Wednesday, May 6, 2009

शाबाश राहुल भैया ! सच कहने की हिम्मत तो की





आपके इस कथन कि शासक दल चाहे् वह भाजपा हो या कांग्रेस उसका दबाव सीबीआई पर रहता है से भले ही राजनीतिक हलकों में तूफान गया हो लेकिन इसने आपकी एक ईमानदार युवा नेता के रूप में छवि को और उजागर किया है। इससे आपने साबित कर दिया है कि आपका एक ही चेहरा है -ईमानदार, उत्साही और निष्ठावान युवा नेता का। आप जैसे दिखते हैं वैसे हैं और जैसा सोचते हैं वैसा बोलते हैं वरना आज नेता कई चेहरे लगा लेते हैं। एक चेहरा जो पांच साल बाद लोगों को नजर आता है। वोट मांगने आता है और जनता जनार्दन के सामने विनम्रता से झुका-झुका नजर आता है। इतनी आत्मीयता दिखाता है जैसे जनमों का नाता हो और उनके सारे दुख हर लेने के लिए भगवान ने उसे जनता के पास भेजा हो। वह वादे करता है,कसमें खाता है, दूसरे दल को बुरा और अपने को जनता का हितैषी बताता है। वही चेहरा जब दिल्ली की गद्दी पा जाता है तो रौब और रुतबे से ऐंठ जाता है। तब उसे आम आदमी की फिक्र नहीं रह जाती। फिक्र होती है तो अपनी कुर्सी बचाने, सुख -सुविधा बढ़ाने की। कम से कम आपका चेहरा तो स्वच्छ है और ऐसे राजनीतिक छल-छंद से अब तक अछूता है।
वापस आपके बयान पर आते हैं। झूठ पर झूठ बोलने वाले नेताओं के बीच सच को सच की तरह डंके की चोट पर कहने की आपकी हिम्मत काबिले तारीफ है।आपने अपने अंतस की बात सुनी और निष्ठा से डिगे नहीं और वही कहा जो एक ईमानदार आदमी को कहना चाहिए। अब इसका कांग्रेस पर कुछ भी असर पड़े आपकी छवि तो भारतीय जनता के बीच और उज्जल हुई। सीबीआई जैसी संस्थाएं स्वतंत्र रूप से काम नहीं कर पातीं, पुलिस प्रशासन पर भी सत्ता का दबाव रहता है यह संदेह तो जनता के मन में बरसों से उठता रहा है। इस तरह का संदेह करने की वजह भी अकसर मिलती ही रहती है। अब आपकी साफगोई ने तो यह साबित कर दिया कि सीबीआई सत्ता पक्ष के दबाव में काम करती है। एक राष्ट्रीय दल के जिम्मेदार नेता के मुंह से निकली इस बात के बाद तो संदेह यकीन में बदल गया है। देश के सच्चे नागरिक के रूप में आपने जो कहा सच कहा लेकिन आपने विरोधी दलों को ऐन चुनाव के मध्य ऐसा मुद्दा दे दिया जो वे आपके दल कांग्रेस और आपके गठबंधन यूपीए के खिलाफ ब्रह्मास्त्र के रूप में इस्तेमाल करेंगे। बल्कि उन्होंने तो करना भी शुरू कर दिया है। भाजपा नेता अरुण जेतली ने तो इसे आपका इकबालिया बयान ही कह डाला है। इकबालिया बयान का मतलब तो समझते ही होंगे आप। क्वात्रोक्की को क्लीनचिट देने का मामला एकदम ताजा है ऐसे में विरोधियों को सहूलियत और अपने दल व गठबंधन को मुश्किल देकर यह आपने क्या कर डाला राहुल बाबा!आपके इस बयान पर कांग्रेसियों को तरह-तरह से सफाई देनी पड़ रही है। आप निष्ठावान, ईमानदार पर भोले हैं। आज की राजनीति में चतुर-चालाक और घाघ होना जरूरी है। आपकी जगह अगर कोई घाघ कांग्रेसी नेता होता तो या तो सीबीआई से जुड़े सवाल पर सफाई से कन्नी काट जाता या फिर ऐसा गोलमटोल जवाब देता कि पूछने वाला भी सिर धुन लेता कि किससे क्या पूछ डाला।
