राजेश त्रिपाठी
पौराणिक काल में हमारा विज्ञान कितना समृद्ध और
विकसित था इसका पता उस काल के विविध शस्त्र, विमान आदि के बारे में जान कर लगा सकते हैं। हम यहां उस पुष्पक विमान
के बारे में कुछ जानने का प्रयास करेंगे जिसे लोग काल्पनिक कहते हैं पर यह सत्य
है। यह तो सभी जानेते हैं कि पंचवटी से सीता का हरण कर उन्हें रावण ले जाने के लिए
रावण ने पुष्पक विमान का ही उपयोग किया था। कहते हैं कि इस विमान का निर्माण
विश्वकर्मा ने किया था और उसे ब्रह्मा जी को भेंट कर दिया था। रावण ने इसे कुबेर
से छीन लिया था। बाद में राम द्वारा रावण वध के बाद यह विभीषण के पास आ गया।
विभीषण ने इसे कुबेर को दे दिया। कुबेर ने इसे राम को दे दिया इसी से राम,
लक्ष्मण, सीता, हनुमान व अन्य लोग श्रीलंका से अयोध्या आये। अयोध्या आने के बाद
राम ने पुष्पक विमान फिर कुबेर को वापस दे दिया। रामायण के सुंदरकांड में पुष्पक
विमान का उल्लेख आया है मिलती है. पुष्पक
विमान की आकृति मोर की तरह थी। यह अग्नि और वायु ऊर्जा से उड़ान भरता था. इसकी तकनीक
इतनी उत्कृष्ट थी कि इसका आकार छोटा और बड़ा किया जा सकता था।
हमारे पूर्व राष्ट्रपति मरहूम एपीजे अब्दुल
कलाम तक ने पुष्पक विमान और ब्रह्मास्त्र को कल्पना नहीं सत्य माना था। उन्होने
कहा था कि शोध करके ऐसा विमान बनाया सकता है।
एक बात यह भी
सुनने में आयी है कि रामायण काल में जिस पुष्पक विमान का जिक्र किया जाता है, वह खोज लिया गया है। एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि
प्राचीन भारत के पांच हजार वर्ष पुराने एक विमान को अफगानिस्तान की एक गुफा में पाया गया है। अमेरिकी
नेवी सीलकमांडो इसे खोजने में कामयाब हुए
हैं।
पुष्पकविमान हिन्दू पौराणिक महाकाव्य रामायण
में वर्णित वायु-वाहन था। इसमें लंका का राजा रावण आवागमन किया करता था। इसी विमान
का उल्लेख सीता हरण प्रकरण में भी मिलता है। रामायण के अनुसार राम-रावण युद्ध के
बाद श्रीराम, सीता, लक्ष्मण तथा लंका के नवघोषित राजा
विभीषण तथा अन्य बहुत लोगों सहित लंका से अयोध्या आये थे।
डीआरडीओ के एक पूर्व वैज्ञानिक नटराजन के
अनुसार भारत स्क्रैमजेट इंजन की परियोजना पर काम कर रहा है। इसके विकसित होने के
अंतरिक्ष में उपग्रह भेजना, दूर देशों की हवाई यात्रा करना तथा
दुश्मन के ठिकाने को पलक झपकते ही ध्वस्त कर देना बहुत आसान हो जाएगा। यानी भारत
ब्रह्मास्त्र और पुष्पक विमान की तकनीक हासिल कर लेगा।
स्क्रैमजेट इंजन एक ऐसा इंजन है, जिसके
माध्यम से भविष्य में कोई ध्वनि से भी 6-9 गुना तेज गति वाला नागरिक उड्डयन विमान,
फाइटरजेट,
उपग्रह
ले जाने वाला रॉकेट विकसित किया जा सकता है। रक्षा वैज्ञानिकों के मुताबिक यह इंजन
वायुमंडल से ऑक्सीजन लेकर अपना ईंधन खुद वायुमंडल में ही बनाएगा, इस्तेमाल
करेगा और लक्ष्य पूरा करके वापस भी आ सकेगा। इसके लिए स्क्रैमजेट इंजन में पहले से
हाइड्रोजन होगी। इस तरह से किसी भी उपग्रह को छोड़ने में न केवल बड़ी सहायता
मिलेगी, बल्कि खर्च भी बहुत कम हो जाएगा।
भविष्य में इस तकनीक से ब्रह्मास्त्र जैसा अचूक
और लक्ष्य भेदने के बाद योद्धा के तरकश में लौट आने वाला अस्त्र या रावण के पुष्पक
विमान की तरह बिना ईंधन के हवा में उड़ने वाला पुष्पक विमान विकसित किया जा सकता
है। अभी नई दिल्ली से अमेरिका के शिकागो अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचने में
हवाई जहाज से करीब 15-16 घंटे लगते हैं। लंदन जाने में 10 घंटे से अधिक लगते हैं।
रक्षा वैज्ञानिकों का कहना है कि भविष्य में स्क्रैमजेट इंजन प्रोपल्शन प्रणाली
आधारित नागरिक उड्डय विमान को विकसित किए जाने के बाद यह दूरी महज साढ़े तीन घंटे (लंदन)
और साढ़े चार घंटे में (वाशिंगटन) पूरी की जा सकती है। एक ही स्क्रैमजेट इंजन
प्रोपल्शन प्रणाली पर कई उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजा जा सकता है। इतना ही नहीं
मिसाइल को दुश्मन के ठिकाने तक ले जाने प्रणाली के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता
है।
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