जन्माष्टमी कब है?
जन्माष्टमी का त्योहार 30 अगस्त को मनाया जाएगा। अष्टमी तिथि 29 अगस्त को रात 11 बजकर 25 मिनट पर शुरू होगी और 31 अगस्त की रात 1 बजकर 59 मिनट पर समाप्त होगी। रोहिणी नक्षत्र 30 अगस्त को सुबह 6 बजकर 39 मिनट पर प्रारंभ होगा, जो कि 31 अगस्त को सुबह 09 बजकर 44 मिनट पर समाप्त होगा। पूजा का समय 30 अगस्त की रात 11 बजकर 59 मिनट से 12 बजकर 44 मिनट तक रहेगा। पूजा के शुभ समय की कुल अवधि 45 मिनट की है।
जन्माष्टमी के दिन न करें ये 6 काम-
1. भगवान ने प्रत्येक इंसान को समान बनाया है इसलिए किसी का भी अमीर-गरीब के रूप में अनादर या अपमान न करें। लोगों से विनम्रता और सहृदयता के साथ व्यवहार करें। आज के दिन दूसरों के साथ भेदभाव करने से जन्माष्टमी का पुण्य नहीं मिलता।
2. शास्त्रों के अनुसार, एकादशी और जन्माष्टमी के दिन चावल या जौ से बना भोजन नहीं खाना चाहिए। चावल को भगवान शिव का रूप भी माना गया है।
3.पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जन्माष्टमी का व्रत करने वाले को भगवान श्रीकृष्ण के जन्म होने तक यानी रात 12 बजे तक ही व्रत का पालन करना चाहिए। इससे पहले अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए। बीच में व्रत तोड़ने वालों को व्रत का फल नहीं मिलता।
4.व्रत करने वाले को हृदय और मन से पवित्र होना चाहिए। उनके मन में गंदे विचार नहीं आने चाहिए।
5 भगवान श्रीकृष्ण को गौ अति प्रिय हैं। इस दिन गायों की पूजा और सेवा करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
6.मान्यता है कि जिस घर में भगवान की पूजा की जाती हो या कोई व्रत रखता हो उस घर के सदस्यों को जन्माष्टमी के दिन लहसुन और प्याज जैसी तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए इस दिन पूरी तरह से सात्विक आहार की ग्रहण करना चाहिए।
सच्चिदानंद रूपाय विश्वोत्पत्यादिहेतवे,
तापत्रय विनाशाय श्री कृष्णाय वयं नम: ॥
श्रीकृष्ण गोविंद हरे मुरारे
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
हे नाथ नारायण...॥
पितु मात स्वामी, सखा हमारे,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
हे नाथ नारायण...॥
॥ श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी...॥
बंदी गृह के, तुम अवतारी
कही जन्मे, कही पले मुरारी
किसी के जाये, किसी के कहाये
है अद्भुद, हर बात तिहारी ॥
है अद्भुद, हर बात तिहारी ॥
गोकुल में चमके, मथुरा के तारे
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
पितु मात स्वामी, सखा हमारे,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
अधर पे बंशी, ह्रदय में राधे
बट गए दोनों में, आधे आधे
हे राधा नागर, हे भक्त वत्सल
सदैव भक्तों के, काम साधे ॥
सदैव भक्तों के, काम साधे ॥
वही गए वही, गए वही गए
जहाँ गए पुकारे
हे नाथ नारायण वासुदेवा॥
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
पितु मात स्वामी सखा हमारे,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
गीता में उपदेश सुनाया
धर्म युद्ध को धर्म बताया
कर्म तू कर मत रख फल की इच्छा
यह सन्देश तुम्ही से पाया
अमर है गीता के बोल सारे
हे नाथ नारायण वासुदेवा॥
श्री कृष्णा गोविन्द हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
पितु मात स्वामी सखा हमारे,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
त्वमेव माता च पिता त्वमेव
त्वमेव बंधू सखा त्वमेव
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव
त्वमेव सर्वं मम देव देवा
॥ श्री कृष्णा गोविन्द हरे मुरारी...॥
राधे कृष्णा राधे कृष्णा
राधे राधे कृष्णा कृष्णा॥
राधे कृष्णा राधे कृष्णा
राधे राधे कृष्णा कृष्णा॥
हरी बोल, हरी बोल,
हरी बोल, हरी बोल॥
राधे कृष्णा राधे कृष्णा
राधे राधे कृष्णा कृष्णा
राधे कृष्णा राधे कृष्णा
राधे राधे कृष्णा कृष्णा॥
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