Friday, December 25, 2020

गणेश पूजा में तुलसी चढ़ाना क्यों मना है?

राजेश त्रिपाठी


आपमें से बहुत लोगों को पता होगा कि भगवान गणेश की पूजा में तुलसी का प्रयोग मना है लेकिन यह पता नहीं होगा कि ऐसा क्यों है। वैसे तो तुलसीजी देवीस्वरूपा और प्रात: पूजनीय हैं लेकिन गणेश पूजा में तुलसी दल का प्रयोग मना है। इसके पीछे क्या कथा है आज हम आपको वही सुना रहे हैं। एक बार की बात है गणेश जी गंगा किनारे तपस्या कर रहे थे। उसी समय धर्मात्मज की नवयौवना कन्या तुलसी विवाह की इच्छा से तीर्थयात्रा के लिए प्रस्थान किया। देवी तुलसी सभी तीर्थस्थलों का भ्रमण करते हुए गंगा के तट पर पहुंचीं। वहां देवी तुलसी ने गंगा तट पर युवा गणेशजी को तपस्या में लीन देखा।

गणेश जी रत्नजटित सिंहासन पर विराजमान थे। उनके अंगों पर चंदन का लेप था। गले में पारिजात के फूलों की माला के अतिरिक्त स्वर्णमणि रत्नों के अनेक हार पड़े थे। उनके कमर में अत्यंत कोमल रेशम का पीतांबर लिपटा हुआ था।

तुलसी गणेश का सुंदर रूप देख कर उन पर मोहित हो गईं और उनके मन में गणेश से विवाह करने की इच्छा हुई। तुलसी ने विवाह की इच्छा से उनका ध्यान भंग किया। गणेश ने जी ने तुलसी से कहा  कि उसने उनकी तपस्या भंग कर दी यह बहुत ही अशुभ हुआ। इस पर तुलसी ने बताया कि वह उनसे विवाह करना चाहती हैं इसीलिए उन्होंने उनकी तपस्या भंग की। इस पर गणेश जी ने बताया कि वे ब्रह्मचारी हैं और उनसे विवाह नहीं कर सकते। 

 गणेश जी ने जब विवाह का प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया तो तुलसी बहुत दुखी हुईं और क्रोध में आकर गणेश के दो विवाह होने का शाप दे दिया। इस पर गणेश ने भी तुलसी को शाप दे दिया कि तुम्हारा विवाह एक असुर से होगा। एक राक्षस की पत्नी होने का शाप सुन कर तुलसी ने गणेश से माफी मांगी।

तब गणेश ने तुलसी से कहा कि तुम्हारा विवाह शंखचूड़ राक्षस से होगा लेकिन तुम भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण को प्रिय होने के साथ ही कलयुग में जगत के लिए जीवन और मोक्ष देने वाली होंगी, पर मेरी पूजा में तुलसी दल चढ़ाना शुभ नहीं माना जाएगा। तभी से भगवान गणेशजी की पूजा में तुलसी का प्रयोग मना हो गया।

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