Wednesday, October 21, 2020

घर में शंख रखने से होती है लक्ष्मी की प्राप्ति

 शंख से घर में आती है सकारात्मक ऊर्जा

शंख ध्वनि से नष्ट होते हैं रोगाणु

 

शंख को धर्मग्रंथों में विजय,सुख, और समृद्धि के साथ ही यश देने वाला भी कहा गया है | समुद्र मंथन के दौरान प्राप्त हुए 14 रत्नो में से एक रत्न शंख भी है। आपने देखा होगा की जब भी पूजा पाठ होते है तो शंख जरूर बजाये जाते है | अनेक लोग इसे सुख -सौभाग्य की वृद्धि के लिए आपने घर में स्थापित करते हैं शंख को इसलिए भी शुभ माना गया है क्योकि माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु दोनों ही आपने हाथों में धारण करते है। |

 

समुद्र मंथन के दौरान प्राप्त हुए 14 रत्नो में से एक दिव्य रत्न शंख भी है इसलिए शंख और उसकी ध्वनि  शुभदायी है | हिंदू घरों में पूजा और शुभ अवसरो पर शंख बजाने की प्रथा है।

 लोग शंख को सुख -सौभाग्य की वृद्धि के लिए भी आपने घर में स्थापित करते हैंशंख को इसलिए भी शुभ माना गया है क्योकि माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु दोनों ही आपने हाथों में धारण करते है। विष्णु पुराण में तो इसे लश्र्मी का भाई बताया गया है। शंख के कई प्रकार होते हैं। पूजा में अक्सर दक्षिणावर्ती शंख का प्रयोग किया जाता है।

शंख बजाने से फेफड़े को बल मिलता है क्योंकि इसे बजाने में हवा फूंकी जाती है जिससे फेफड़ों का व्यायाम होता है। हृदय को भी बल मिलता है। शंखध्वनि से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा  आती है। इससे प्रेत बाधा से मुक्ति मिलती है। शंख जहां होगा वहां लक्ष्मी का वास होता है।

 पूजा पाठ में शंख बजाने से वातावरण पवित्र होता है ,जहा तक इसकी आवाज जाती है,इसे सुनकर लोगो के मन में सकरात्मक विचार पैदा होता है | वास्तुशास्त्र के अनुसार शंख में ऐसे गुण होते है ,जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है

 

हकलाने वाले रोज शंखजल का पान करे ,तो उन्हें लाभ मिल सकता है

 

 

 



कुछ लोगों का मानना है की शंख की ध्वनि  जहाँ तक जाती है ,वहाँ तक के विषाणु  या तो नष्ट हो जाते है या फिर निष्क्रिय  हो जाते है |

 आइए अब जानते हैं शंख की चामत्कारिक शक्तियों के बारे में।

शिव को छोड़कर सभी देवताओं पर शंख से जल अर्पित किया जा सकता है।
शंख से वास्तुदोष दूर होता है साथ ही इससे आरोग्य की प्राप्ति होती है, लक्ष्मी प्राप्ति, पुत्र प्राप्ति, पितृ-दोष निवारण,शांति, विवाह आदि की रुकावट भी दूर होती है। इसके अलावा यह भी मान्यता है कि शंख से कई चामत्कारिक लाभ भी होते हैं।
 शंख के प्रमुख तीन प्रकार होते हैं:- दक्षिणावर्ती शंख, मध्यावर्ती शंख तथा वामावर्ती शंख। इनके अलावा भी कई प्रकार के शंख होते हैं।
  
 दक्षिणावर्ती शंख पुण्य के ही योग से प्राप्त होता है। यह शंख जिस घर में रहता है, वहां लक्ष्मी की वृद्धि होती है। इसका प्रयोग अर्घ्य आदि देने के लिए विशेषत: होता है।

* वामवर्ती शंख का पेट बाईं ओर खुला होता है। इसके बजाने के लिए एक छिद्र होता है। इसकी ध्वनि से रोगोत्पादक कीटाणु कमजोर पड़ जाते हैं।
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दक्षिणावर्ती शंख के प्रकार : दक्षिणावर्ती शंख दो प्रकार के होते हैं नर और मादा। जिसकी परत मोटी हो और भारी हो वह नर और जिसकी परत पतली हो और हल्का हो, वह मादा शंख होता है।

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दक्षिणावर्ती शंख पूजा : दक्षिणावर्ती शंख की स्थापना यज्ञोपवीत पर करनी चाहिए। शंख का पूजन केसर युक्त चंदन से करें। प्रतिदिन नित्य क्रिया से निवृत्त होकर शंख की धूप-दीप-नैवेद्य-पुष्प से पूजा करें और तुलसी दल चढ़ाएं।

प्रथम प्रहर में पूजन करने से मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। द्वितीय प्रहर में पूजन करने से धन- सम्पत्ति में वृद्धि होती है। तृतीय प्रहर में पूजन करने से यश व कीर्ति में वृद्धि होती है। चतुर्थ प्रहर में पूजन करने से संतान प्राप्ति होती है। प्रतिदिन पूजन के बाद 108 बार या श्रद्धा के अनुसार मंत्र का जप करें। महाभारत यौद्धाओं के पास शंख : महाभारत में लगभग सभी यौद्धाओं के पास शंख होते थे। उनमें से कुछ यौद्धाओं के पास तो चमत्कारिक शंख होते थे। जैसे भगवान कृष्ण के पास पाञ्चजन्य शंख था जिसकी ध्वनि कई किलोमीटर तक पहुंच जाती थी।

