तत्काल पूरा कर पाना किसी चामत्कारिक शक्ति के वश की बात नहीं लेकिन इस सरकार की खूबी कुछ और है। इसने सत्ता में बैठते ही पहले ही दिन से अपनी प्राथमिकताएं और एजेंडा तय कर लिया है। देश में कहां किस चीज की आवश्यकता है इसकी पड़ताल करनी शुरू कर दी है ताकि देश के कोने-कोने तक अच्छे दिनों का एहसास पहुंचाया जा सके। देश का नेतृतव अगर ऐसे दृढ़प्रतिज्ञ व्यक्ति के हाथों में हो जिसे अपने रास्त का पता हो, जो उस रास्ते पर चलने के दृढ़प्रतिज्ञ हो और देश को भी उसी रास्ते पर ले चले तो
निश्चित है कि देश में सुखद परिवर्तन आकर रहेगा।
     नरेंद्र मोदी की यह विशेषता है कि वह काम पर ज्यादा जोर दे हैं और बयानबाजी से उन्हें परहेज है। उन्होंने इसीलिए अपने मंत्रियों को ताकीद की है कि वे अपना 100 दिन का एजेंडा तैयार करें और उसी के अनुरूप तत्काल काम भी शुरू कर दें। याद नहीं आता कि पहले कभी इस तरह की कोई प्रक्रिया किसी ने अपनायी हो। हो सकता है कि मेरी याददाश्त कमजोर हो लेकिन मुझे नहीं याद आता। अगर इसके पहले के प्रधानमंत्रियों ने कभी ऐसी तत्परता दिखाई हो तो मुझे माफ किया जाये। मानाकि कालेदन पर स्पेशल इन्वेस्टिगेंटिग टीम (एसआईटी) गठित करने का आदेश सुप्रीम कोर्ट का था लेकिन यह सरकार केवल एसआईटी गठित करके ही शांत बैठती नहीं दिख रही, लगता है कि वह इसके प्रति गंभीर है। हालांकि यह बहुत ही कठिन काम है लेकिन अगर विदेशों में जमा भारत का काला धन वापस आ सके तो देश का कल्याण हो जायेगा। मेरा विचार है कि व्यक्ति को आशावादी होना चाहिए। क्योंकि अगर आदमी पहले से ही निराशा का लबादा ओढ़ लेगा तो फिर वह आशा के बारे में सोच ही नहीं सकेगा। व्यक्ति को सकारात्मक दृष्टि से ही सोचना चाहिए। मानाकि नयी सरकार के कुछ मंत्रियों के बयानों ने नये विवादों को जन्म दिया है लेकिन अब मोदी जी ने उन्हें बयानबाजी से बचने की ताकीद कर दी है। इसके साथ ही उन्होंने सरकार के प्रवक्ता भी नियुक्त कर दिये हैं जिन्हें सरकार की ओर से वक्तव्य देने का अधिकार होगा किसी अन्य को नहीं।
     मोदी ने वाराणसी में कहा था कि उन्हें वहां मां गंगा ने बुलाया है। खुद को मां गंगा का बेटा माननेवाले मोदी ने सत्ता की बागडोर संभालते ही गंगा को पुण्यसलिला और स्वच्छ बनाने का काम शुरू कर दिया। उन्होंने गंगा और अन्य नदियों को उनके स्वच्छ और स्वस्थ स्वरूप में वापस लाने का संकल्प लिया है। 25 हजार करोड़ रुपये गंगा को स्वच्छ करने, उनके घाटों और किनारों को सुंदर और दर्शनीय बनाने के लिए मंजूर किये गये हैं। इसके लिए अलग मंत्रालय भी बना दिया गया है जिसका भार गंगाप्रेमी उमा भारती को दिया गया है। उन्होंने यह प्रभार पाकर खुद को धन्य माना और कहा कि गंगा की सेवा वे पूरी श्रद्धा से करेंगी और मोदी जी के सपने को साकार करेंगी। नरेंद्र मोदी ने अपने चुनाव प्रचार के वक्त जो घोषणाएं की थीं या जो कुछ भाजपा के चुनाव घोषणापत्र में कहा गया था सरकार उन कई बातों के प्रति सजग और प्रयत्नशील दिखती है। मोदी ने 60 माह का वक्त मांगा था इसलिए उनकी कार्यक्षमता को मापने का यह वक्त नहीं है। उन्हें वक्त तो मिलना ही चाहिए। किसी को 10 साल चुपचाप दे दिये गये तो जो काम करते दिखते हैं, उन्हें तो वक्त देना ही चाहिए। मोदी देश की प्रगति में लोगों की सहभागिता भी चाहते हैं। उनका नारा रहा है –सबका साथ, सबका विकास। वे विकास को किसी जाति विसेष या अल्पसंख्यक, बहुसंख्यक से नहीं जोड़ते वे तो हर भारतवासी का विकास चाहते हैं। यह चीजों को संकुचित दायरे से निकल कर समष्टि या समग्र में सोचने का विचार है तो शाश्वलत और शुभ है। जब आप समग्र दृष्टि से सोचेंगे तो यह हो ही नहीं सकता कि उस विकास के लाभ से कोई वंचित रह जाये। लंबे अरसे बाद वोट बैंक की राजनीति से उबर कर किसी ने समष्टि  के बारे में सोचा है जिससे कोई भी विकास की सुविधा से वंचित नहीं रहेगा।
     हर मंत्री और मंत्रालय को 100 दिन की कार्ययोजना तय करने का आदेश देकर भी मोदी जी ने यह जाहिर कर दिया है कि यह सरकार एक दिन भी निठल्ली बैठने वाली नहीं। अब तक इस सरकार के जितने भी प्रयासों या भावी योजनाओं के बारे में पता चला है वे देश में नयी आशा का संचार करती हैं। अब जैसे कश्मीर से विस्थापित पंडितों का ही मामला ले लें जो अपना घर-बार संपत्ति होने के बावजूद वर्षों से दिल्ली में शरणार्थी जीवन जीने को मंजूर हैं। इस सरकार ने उनकी घर वापसी की आशा जगायी है और चाह रही है कि उन्हें जम्मू-कश्मीर में एक जगह बसाया जाये और उनको कुछ वर्षों तक जीवन-यापन और कारबार के लिए सरकारी सहायता प्रदान की जाये। उनकी सुरक्षा की भी व्यवस्था करने का भरोसा सरकार ने दिया है। अगर इच्छाशक्ति और किसी की भलाई की भावना मन में होती तो ऐसे कदम के बारे में पिछली सरकार भी सोच सकती थी लेकिन उसने नहीं सोचा क्योंकि उसकी या तो दृष्टि इतनी व्यापक नहीं थी या इस समस्या के समाधान के प्रति उसकी कोई रुचि ही नहीं थी। वैसे तो कश्मीरी पंडितों को वापस बसाना आसान नहीं लेकिन यही क्या कम है कि किसी सरकार ने उनके बारे में सोचा और अपनी उस योजना का खुलासा किया जो सिर्फ और सिर्फ इन लोगों की भलाई के लिए है जो अपना सब कुछ होते हुए भी  बेघर थे। जिन स्थतियों के ये सताये हैं वे देश में तरह-तरह की समस्याएं ही लेकर आयी हैं। अगर इन्हें सुख-सविधा के साथ वापस उनके घरों में बसा दिया जाता है तो उन शक्तियों को एक सबक मिलेगा तो किसी खास मकसद से इन लोगों को जम्मू-कश्मीर से खदेड़ने के षड़यंत्र में लगे थे। जम्मू-कश्मीर की राज्य सरकार को भी केंद्र सरकार के इस काम में सहयोग देना चाहिए क्योंकि अगर उनके राज्य से निर्वासित कश्मीरी पंडित अपनी जमीन पर वापस बस जाते हैं तो यह राज्य सरकार के लिए भी बड़ी बात होगी। तब उस पर भी यह सवाल नहीं उठेंगे कि वह अपने राज्य़ के सभी नागरिकों को सुरक्षा देने में नाकाम है।
