‘दिग्गी राजा’ जबान संभाल के !
दुश्मन देश के खिलाफ इस्तेमाल कर सकते हैं आपका गैरजिम्मेदाराना बयान
-राजेश त्रिपाठी
एक राजा का 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला कांग्रेस की नाक में दम किये ही हुए था कि एक दूसरे राजा ने उसकी मुसीबत और बढ़ा दी। ये हैं ‘दिग्गी राजा’ के नाम से पहचाने जाने वाले कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह। ‘दिग्गी राजा’ ने हाल ही एक बयान देकर न सिर्फ अपने दल कांग्रेस को विवादों के एक और दलदल में धकेल दिया है, बल्कि यह कहें कि देश को ही एक अजीब उलझन और मुश्किल में ला खड़ा किया है। 26-11-2008 का मुंबई हमला शायद अब तक का देश पर हुआ सबसे बड़ा आतंकवादी हमला है, जिसमें पड़ोसी देश पाकिस्तान का हाथ ही नहीं पूरा शरीर और दिमाग होने की बात साबित हो चुकी है। उसके नागरिकों के शामिल होने के पक्के सबूत तक मिल गये हैं। वहां के एक नागरिक अजमल कसाब के हाथों एटीएस चीफ हेमंत करकरे के मारे जाने के भी सबूत मिल चुके हैं और उसी के चलते कसाब जेल में है और उसको सुरक्षित सेल में रखने पर देश का करोड़ों रुपया जाया हो रहा है। अब ‘दिग्गी राजा’ ने शायद अपने दल को राजनीतिक फायदा दिलाने के लिए एक नया शिगूफा छोड़ा है कि हेमंत करकरे ने मृत्यु से कुछ घंटे पहले उनसे कहा था कि हिंदू उग्रवादियों से उन्हें अपनी जान का खतरा है। एक सार्वजनिक कार्यक्रम में ‘दिग्गी राजा’ ने यह बयान देकर सनसनी फैलाने की कोशिश की जिसने तमाम विवादों और संसद के गतिरोध से पस्तहाल कांग्रेस की दिक्कतें और बढ़ा दीं। कांग्रेस को पता था कि अपने एक जिम्मेदार नेता के गैरजिम्मेदाराना बयान पर अगर वह खामोश रही तो विपक्ष को उस पर पलट वार करने का और मौका मिल जायेगा। यही वजह है कि कांग्रेस के एक और महासचिव जनार्दन द्विवेदी तुरत यह बयान देने को मजबूर हो गये कि दिग्विजय के इस बयान से पार्टी का कुछ लेना-देना नहीं है। यह उनका व्यक्तिगत बयान है। इससे पार्टी का सहमत या असहमत होने का सवाल ही नहीं उठता क्योंकि यह दो व्यक्तियों के बीच की बात है जिनमें से एक हेमंत करकरे आज जीवित नहीं है। इस में पार्टी की कोई भूमिका नहीं। इस बयान पर टिप्पणी सिर्फ दिग्विजय ही कर सकते हैं।
एक जिम्मेदार पुलिस अधिकारी की शहादत पर सियासत की इस कोशिश को दिवंगत हेमंत करकरे की पत्नी कविता करकरे ने ‘दिग्गी राजा’ को आड़े हाथों लिया है और कहा है कि वे उनके पति की शहादत को लेकर वोट की राजनीति न करें।
‘दिग्गी राजा’ ने अपने बयान को और विस्तार देते हुए यह भी जोड़ा है कि दिवंगत हेमंत करकरे ने उनसे कहा था कि उन्हें धमकी भरे पत्र आ रहे हैं और उन्हें हिंदू उग्रवादी संगठनों से खतरा है जो मालेगांव विस्फोट में उनकी जांच के विरोधी हैं।
दिग्विजय के इस बयान पर कविता करकरे ने कहा है कि उनके दिवंगत पति और दिग्विजय सिंह के साथ कोई बात नहीं हुई। जहां तक धमकियों का सवाल है तो मालेगांव जांच के वक्त जिस तरह से हिंदू संगठनों की ओर से प्रतिक्रियाएं आयी थीं , उसी तरह से मुसलिम आरोपियों की जांच के वक्त उस समुदाय की प्रतिक्रियाएं भी आयी थीं जो स्वाभाविक है।
कविता ने कहा कि यह इशारा करना गलत होगा कि मुंबई हमले के पीछे हिंदू संगठनों का हाथ है। इससे लोग गुमराह होंगे और इसका सीधा फायदा पाकिस्तान को मिलेगा। राजनीतिक फायदे के लिए मेरे पति की शहादत का मजाक न उड़ाया जाये।
