आपने बहुत से साधु-संन्यासियों को रुद्राक्ष की माला पहने हुए देखा होगा। रुद्राक्ष धारण करने से कई तरह के लाभ होते हैं। जीवन में नकारात्मक ऊर्जा नहीं आ पाती और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। रुद्राक्ष धारण से जीवन के हरप्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है। आइए सर्वप्रथम रुद्राक्ष की उत्पत्ति के बारे में जानते हैं। रुद्राक्ष शब्द दो शब्दों रुद्र और अक्ष से मिल कर बना है। इसमें रुद्र का अर्थ है शिव और अक्ष अर्थात आंसू। सती ने जब अपने पिता दक्ष के यज्ञ में अपने पति शिव का अपमान देखा तो क्रोध से यज्ञ कुंड की अग्नि में कूद कर आत्मदाह कर लिया। यह समाचार पाते है शिव को बहुत क्रोध आया वे दक्ष के यहां गये शिव के गणों ने दक्ष के यज्ञ को विध्वंस कर दिया। दुख और क्रोध से कांपते शिव ने सती के अग्नि में जले शव को अपने कंधे पर उठाया और क्रोध से ब्रह्मांड कंपाते चारों ओर दौड़ने लगे। वे सती के वियोग में रो भी रहे थे। कहते हैं कि पृथ्वी पर जहां-जहां उनके आंसू गिरे वहां-वहां कालांतर में रुद्राक्ष के वृक्ष उग आये। शिव के वियोग के आंसू जग के कल्याणकारी रुद्राक्ष की उत्पत्ति के कारण बने।
रुद्राक्ष का वृक्ष महुए के वृक्ष की तरह बहुत बड़ा होता है। उसमें जो फल लगता है उसकी गुठली ही रुद्राक्ष है। इस यूट्यूबर ने अपनी हरिद्वार यात्रा में महान साधिका मां आनंदमयी के आश्रम में रुद्राक्ष का वृक्ष देखा था। रात हो चुकी थी। धुंधले प्रकाश में वहां कुछ लोगों को रुद्राक्ष खोजते देखा था। कुछ लोगों ने रुद्राक्ष पाया भी था।
रुद्राक्ष 5 मुखी से लेकर 1 मुखी और 21 मुखी भी होता है। इसमें 1 मुखी दुर्लभ माना जाता है. नेपाल में रुद्राक्ष बहुतायत से होता है। भारत में उत्तराखंड में रुद्राक्ष के वृक्ष पाये जाते हैं। नियम पूर्वक सात्विक प्रवृत्ति से रुद्राक्ष धारण करने से बहुत लाभ मिलता है।
पंचमुखी रुद्राक्ष आसानी से उपलब्ध हो जाता है. एक मुखी रुद्राक्ष आसानी से नहीं मिल पाता। रुद्राक्ष की माला धारण करनेवाले को पूर्ण शाकाहारी जीवन बिताना चाहिए। शौचादि जाते समय माला उतार कर रख देनी चाहिए।
असली रुद्राक्ष की पहचान यह है कि यह पानी में डूब जाता है जबकि प्लास्टिक का नकली रुद्राक्ष पानी में तैरता रहता है। असली रुद्राक्ष के पहचान का एक और तरीका भी है। तांबे के दो बड़े सिक्के लीजिए उनके बीच में रुद्राक्ष को रख दीजिए। दोनों उंगलियों के बीच इसे थोड़ा ढीला पकड़िये ताकि रुद्राक्ष को घूमने में आसानी हो। आप देखेंगे कि थोड़ी देर में रुद्राक्ष दोनों सिक्कों के बीच चक्करघिन्नी की तरह घूमने लगेगा शर्त यही है कि आप सिक्कों को केवल थामे रहें उन्हें कस कर नहीं पकड़ें। असली रुद्राक्ष में गहरी रेखाओं (जिन्हें इनका मुख कहते हैं) के अलावा और कोई आकृति नहीं होती। बनावटी प्लास्टिक के रुद्राक्ष में त्रिशूल, ऊं व सर्पादि कि आक्रतियां बना कर लोगों को धड़ल्ले से कुछ व्यक्ति बेचते हैं। उनके चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए।
