Wednesday, October 21, 2020

प्रभु तुम याद आये

राजेश त्रिपाठी 
जब जब दुखों के साये मेरी जिंदगी मे आये। 
प्रभु तुम याद आये। 
प्रभु तुम याद आये। 
तेरा ही आसरा है कोई नहीं ठिकाना। 
दर और किसके जायें जालिम बड़ा जमाना।।
 दीनों के नाथ तुम हो दीनों से दीन हम हैं।
 हम पर ओ मेरे मालिक क्यों हो रहे सितम हैं।।
 तुम ही बताओ मालिक दुख किसको हम सुनायें।
 प्रभु तुम याद आये। 
छल, छद्म, जुल्मतों का आया है अब जमाना।
 भक्तों को तेरे दाता पड़ता है दुख उठाना।।
 उनका नहीं है कोई ना ठौर ना ठिकाना। 
मुश्किल में उनको हरदम आंसू पड़े बहाना।।
 तेरे बिना ओ मालिक उन्हें कौन अब बचाये। 
प्रभु तुम याद आये। 
अजामिल, गिद्ध, गणिका को तुमने तारा। 
 नंगे पांव दौड़े-धाये गज ने था जब पुकारा।।
 लाज रखी दुपदसुता की देकर उसे सहारा।
 भक्तों का हर दुश्मन प्रभु तुमसे सदा ही हारा।।
 राजेश है शरण में प्रभु और कहां जाये। प्रभु तुम याद आये।

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