‘दिग्गी राजा’ आप जैसे वरिष्ठ, तपे-तपाये, समझदार राजनेता से इस तरह के शिगूफेनुमा बयान की उम्मीद नहीं थी। आपका क्या आपने उठायी जुबान और धर दी और उस धरने से कुछ विस्फोटक शब्द बाहर आये जिनसे पूरा देश भौंचक है। शायद हर देशभक्त जुबान पर यह सवाल है- यह आपने क्या कह डाला ‘दिग्गी राजा’? आप जानते हैं इस बयान के मायने? आपके इस बयान ने 26-11-2008 के मुंबई हमलों की हकीकत को बदलने का अक्षम्य गुनाह किया है। आपकी इस थ्योरी को पाकिस्तान भारत के खिलाफ इस्तेमाल कर सकता है। पाकिस्तान जो मुंबई हमलों में अपने नागरिकों के शामिल होने की बात तब तक पुरजोर तरीके से नकारता रहा है जब तक अमरीका ने उसे इस बात के लिए बाध्य नहीं किया कि वह यह माने की उसके नागरिक मुंबई के आतंकवादी हमले में शामिल थे। हालांकि इससे पहले भी पाकिस्तान को भारत ने सारे सबूत इन हमलों के सौंप दिये थे कि किस तरह से पाकिस्तान में बैठे मुंबई हमले के मास्टर माइंड पल-पल सैटेलाइट फोन से हमलावर आतंकवादियों को निर्देश दे रहे थे। अमरीका के अपने नागरिक इन हमलों में मारे गये थे इसलिए उसने इसमें दिलचस्पी ली और पाकिस्तान को भी घेरा। यह भारत का सौभाग्य है कि मुंबई में आतंकवादी हमले में शामिल अजमल कसाब को जिंदा पकड़ा जा सका वरना पाकिस्तान इन हमलों में अपने नागरिकों के शामिल होने की बात कताई नहीं मानता।
दिग्विजय सिंह जी माफ कीजिएगा पता नहीं क्यों आज के नेताओं में नैतिकता या गंभीरता नाम की कोई चीज रही ही नहीं। आप लोग आजकल वोट की राजनीति के लिए और सुर्खियों में रहने के लिए कुछ भी कर या कह सकते हैं फिर इससे भले ही आपका वह देश ही दांव पर क्यों न लग जाये जहां आपकी अपनी राजनीतिक बिसात बिछी है। आपके बयान के बाद पूरे देश में जिस तरह से आपकी आलोचना हो रही है, श्रीमती करकरे ने जिस तरह से आपके बयान को कोरी बकबास और राजनीतिक लाभ के लिए दिया गया बयान बताया है, उसमें आश्चर्य नहीं कि आप कल कह दें कि आपके बयान को तो़ड़-मरोड़ कर पेश किया गया है। यह आज के नेताओं का शगल हो गया है कि पहले भड़काऊ या ऊल-जलूल बयान देते हैं और फिर दूसरे दिन उससे मुकर जाते हैं। तमाम तरह की सफाई देते हैं कि उनके शब्दों का गलत अर्थ लगाया गया। आज तो इलेक्ट्रानिक मीडिया के चलते बाकायदा आडियो-वीडियो बाइट्स ली जा रही हैं ऐसे में बयानों से कन्नी काटना मुश्किल हो गया है फिर भी राजनेता यह हथकंडा भी अपनाते हैं।
‘दिग्गी राजा’ जब आपने जोश में आकर इतना बड़ा शिगूफा छोड़ा होगा तो आपको एहसास हुआ होगा कि आप कोई बड़ा तीर मारने जा रहे हैं लेकिन माफ कीजिएगा आपने देश की मुसीबतें और बढ़ा दी हैं। पाकिस्तान जो भारत को मानवाधिकार लंघन, मुसलिमों पर ज्यादती और न जाने कितने तरह के अपराधों के आरोपों को लेकर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अक्सर घेरता रहा है वह आपके बयान का इस्तेमाल अपने पक्ष में कर सकता है। आपके बयान ने तो मुंबई आतंकी हमले की थ्योरी और पृष्ठभूमि को भी शक के दायरे में ला खड़ा किया है। ताज्जुब नहीं कि कल को पाकिस्तान आपके इस ऊल-जलूल बयान की बांह थाम यह दावा करने लगे कि उसके मुंबई हमले में शामिल बताये जा रहे नागरिक (यहां तक कि कसाब भी ) निर्दोष हैं और यह सारा कुछ तो हिंदुस्तानी हिंदू उग्रवादियों का किया-धरा है। वह दावा कर सकता है कि एक जिम्मेदार हिंदुस्तानी कांग्रेसी नेता का बयान इसका सबूत है। ‘दिग्गी राजा’ क्या आपने कभी अपने बयान की इस परिणति के बारे में सोचा है?
