Wednesday, December 12, 2012

चला गया सुर का सरताज, महफिल सूनी उदास है आज



आज हमने सितार के सरताज पंडित रविशंकर खो दिया। पंडित रविशंकर भारतीय शास्त्रीय संगीत की एक किंवदंती थे। रवि का मतलब होता है सूर्य और आज भारत के संगीत का सूर्य जैसे अस्त हो गया है। पंडित जी ने भारत के शास्त्रीय संगीत को विश्व मंच पर जो सम्मान दिलाया, वह शायद ही कोई दूसरा कलाकार कर पाया होगा। विश्व पटल पर भारतीय संगीत को सम्मान दिलाने में उन्हें सफलता भी खूब मिली। उन्होंने नशे की गर्क में डूबे बीटल ग्रुप को भारतीय शास्त्रीय संगीत और आध्यात्म की ओर मोड़ा वह बेमिसाल है। बीटल समूह के जॉर्ज हैरिसन पंडित जी से बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने उनसे बाकायदा सितार सीखा। वे पंडित जी को  साष्टांग दंडवत प्रणाम करते थे और अक्सर कहा करते थे कि- इस व्यक्ति ने मेरी जिंदगी बदल दी।
. वह इतने ऊंचे और अद्वितीय कलाकार थे। उनकी ऊंचाई तक पहुंच पाना बहुत मुश्किल है। भारत में दूसरा रविशंकर नहीं होगा। वे अपनी मिसाल आप थे। वे एक तरह से भारतीय शास्त्रीय संगीत की विरासत के दूत थे जिन्होंने भारतीय और पाश्चात्य संगीत के समन्वयन या फ्यूजन का चमत्कार कर दिखाया और दुनिया को मोह लिया। उनके जाने से जो स्थान रिक्त हुआ है उसका भर पाना मुमकिन नहीं है।
          हम सर्वशक्तिमान से प्रार्थना करते हैं वह इस महान आत्मा को शांति और उनके अपनो और अपनो से भी बढ़ कर संगीतप्रेमियों को उनके वियोग का दुख सहने की शक्ति दें।-राजेश त्रिपाठी (पत्रकार), कोलकाता

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