- राजेश त्रिपाठी
धन-संपदा की वृद्धि के लिए भारत में बहुत पहले से ही
धन की देवी लक्ष्मी की पूजा होती आ रही है। लक्ष्मी भगवान विष्णु की पत्नी हैं। लोग
मानते हैं कि मां लक्ष्मी की कृपा से ही घर में धन,
संपत्ति व समृद्धि आती है। लक्ष्मी जी को प्रसन्न
करने के लिए प्रतिवर्ष हिंदू घरों में श्रद्धा भक्ति से कार्तिक की अमावस्या को
उनकी पूजा करते ही। यहां यह भी बताते चलें कि कहीं-कहीं विशेषकर पश्चिम बंगाल में
इसी दिन काली जी की पूजा भी की जाती है।
लक्ष्मी जी की उत्पत्ति के बारे में दो कथाएं प्रचलित हैं। विष्णु पुराण में लक्ष्मी जी भृगु और ख्वाति की पुत्री बताया गया है। वैसे सर्वविदित और मान्य कथा तो यही है कि समुद्रमंथन के समय लक्ष्मी जी की भी प्राप्ति हुई थी। लक्ष्मी जी ने विष्णु जी को अपने पति के रुप में वरण किया जिससे इनकी शक्तियों में और भी वृद्धि हुई।लक्ष्मी का अभिषेक दो हाथी करते हैं। वह कमल के आसन पर विराजमान है। लक्ष्मी जी के पूजन में कमल का विशेष महत्त्व बताया गया है। लक्ष्मी जी के चार हाथ हैं। दीपावली के दिन लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है।
लक्ष्मी पूजन के लिए सामग्री
मां लक्ष्मी को लाल,
गुलाबी या फिर पीले रंग का रेशमी वस्त्र प्रिय है।
इसके अतिरिक्त कमल और गुलाब के फूल, नारियल, सीताफल, बेर, अनार
और सिंघाड़ा व चावल लें। नैवेद्य के रूप में घर में बनी शुद्ध मिठाई, हलवाप्रदान
करें। पूजन में रोली, कुमकुम, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, चौकी, कलश, मां लक्ष्मी व भगवान श्री गणेश जी की प्रतिमा या
चित्र, आसन, थाली, चांदी
का सिक्का, धूप, कपूर, अगरबत्तियां, दीपक, रुई, मौली, शहद, दही गंगाजल, गुड़, धनियां, जौ, गेंहू, दूरवा, चंदन, सिंदूर, इत्र लगता है।
सर्वप्रथम पूजा के जलपात्र से थोड़ा जल लेकर
मूर्तियों या चित्रों के ऊपर छिड़कें इससे मूर्तियों का पवित्रीकरण हो जायेगा, इसके पश्चात स्वयं को,
पूजा सामग्री एवं अपने आसन को भी पवित्र करें।
पवित्रीकरण के लिए इस मंत्र का जाप करें-
ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा।
य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: वाह्याभंतर: शुचि:।।
जिस जगह पर
आसन बिछा है उसे भी पवित्र करें और पृथ्वी मां को प्रणाम करें। इस समय यह मंत्र पढ़ें-
पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठः ग ऋषिः सुतलं छन्दः
कूर्मोदेवता आसने विनियोगः॥
ॐ पृथ्वी त्वया धृता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता।
त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनम्॥
पृथिव्यै नमः आधारशक्तये नमः
अब पुष्प, चम्मच
या अंजुलि से एक बूंद पानी अपने मुंह में छोड़िए और ॐ
केशवाय नमः मंत्र
बोलिये इसके बाद फिर एक बूंद पानी अपने मुंह में छोड़िए और ॐ नारायणाय नमः मंत्र का उच्चारण करें इसी तरह
तीसरी बूंद मुंह में डालकर ॐ
वासुदेवाय नमः मंत्र
बोलें। फिर ॐ
हृषिकेशाय नमः कहते
हुए हाथों को खोलें, अंगूठे