आपने अपने बयान का जो पटाखा फोड़ा है उसको संभालने के लिए कांग्रेस के क्राइसेस मैनेजमेंट ग्रुप को पसीना बहाना पड़ रहा है।
वैसे माने न माने थोड़ा राजनीतिक चतुराई आपमें भी आने लगी है। परिणाम आयें इससे पहले आप ऐसे साथियों की तलाश में जुट गये हैं जिनके कंधे का सहारा ले यूपीए दिल्ली की मसनद में आरूढ़ हो सके। यह बात तो दिन के उजाले की तरह साफ हो गयी है कि किसी भी एक दल या गठबंधन को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलना और सत्ता की सीढ़ी चढ़ने के लिए हर किसी को कोई न कोई बैसाखी चाहिए ही होगी। आपने नीतीश की प्रशंसा की , चंद्रबाबू नायडू की भी सराहना की और वामदलों तक भी यह संदेश भेजने की कोशिश की कि आपको सरकार बनाने में उनकी भी मदद लेने में कोई गुरेज नहीं है। यह बात और ही है कि वामदल आज भी यूपीए और कांग्रेस से इतना बिदके हैं कि वे आपको मदद देने के लिए अभी तो तैयार नहीं। हो सकता है परिणाम आयें और जनता तीसरे,चौथे और न जाने कितने छिपे-अनछिपे मोर्चे हैं उनको खारिज कर दे तो फिर इन दलों को भाजपा को सत्ता में आने से रोकने के लिए यूपीए की सरकार बनाने में मदद करने के अलावा और कोई चारा नहीं होगा। नीतीश आपकी प्रशंसा से फूले नहीं समा रहे लेकिन वे भी अभी एनडीए का दामन छोड़ने के तैयार नहीं है। दरअसल परिणाम आने से पहले कोई अपने पत्ते या दिल खोलना नहीं चाहता कि कौन कहां है। आपने चारा फेंक दिया है अब देखना यह है कि कल वह क्या रंग दिखाता है।
आपकी एक बात के लिए प्रशंसा किये बगैर यह आलेख खत्म करना बेमानी होगी। आप जिस तरह से देश के युवाओं का संगठन बना रहे हैं, उनमें राजनीतिक चेतना जगा रहे हैं और देश को जानने-समझने के लिए ऐसी जगहों तक जाते हैं जहां आप जैसे दूसरे सुकुमार जाने से हिचकते हैं वह वाकई प्रशंसनीय और गर्व करने लायक है। गरीब-गुरबा के घर जाकर उनका रूखा-सूखा खाना खाना, उनके दुख-दर्द सुनना ये सारे गुण आपको अपने पिता राजीव और दादी इंदिरा गांधी का सच्चा उत्तराधिकारी साबित करते हैं। आपका हर भारतीय के दिल को जानने का यह महत अभियान सफल हो। छल-छंद से भरे बड़बोले और नाकारा नेताओं अलग और मानवहितैषी, देश कल्याणकारी हो आपकी छवि और कार्य। ईश्वर काजल की इस कोठरी (राजनीति)में आपको स्वच्छ, उज्जवल और हमेशा देश,देशवासी के कल्याण के कार्यों के लिए प्रेरित करते रहें। किसी पद किसी हैसियक का प्रलोभन आपको अपने इस अभियान से विचलित न करे यही कामना है। एक बार फिर आपकी स्पष्टवादिता को साधुवाद, धन्यवाद।
राजेश त्रिपाठी ( 6 मई 2009)

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