हाथ खाली हैं बिटिया सयानी
हो गयी
राजेश त्रिपाठी
मुश्किलें हैं और जाने
कितने अजाब हैं।
जिंदगी की बस इतनी कहानी हो
गयी।।
अधूरे रह गये जाने कितने
ख्वाब हैं।
मुश्किलों के हवाले
जिंदगानी हो गयी।
दर्द कौन पढ़ सकता है उस
शख्स का।
हाथ खाली है, बिटिया सयानी
हो गयी।।
सियासत की चालों का है ऐसा
असर।
हर गली कुरुक्षेत्र की
कहानी हो गयी।।
नफरतों के
गर्त में है अब जिंदगी ।
अमन तो अब बीती कहानी हो गयी।
तरक्की का ढोल तो सब पीट
रहे हैं ।
पर बद से बदतर जिंदगानी हो
गयी।।
बढ़ रहे हैं अब दिलों के
बीच फासले।
एकजहती तो अब बेमानी हो गयी।।
दिल में नफरत, हाथ में खंजर
जहां।
अमन की बात इक कहानी हो
गयी।।
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