आपके बयान से एक नहीं अनेक सवाल उठते हैं। पहली बात तो यह कि आप कैसे प्रमाणित करेंगे कि दिवंगत करकरे ने मरने से पहले आपसे यह बातें की हैं। यह याद रखिएगा कि उनकी पत्नी कविता करकरे ऐसी किसी भी बात से साफ इनकार कर रही हैं। दूसरी बात यह कि अगर किसी जिम्मेदार पुलिस अधिकारी ने आपसे यह कहा था कि हिंदू उग्रवादियों से उसकी जान को खतरा है तो फिर खामोश क्यों रहे। आपने उनकी यह आशंका उन जिम्मेदार मंत्रियों या नेताओं तक क्यों नहीं पहुंचायी जो उन्हें सुरक्षा प्रदान कर सकते थे? एक बात और आप इतने दिनों तक इतनी महत्वपूर्ण सूचना क्यों छिपाये रहे, अचानक आपके ज्ञानचक्षु क्यों खुल गये, इसके पीछे क्या है ‘दिग्गी राजा’? क्या किसी ने आपको ऐसा बयान देने को मजबूर किया? क्या आपको भी किसी का खौफ है? आप यह भी बताने की कृपा करें की अगर आपके बयान को सच भी मान लिया जाये कि ऐसा आपसे दिवंगत करकरे ने कहा होगा तब भी तर्क की कसौटी पर ये बातें कहीं से खरी नहीं उतरतीं। क्योंकि न तो आप उस समय गृहमंत्री थे और न ही ऐसे किसी पद पर थे कि आपसे कह कर करकरे कोई मदद पा सकते थे। उन्हें अगर कोई डर था तो वह सीधे गृह मंत्रालय या किसी और जिम्मेदार मंत्री या सत्ता के किसी व्यक्ति से संपर्क कर सकते थे। आपसे तो कुछ भी नहीं बन सका। अगर आपके पास इतनी महत्वपूर्ण सूचना थी तो फिर आप इसे छिपाये क्यों रहे? क्या मजबूरी थी?
‘दिग्गी राजा’ किसी भी राजनीतिक पद या स्वार्थ से देश बड़ा होता है। पहले देश की सोचिए फिर किसी और बात की। कारण अगर देश ही संकट में घिर जायेगा तो फिर कहां बिछेगी आपकी राजनीतिक बिसात? ईश्वर करे देश सही-सलामत रहे और दुश्मन आपके बयान को अपने हित में इस्तेमाल करने में कामयाब न हों। क्योंकि ऐसा हुआ तो सबसे पहली उंगली आपकी ओर ही उठेगी, कारण आपने शांत तालाब में पत्थर फेंक कर एक बेवक्त, वेवजह हलचल जो पैदा कर दी है। हलचल जो देश के किसी भी तरह हित में नहीं है और न ही यह आपके दल या आपके खुद के ही हित में है। आपके पहले अपने एक नेता के मुंबई हमलों से संबंधित बयान से कांग्रेस को पल्ला झाड़ना पड़ा था। यह बड़ा आसान काम है कि नेता गैरजिम्मेदाराना बयान दे और पार्टी उससे पल्ला झाड़ ले, कन्नी काट ले। आखिर उस नेता से यह क्यों नहीं पूछा जाता कि कार्यक्रम सार्वजनिक था तो फिर वहां राजनीतिक बयानबाजी क्यों की गयी? जो बयान दिया गया उसकी गंभीरता को क्यों नहीं समझा गया? ऐसे तमाम सवाल हैं जिनसे न सिर्फ ‘दिग्गी राजा’ बल्कि उनकी पार्टी भी इन दिनों घिर गयी है। 2 जी स्पेक्ट्रम में सरकार को बुरी तरह से घेरे विपक्ष को एक और ब्रहमास्त्र दिग्गी राजा ने दे दिया है जो जाहिर है उनके दल पर ही चलाया जायेगा। अब देखना है कि इस नयी मुसीबत से कांग्रेस कैसे उबरती है। ‘दिग्गी राजा’ ने अगर ऐसा बयान दिया है तो यह किसी भी तरह से प्रशंसा के काबिल नहीं है क्योंकि यह एक बहुत ही बड़ी त्रासदी पर भोंडा मजाक है। ‘दिग्गी राजा’ अगर अपने इस बयान के प्रति गंभीर हैं तो उन्हें इसके प्रमाण देने चाहिए या फिर शहादत पर सियासत करने की गलती पर शर्मशार होना चाहिए।
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