कल्कि पुराण में इस बात का उल्लेख मिलता है कि कलियुग और सतयुग के संधिकाल में कल्कि भगवान का अवतार होगा। यह भगवान विष्णु का दसवां अवतार होगा। भगवान कल्कि 64 कलाओं से युक्त होंगे। कल्कि अवतार उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद जिले के संभल नामक स्थान पर विष्णुयश ब्राह्मण के घर माता मति के यहां होगा। कल्कि भगवान की सवारी सफेद घो़ड़ा और हथियार तलवार और चक्र होगा। वे दुष्टों का संहार कर सतयुग के प्रवेश का पथ प्रशस्त करेंगे। पुराणों में ऐसी भविष्यवाणी भी मिलती है कि कलयुग के अंत तक मनुष्य की आयु मात्र 20 वर्ष रह जायेगी।
कल्कि भगवान के सभी भाई देवताओं के अवतार होंगे और धर्म की स्थापना में सहयोग देंगे। इस घटना का उल्लेख श्रीमद्गागवत महापुराण के एक श्लोक में मिलता है।
संभल ग्राम मुख्यस्य ब्राह्मणस्य महात्मन:।
भवने विष्णुयशस: कल्कि प्रदुर्भविष्यति।
अश्वंआशुमगारूढ्य देवदत्तं जगत्पति:।
असिनासाधु दमनं अष्टैश्वर्य गुणान्वित:।।
विचरन् आशुना क्षौण्यां हयेना प्रतिमद्युमति।
नृपतिं गच्छदो दस्यून कोटिशो निहनिष्यति।।
इस श्लोक के भावार्थ से प्रकट होता है कि संभल में विष्णुयश ब्रह्मण के यहां कल्कि भगवान का ज्न्मम होगा। वे अश्व पर सवार होकर दुष्टों का संहार करेंगे।
ऐसे ही भागवत पुराण के एक और श्लोक में उल्लेख मिलता है कि जब कल्कि भगवान दुष्टों का संहार कर देंगे तब सतयुग का प्रवेश होगा। सारे अवगुण मिट जायेंगे और सद्गुणों का संचार होगा। यह उल्लेख भी मिलता है कि इस युद्ध में पांच चिरंजीवी कल्कि भगवान की सहायता करेंगे। ये हैं अश्वत्थामा, कृपाचार्य, परशुराम, हनुमान और मार्कंडेय। मार्कंडेय को शिव से अमरत्व का वरदान मिला है साथ ही उनके पास मृत्यु को जीतनेवाल अमोघ महामृत्युंजय मंत्र भी है।
अश्वत्थामा ने चोरी से पांडव पुत्रों का वध किया था उसे कृष्म ने कलियुग के अंत तक जीवित रहने का श्राप दिया था। कृपाचार्य चिरंजीवी हैं ध्यान में मग्न हैं कल्कि अवतार के बाद ध्यान से जगेंगे और कल्कि भगवान की सहायता करेंगे। परशुराम जो चिरंजीव है उन्हें भी कल्कि अवतार की प्रतीक्षा है। युद्ध में वे कल्कि भगवान के गुरु की भूमिका निभायेंगे।
हनुमान जी शिव का रुद्रावतार हैं उन्हें माता सीता ने अमर होने का वरदान दिया था- तुलसीदास की रचना में इसका उल्लेख इस तरह से मिलता है-अजर अमर गुननिधि सुत होहू। करहिं बहुत रघुनायक छोहू॥
कल्कि भगवान को दुष्ट दलन संग्राम में ये पांच चिरंजीवी सक्रिय रूप से सहयोग करेंगे जो किसी वरदान या अभिशाप के चलते सदियों से अजर अमर हैं।
पुराणों में ऐसा उल्लेख मिलता है कि पांच हजार वर्ष बीत जाने के बाद धरती पर पाप का राज होगा। ढोंगी और पाखंडी भक्तों और साधुओं का बोलबाला होगा। यह भी कहा जाता है कि मनुष्य की कुल आयु 20 वर्ष और ऊंचाई इंचों में रह जायेगी।
कलियुग की अवधि 4 लाख 32 हजार वर्ष है। अभी इसका पहला ही चरण चल रहा है। जब आप किसी पूजा का संकल्प लेते हैं तो उसमें आता है-कलियुगे कलि प्रथम चरणें।
ढोंगी, पाखंडी साधु सतान धर्म की गलत व्याख्या कर समाज को दिशाहीन कर देंगे। कहा तो यहां तक जाता है कि पापनाशिनी गंगा भी धरती से विलुप्त हो जायेगी।।
पुराण में बताया गया है कि चालाक और लालची व्यक्ति को कलयुग में विद्वान माना जायेगा। शास्त्रों और वेदों का पालन कोई नहीं करेगा।
यह कलयुग चल रहा है। सनातन धर्म और वेदों में चार युगों की मान्यता है। जिसके अनुसार सतयुग में स्वयं देवता, किन्नर और गंधर्व धरती पर निवास करते थे। त्रेता युग में श्रीराम का जन्म हुआ था। फिर द्वापर युग में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ। वर्तमान में चल रहे कलयुग का कालखंड सबसे छोटा कहा गया है। भविष्योत्तर पुराण में उल्लेख मिलता है कि ब्रह्माजी ने नारद से कहा था कि कलियुग के आने पर मनुष्य का आचरण भ्रष्ट हो जाएगा और योगी भी दुष्ट चित्त के होंगे। संसार में सर्वत्र विरोध ही विरोध होगा। संतजन दुःखी होंगे। अपने धर्म को छोड़कर लोग दूसरे धर्म का सहारा लेंगे। मनुष्यों की बुद्धि धर्म से विपरीत हो जाएगी।
वैसे वेदव्यास जी ने कहा है कि कलयुग सभी युगों से श्रेष्ठ है क्योंकि अन्य युगों में जो फल दस वर्ष के तप से मिलता है वही फल कलयुग में एक वर्ष के तप से मिल जाता है। यही नहीं नाम जाप से ही यहां फल मिल जाता है तुलसीदास कहते हैं -कलयुग केवल नाम अधारा। सुमिर सुमिर नर उतरहिं पारा।
हालांकि अभी कल्कि अवतार नहीं हुआ लेकिन देश में कल्कि भगवान की जयंती मनायी जाने लगी है और उनके कई मंदिर भी बन गये हैं जहां उनकी पूजा होती है।
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