धरा-गगन आजाद आज, आजाद हमारी वाणी।
इस आजादी के लिए दी थी वीरों ने कुरबानी।।
बहुत दुखद थी भारतमाता की परतंत्र कहानी।
जिसे स्वतंत्र कराने हित जूझे बहु बलिदानी।।
हम नतमस्तक हैं उनके जो लाये थे आजादी।
उन्हें नमन है देश हित उनने जान लुटा दी।।
गणतंत्र दिवस पर हम उनको भूल न जायें।
इस पावन पर्व की देते हैं शुभकामनाएं।।
जन-जन का दुख मिटे, सब पायें अधिकार।
समता,ममता को सरसाये ऐसी हो सरकार।।
छल, छद्म का अंत हो आये सुखद सवेरा।
भ्रष्टाचार मिटे अभी देश को जिसने घेरा।।
भारत हो सबसे आला, रहे न कोई क्लेश।
विश्वगुरु फिर बन जाये मेरा प्यारा देश।।
आओ मिल कर ले हम सब ये पवित्र संकल्प।
मानव सेवा ही श्रेयष्कर, इसका नहीं विकल्प।।
***आपने लिखा***मैंने पढ़ा***इसे सभी पढ़ें***इस लिये आप की ये रचना दिनांक 27/01/2014 को नयी पुरानी हलचल पर कुछ पंखतियों के साथ लिंक की जा रही है...आप भी आना औरों को भी बतलाना हलचल में सभी का स्वागत है।
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