     मोदी जी के नेतृत्व की सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं के सुधार के प्रति भी सचेष्ट दिखती है। केंद्र सरकार ने हर राज्य में एम्स (ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज) जैसी शाखाएं खोलने व वर्तमान स्वास्थ्य सुविधाओं के आधुनिकीकरण व विकास की भी योजना बनायी है। नयी सरकार ने जनता को मूलभूत सुविधाएं देने को प्राथमिकता दी है जिसमें स्वास्थ्य, पानी, रोजगार व अन्य मूलभूत सुविधाएं शामिल हैं। इन सबको देखते हुए भी लगता है कि सरकार अपने उद्देश्य और ध्येय के प्रति पूरी तरह सचेत है।
     अपने शपथग्रहण समारोह में सार्क देशों के राष्ट्रप्रमुख और प्रधानमंत्रियों को आमंत्रित कर मोदी जी ने यह दिखा दिया कि वे अपने पड़ोसियों से संबंध सुधारने और उनके सहयोग से इस क्षेत्र में शांति-प्रगति लाने के लिए सचेष्ट हैं। सेना और पाकिस्तान के अतिवादी गुटों के दबाव और धमकियों को बावजूद नवाज शरीफ का मोदी का निमंत्रण स्वीकार कर भारत आने को लोग भले ही हलके से लें लेकिन यह बड़ी बात थी। यही नहीं यह मोदी जी की बड़ी सफलता थी। नवाज शरीफ से बातचीत के दौरान उनका अपने इरादे पर दृढ़ रहना और मुंबई हमले के दोषिय़ों को सजा दिलाने की मांग, आतंकवादियों की घुसपैठ रोकने, सीमा पर संघषर्विराम को तोड़ने की घटनाओं और पाकिस्तान की धरती से भारत विरोधी आतंकवादी गतिविधियों को रोकने की बात साफ-साफ तौर पर और दृढ़ता से कही। जाहिर है अगर आप दृढ़ होंगे अपने ध्येय पर अडिग-अटल होंगे तो आपके सामने खड़ा व्यक्ति भी आपका सीधे तौर पर विरोध करने का साहस नहीं कर पायेगा। कश्मीर समस्या पर भाजपा का पक्ष रहा है कि जो कश्मीर भारत का हिस्सा है उसे लेकर कोई समस्या नहीं बल्कि समस्या तो है पाक अधिकृत कश्मीर को लेकर जो भारत का हिस्सा है और जिस पर पाकिस्तान ने कब्जा जामा रखा है। इसे लेकर भी नयी सरकार का कुछ अलग ही सोच है और वह उस दिशा में भी कोई साहसिक कदम उठाने जा रही है।
     नयी सरकार जिन नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में काम कर रही है, उनका व्यक्तित्व ही ऐसा है जिससे उनका सहयोगी कोई मंत्री उनके आदेश की अवहेलना करने की हिम्मत नहीं जुटा सकेगा। इस तरह से कोई अराजकता या उच्छृंखलता का प्रश्न ही नहीं उठता। अब तक तो यही लगता है कि मोदी जी के नेतृत्व में उनके सभी साथी देश की भलाई के अपने संकल्प के प्रति सजग और सचेष्ट हैं। मोदी सुशासन संकल्प, भाजपा विकल्प का नारा लेकर सत्ता में आये हैं और विश्वास है कि वे अपना यह सिद्धांत भूलेंगे नहीं बल्कि इसे पूरा करने के लिए पूरी निष्ठा और श्रद्धा से काम करेंगे। कहना यही होगा-जो समाज हित आगे आया उसका कल भी अच्छा होगा। आगाज तो अच्छा है अंजाम भी अच्छा होगा।

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