के मूल से होठों पोंछ कर हाथों को धो लें। इस आचमन कहते हैं। इसके बाद तिलक लगाकर
अंग न्यास करें।
मन को एकाग्र करें। पूजा के पारंभ में
स्वस्तिवाचन किया जाता है इसके लिये हाथ में पुष्प, अक्षत और जल लेकर
ॐ स्वस्ति न
इन्द्रो वृद्धश्रवाः।
स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः।
स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः।
स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
ईश्वर को प्रणाम किया जाता है। किसी भी पूजा को करने
में संकल्प प्रधान होता है इसलिये इसके बाद संकल्प करें।
संकल्प के लिये हाथ में अक्षत, पुष्प और जल लें साथ में कुछ द्रव्य यानि पैसे भी
लें अब हाथ में लेकर संकल्प मंत्र का जाप करते हुए संकल्प कीजिये कि मैं (अपना
नाम), अमुक
स्थान (स्थान का नाम) एवं सम (तिथि) एवं लक्ष्मी-गणेश पूजा करने जा रहा हूं, जिससे मुझे शास्त्रोक्त फल प्राप्त हो।
संकल्प लेने के बाद भगवान श्री गणेश व मां गौरी की
पूजा करें। इसके बाद कलश पूजें। हाथ में थोड़ा जल लेकर आह्वान व पूजन मंत्रों का
उच्चारण करें फिर पूजा सामग्री चढायें। फिर नवग्रहों की पूजा करें, इसके लिये हाथ में अक्षत और पुष्प लेकर नवग्रह
स्तोत्र बोलें। तत्पश्चात भगवती षोडश मातृकाओं का पूजन करें। माताओं की पूजा के
बाद रक्षाबंधन करें। रक्षाबंधन के लिये मौलि लेकर भगवान गणपति पर चढाइये फिर अपने
हाथ में बंधवा लीजिये और तिलक लगा लें। इसके बाद महालक्ष्मी की पूजा करें।
माँ लक्ष्मी जी की पूजा के इन मंत्रों का उल्लेख मिलता
है--
धनमग्निर्धनं वायुर्धनं सूर्यो धनं वसुः।
धनमिन्द्रो बृहस्पतिर्वरुणं धनमस्तु ते।।
अश्वदायै गोदायै धनदायै महाधने।
धनं मे जुषतां देवि सर्वकामांश्च देहि मे।।
मनसः काममाकूतिं वाचः सत्यमशीमहि।
पशूनां रूपमन्नस्य मयि श्रीः श्रयतां यशः ।।
लक्ष्मी जी की पूजा करते वक़्त साफ़-सफाई का विशेष
ध्यान रखना चाहिये। दीपावली के अवसर पर मां लक्ष्मी की पूजा के बाद दीपक पूजन करें
इसके लिये तिल के तेल के सात, ग्यारह, इक्कीस अथवा ज्यादा दीपक प्रज्जवलित कर एक थाली में सजा
कर पूजा करें।
दीपक पूजन के बाद महिलायें अपने हाथ से सोने-चांदी
के आभूषण इत्यादि मां लक्ष्मी को अर्पित कर दें। अगले दिन स्नान के बाद विधि-विधान
से पूजा के बाद आभूषण एवं सुहाग की अन्य सामग्री जो अर्पित की थी उसे मां लक्ष्मी
का प्रसाद समझकर स्वयं प्रयोग करें। मान्यता है कि ऐसा करने से मां लक्ष्मी की
कृपा सदा बनी रहती है।
·
कार्तिक कृष्णपक्ष की
अमावस्या को लक्ष्मीजी के पूजन का विशेष विधान है। ब्रह्म पुराण के अनुसार इस दिन
अर्धरात्रि के समय महालक्ष्मीजी सद्ग्रहस्थों के मकानों में यत्र-तत्र विचरण करती
हैं। इसलिए इस दिन घर-बाहर को साफ-सुथरा कर सजाया-सँवारा जाता है। दीपावली मनाने
से श्री लक्ष्मीजी प्रसन्न होकर स्थायी रूप से सद्गृहस्थी के घर निवास करती हैं।
वास्तव में दीपावली धनतेरस,
नरक चतुर्दशी तथा महालक्ष्मी पूजन, गोवर्धन पूजा और भाईदूज यह पांचों पर्व एक साथ मिले हैं।
