Wednesday, September 18, 2013

क्या होगा इस देश का जहां राजनेता पालते हैं अपराधी!



 ऊपर वाले हाथ पूरा तंत्र चलाते हैं
राजेश त्रिपाठी
आज जिधर देखो अपराध, लूट, बलात्कार और अनाचार का बोलबाला है। आज से कुछ साल पहले तक भी गनीमत थी लेकिन अब लग यह रहा है कि इस देश पर अपराधियों का नियंत्रण हो गया है। वे जैसा चाहते हैं करते हैं और कुछ को छोड़ दें तो बहुतों का कोई बाल भी बांका नहीं कर पाता। वे अगर किसी जुर्म में अभियुक्त बनाये गये और जेल गये भी तो पहले दिन ही किसी ऊपर वाले का फोन उसे छुड़ाने के लिए पहुंच जाता है। अब उस फोन के बाद किस अधिकारी की हिम्मत कि उस व्यक्ति को सलाखों के पीछे बंद रख सके। वह अपराध करने के बाद भी सीना तान कर घूमता है इस तरह उसका हौसला बढ़ता जाता है और वह अपराध पर अपराध करता रहता है। उसे पता है कि वह कुछ भी करे उसका कोई कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता क्योंकि उस पर किसी बड़े या ऊपर वाले का वरदहस्त जो होता है। इस तरह से इस ऊपर वाले की अदृश्य या दृश्य शक्ति इन अपराधियों को पालती है, इन्हें आगे बढ़ाती है और अपनी दबंगई से पुलिस प्रशासन को पंगु करने का काम करती है। अगर ऐसा न हो तो अपराधियों को सजा मिले और वे अपने किये का फल भोगें लेकिन अपराध कर के भी
आजाद घूमने की जो सुविधा उनके राजनीतिक आका उन्हें दिलाते हैं उससे अपराध और हिंसा की देश में बाढ़ सी आ गयी है।
     हाल में उत्तर प्रदेश के दंगों के बारे में एक निजी टी वी चैनल ने जो स्टिंग आपरेशन किया है उसमें दिये गये दारोगा व अन्य  पुलिस अधिकारियों के बयान से यह साफ हो गया कि वहां का दंगा रोका जा सकता था। अगर वहां घटी घटना को पहले ही संभाल लिया जाता, अपराधियों को उनके किये का दंड़ मिल जाता और उन्हें छुड़वाने के लिए राजनीतिक दबाव न डाला जाता। इससे साफ होता है कि कई राजनेता बाहुबलियों या अपराधियों को पालते हैं ताकि वह उनके जरिए लोगों पर अपना रौब गालिब कर सकें। चुनाव के वक्त उनका इस्तेमाल अपने पक्ष में जनमत को जबरन मोड़ने के लिए करें। ये बाहुबली उनकी राजनीतिक हैसियत बढ़ाने का काम करते हैं। जिस नेता के इर्द-गिर्द जितने बाहुबली घूमते हैं, वह उतना ही पावरफुल माना जाता है। जनता उससे उतनी ही सहमी-डरी रहती है। इन बाहुबलियों या अपराधियों को ये नेता इसलिए बचाते रहते हैं क्योंकि यह उनके काम आते हैं। हमेशा दायें-बायें चलते हैं। सभी इनसे सहमे रहते हैं। आज राजनीति जिस तरह से छल-छंद के दलदल में डूब  गयी है, वैसी पहले नहीं थी। आज तो जीतने के लिए कोई भी किसी भी स्तर पर उतर सकता है। लोग तो हिंसा तक का सहारा लेने में भी संकोच नहीं करते। राजनेताओं का संरक्षण पा जिन अपराधियों का मनोबल बढ़ा हुआ है वे अपने को समाज का आका मानते हैं और बड़े से ब़ड़ा अपराध करने से हिचकते नहीं। उन्हें पता है कि उनका कुछ बिगड़ना नहीं है। पहले ऐसा माहौल नहीं था। पहले कानून और पुलिस का खौफ सबको था। पुराने लोग बताते हैं कि अंग्रेजों के शासन में लोग पुलिस से इतना डरते थे कि गांव या शहर में एक पुलिस घूम जाये तो लोग सहम जाते थे। आज तो अपराधी को पकड़ने गयी पुलिस को भी कभी-कभी अपराधियों का शिकार होना पड़ता है। यह सब इसलिए हुआ है कि अपराधियों को पुलिस प्रशासन का भय नहीं रहा। पुलिस प्रशासन को पंगु कर दिया गया है। पुलिस प्रशासन से जुड़े अधिकारी भी क्या करें। उनका प्रमोशन या ट्रांसफर भी तो इन्ही राजनेताओं की मेहरबानी पर आधारित है। इनकी बात न मानी तो या तो नौकरी जायेगी या किसी खतरनाख नक्सली क्षेत्र में ट्रांसफर हो जायेगा। इसके चलते इन सबको इनकी बात मानने को मजबूर होना पड़ता है।
     देश में बढ़ते भ्रष्टाचार और अनाचार को अगर बदलना है तो इन ऊपर वाले हाथों से बचना होगा। पुलिस प्रशासन को निर्भय और किसी भी तरह के दबाव से मुक्त करना होगा। अब यह सबसे बड़ा सवाल यह है कि य़ह भगीरथ प्रयास करेगा कौन। अगर कुछ सच्चे और ईमानदार नेताओं को छोड़ दें तो बाकी सभी कहीं न कहीं प्रशासन पर अपना रौब जमाते हैं। यह अनधिकृत कृत्य प्रशासन को लचर और नाकारा बना देता है। जिन्हें इस देश से प्यार है, जो यहां शांति और सुंदर प्रशासन देखना चाहते हैं उन्हें ही आगे आना होगा। वे निश्चय करें कि जो राजनेता अपराधियों को पालते हैं, उन्हें अनावश्यक प्रश्रय देते हैं उनका वह राजनीतिक और सामाजिक बहिष्कार करें। अगर वे राजनीति और समाज से अलग-थलग हो जायेंगे तो जी नहीं सकेंगे। जिसे एक बार राजनीति का नशा लग  गया वह इसके बगैर जी नहीं सकता। चुनाव आये तो उन राजनेताओं को एक भी वोट ने दें जो बाहुबला पालते हैं, अपराधिय़ों को प्रश्रय देते हैं या जनहित में काम कर रहे पुलिस प्रशासन के काम में बाधा डालते हैं। भारत आपका है और इसे बचाने, साफ-सुथरा रखने का दायित्व आपका ही है। इसे बचाइए। ईश्वर के लिए कुछ कीजिए। यह देश पूरी तरह अपराध, बलात्कार और हिंसा के दलदल में धंस जाये उससे पहले इसे उबारिए।

2 comments:

  1. आपके विचारों से पूर्ण सहमत है हम !!

    नई कड़ियाँ : सदाबहार अभिनेता देव आनंद

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  2. सुन्दर.अच्छी रचना.रुचिकर प्रस्तुति .; हार्दिक साधुवाद एवं सद्भावनाएँ
    कभी इधर भी पधारिये ,

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