रुद्राक्ष की माला के शुद्ध करने के लिए उसे पंचामृत स्नान करायें फिर जल से स्नान करा के एक स्वच्छ वस्त्र पर रखें। उसके बाद ओम नम: शिवाय मंत्र का जाप करके इसे धारण करें।आप ऊं तत्पुरुषाय विद्महे महादेव धीमहि तन्नोरुद्र: प्रचोदयात मंत्र का जाप करके भी माला धारण कर सकते हैं।
किस राशि के व्यक्ति को कौन-सा रुद्राक्ष पहनना चाहिए यह भी जान लीजिए-मेष राशि-3 मुखी छोड़ सभी,वृष-5 मुखी,10 मुखी,मिथुन-4,11 मुखी,कर्क-4 मुखी, सिंह- 5 मुखी,कन्या- गौरीशंकर रुद्राक्ष.तुला-7 मुखी,वृश्चिक-8,13 मुखी, धनु-1 मुखी,मकर-10, 13 मुखी, कुंभ 7 मुखी, मीन- 1 मुखी।
रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति के सांसारिक भौतिक दुख कष्ट तकलीफ दर्द पीड़ा से मुक्ति मिल जाती है ,क्योंकि तब उसके ज्ञान समझ मे वृद्धि होती है उसका बौद्धिक स्तर ऊंचा होता है और उसकी आध्यात्मिक उन्नति होने लगती हे ,और तब उसके जीवन की व्यक्तियों की रिश्ते नातों की दुनिया की हर तरह की सच्चाई से वह अवगत होता है, जब वह सत्य को स्वीकार कर लेता है ,तो मोह माया से मुक्ति पा लेता है। जब माया से मुक्ति पा लेता है, तो सांसारिक कष्ट तो उसके लिए कुछ मायने ही नहीं रखते। यह तो मनुष्य के लिए हुआ जो पुरे सच्चे मन श्रद्धा भाव भक्ति समर्पण के साथ रुद्राक्ष को धारण करे उस मानव के कष्ट दूर हो जाते हैं।
पांच मुखी रुद्राक्ष माला आसानी से प्राप्त हो जाती है। इसे धारण करने से आध्यात्मिक जीवन मे उन्नति होती है।
जो भी महादेव के सच्चे भक्त उन्हें तो रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए पांच मुखी रुद्राक्ष की माला मंत्र जाप करके अवश्य धारण करनी चाहिए।
जब हम रुद्राक्ष पर मंत्र जाप करते है, उसे सिद्ध करते हैं या फिर रोज़ जाप करते हे तब हमारे मंत्रों की ध्वनि से जो ऊर्जा निकलती है उसे रुद्राक्ष सोख लेता है और वह माला पहनने वाले के चारों ओर एक सुरक्षा चक्र जैसा बना देता है। पांच मुखी रुद्राक्ष पर देव गुरु बृहस्पति ग्रह का प्रभाव होता है।पांच मुखी रुद्राक्ष की माला पहन लेने से बाकी सारे बिगड़े ग्रह भी सुधर जाते हैं अच्छे हो जाते है सकारात्मक परिणाम देने लगते हैं।
रुद्राक्ष धारण किया हुआ व्यक्ति परमात्मा को समझने की समझ प्राप्त करता है। आध्यात्मिक जीवन में सफलता के लिए आध्यात्मिक उन्नति के लिए हो या आध्यात्मिक यात्रा की पूर्ति के लिए हो मोह माया से मुक्ति के लिए हो मोक्ष के लिए भी विभिन्न तरह के रुद्राक्ष अलग-अलग मुखी रुद्राक्ष १ से २१ मुखी रुद्राक्ष अपना अपना प्रभाव देते हैं। उनको धारण करने के पश्चात यहां से जीवन मे भौतिक और सांसारिक समस्याओं के निदान के लिए भी अलग-अलग प्रकार के रुद्राक्ष धारण किए जाते हैं।
रुद्राक्ष की तरह दिखने वाले भद्राक्ष भी होते है सोमाक्ष भी होते हे और इंद्राक्ष भी होते हें।इसलिए जांच परख कर अच्छा रुद्राक्ष ही लेना चाहिए।
पहले के जमाने मे आयुर्वेद मे रुद्राक्ष को पानी मे डालकर रुद्राक्ष का पानी भी रोगों से मुक्ति के लिए पिलाया जाता था।
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