प्रातः स्नानादि से निवृत्त हो स्वच्छ वस्त्र
धारण करें।
लक्ष्मीजी के चित्र के सामने एक चौकी रखकर उस
पर मौली बाँधें।
इस पर गणेशजी की मिट्टी की मूर्ति स्थापित
करें।
फिर गणेशजी को तिलक कर पूजा करें।
अब चौकी पर दीपक जला कर रखें।
फिर जल, मौली,
चावल, फल,
गुड़, अबीर,
गुलाल, धूप आदि से विधिवत पूजन करें।
पूजा के बाद एक-एक दीपक घर के कोनों में जलाकर
रखें।
एक छोटा तथा एक चौमुखा दीपक रखकर निम्न मंत्र
से लक्ष्मीजी का पूजन करें-
नमस्ते सर्वदेवानां वरदासि हरेः प्रिया।
या गतिस्त्वत्प्रपन्नानां सा मे
भूयात्वदर्चनात॥
पहला लक्ष्मी मंत्र
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै
अस्मांक दारिद्र्य नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ इस मंत्र का जप
लाल आसन पर बैठ कर करें। मंत्र पढ़ते समय अपने सामने लक्ष्मी मां की तस्वीर या
मूर्ति रखें। इस मंत्र को कस से कम 108 बार पढ़ें।
महालक्ष्मी मंत्र
ऊं सर्वाबाधा विनिर्मुक्तों धन धान्य:
सुतान्वित:,
मनुष्यों मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय: ऊं। इस
मंत्र का जप करते समय देवी मां के सामने दीप प्रज्जवलित कर लें। इस मंत्र के जरिए
मां से धन एवं समृद्धि पाने की कामना की जाती है
लक्ष्मी गायत्री मंत्र
ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै
च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ इस मंत्र का जप सफलता प्राप्ति के लिए किया
जाता है। इस मंत्र को पढ़ते समय हाथों में लाल पुष्प रखें। इसका जप कम से कम 108 बार करें। मंत्रोच्चारण प्रक्रिया पूरी होने के बाद फूल को देवी मां
के चरणों में रख दें।
लक्ष्मी मंत्र (बीज)
ऊँ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः बीज का अर्थ
होता है मूल व जड़ से। इसलिए इस मंत्र के जप से मां लक्ष्मी सर्वाधिक प्रसन्न होती
हैं। ये मंत्र आपके ह्दय में प्रेम एवं भक्ति की भावना को बढ़ाता है। साथ ही ये आपके
लिए सफलता का रास्ता भी बनाता है। इस मंत्र का जप आप 5,11,21,51 एवं 108
बार कर सकते हैं।
मुहूर्त
14 नवंबर
अमावस्या तिथि आरंभ- 2:17 (14 नवंबर)
अमावस्या तिथि समाप्त- 10:36 (15 नवंबर)
विविध शहरों में लक्ष्मी पूजा
मुहूर्त
05:58 पी
एम से 07:59 पी
एम - पुणे
05:28 पी
एम से 07:24 पी
एम - नई दिल्ली
05:41 पी
एम से 07:43 पी
एम - चेन्नई
05:37 पी
एम से 07:33 पी
एम - जयपुर
05:42 पी
एम से 07:42 पी
एम - हैदराबाद
05:29 पी
एम से 07:25 पी
एम - गुरुग्राम
05:26 पी
एम से 07:21 पी
एम - चण्डीगढ़
04:54 पी
एम से 06:52 पी
एम - कोलकाता
06:01 पी
एम से 08:01 पी
एम - मुम्बई
05:52 पी
एम से 07:54 पी
एम - बेंगलूरु
05:57 पी
एम से 07:55 पी
एम - अहमदाबाद
05:28 पी
एम से 07:23 पी
एम - नोएडा
अमावस्या तिथि प्रारंभ 14 नवंबर 2020दोपहर बाद 2 बज कर 17 मिनट से
अमावस्या तिथि समाप्त 15 नवंबर 2020 सुबह 10 बज कर 36 मिनट पर
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