 शंख की ध्वनि को ॐ की ध्वनि के समकक्ष माना गया है। शंखनाद से आपके आसपास की नकारात्मक ऊर्जा का नाश तथा सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

मोती शंख को घर में स्थापित कर रोज 'ॐ श्री महालक्ष्मै नम:' 11 बार जाप कर 1-1 चावल का दाना शंख में भरते रहें। इस प्रकार 11 दिन तक प्रयोग करें। यह प्रयोग करने से आर्थिक परेशानी समाप्त हो जाती है।
 ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार  शंख को सूर्य व चंद्र के समान देवस्वरूप है जिसके मध्य में वरुण, पृष्ठ में ब्रह्मा तथा अग्र भाग में गंगा और सरस्वती नदियों का वास है।




शंख बजाने से चेहरे, श्वसन तंत्र, श्रवण तंत्र तथा फेफड़ों का व्यायाम होता है। शंख बजाने से स्मरण शक्ति बढ़ती है। शंख बजाने से मुख के तमाम रोगों का नाश होता है। गोरक्षा संहिता, विश्वामित्र संहिता, पुलस्त्य संहिता आदि ग्रंथों में दक्षिणावर्ती शंख को आयुर्वद्धक और समृद्धि दायक कहा गया है।

पेट में दर्द रहता हो, आंतों में सूजन हो अल्सर या घाव हो तो दक्षिणावर्ती शंख में रात में जल भरकर रख लें और सुबह उठ कर खाली पेट उस जल को पिया जाए तो पेट के रोग जल्दी समाप्त हो जाते हैं। नेत्र रोगों में भी यह लाभदायक है। यही नहीं इससे, कालसर्प योग से भी मुक्ति मिलती है।
  
निर्मल व चन्द्रमा की कांति के समान शंख को श्रेष्ठ माना गया है। अशुद्ध, टूटा हुआ शंख सही नहीं माना जाता।

शंख से वास्तु दोष भी मिटाया जा सकता है। शंख को किसी भी दिन लाकर पूजा स्थान पर पवित्र करके रख लें और प्रतिदिन शुभ मुहूर्त में इसकी धूप-दीप से पूजा की जाए तो घर में वास्तु दोष का प्रभाव कम हो जाता है। शंख में गाय का दूध रखकर इसका छिड़काव घर में किया जाए तो इससे भी सकारात्मक उर्जा का संचार होता है।

*गणेश शंख: इस शंख की आकृति भगवान श्रीगणेश की तरह ही होती है। यह शंख दरिद्रता नाशक और धन प्राप्ति का कारक है।

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अन्नपूर्णा शंख : अन्नपूर्णा शंख का उपयोग घर में सुख-शान्ति और  श्री समृद्धि के लिए अत्यन्त उपयोगी है। गृहस्थ जीवन यापन करने वालों को प्रतिदिन इसके दर्शन करने चाहिए।

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कामधेनु शंख : कामधेनु शंख का उपयोग तर्क शक्ति को और प्रबल करने के लिए किया जाता है। इस शंख की पूजा-अर्चना करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

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मोती शंख : इस शंख का उपयोग घर में सुख और शांति के लिए किया जाता है। मोती शंख हृदय रोग नाशक भी है। मोती शंख की स्थापना पूजा घर में सफेद कपड़े पर करें और प्रतिदिन पूजन करें, लाभ मिलेगा।

ऐरावत शंख : ऐरावत शंख का उपयोग मनचाही साधना सिद्ध को पूर्ण करने के लिए, शरीर की सही बनावट देने तथा  रूप रंग को और निखारने के लिए किया जाता है।  प्रतिदिन इस शंख में जल डाल कर उसे ग्रहण करना चाहिए। शंख में जल प्रतिदिन 24 - 28 घण्टे तक रहे और फिर उस जल को ग्रहण करें, तो चेहरा कांतिमय होने लगता है।

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विष्णु शंख : इस शंख का उपयोग लगातार प्रगति के लिए और असाध्य रोगों में शिथिलता के लिए किया जाता है। इसे घर में रखने भर से घर रोगमुक्त हो जाता है।

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पौण्ड्र शंख : पौण्ड्र शंख का उपयोग मनोबल बढ़ाने के लिए किया जाता है। इसका उपयोग विद्यार्थियों के लिए उत्तम है। इसे विद्यार्थियों को अध्ययन कक्ष में पूर्व की ओर रखना चाहिए।

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मणि पुष्पक शंख : मणि पुष्पक शंख की पूजा-अर्चना से यश कीर्ति, मान-सम्मान प्राप्त होता है। उच्च पद की प्राप्ति के लिए भी इसका पूजन उत्तम है।

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देवदत्त शंख  : इसका उपयोग दुर्भाग्य नाशक माना गया है। इस शंख का उपयोग न्याय क्षेत्र में विजय दिलवाता है। इस शंख को शक्ति का प्रतीक माना गया है। न्यायिक क्षेत्र से जुड़े लोग इसकी पूजा कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

पूजा-पाठ में शंख बजाने का चलन युगों-युगों से है. देश के कई भागों में लोग शंख को पूजाघर में रखते हैं और इसे नियम‍ित रूप से बजाते हैं. ऐसे में यह उत्सुकता एकदम स्वाभाविक है कि शंख केवल पूजा-अर्चना में ही उपयोगी है या इसका सीधे तौर पर कुछ लाभ भी है.

. ऐसी मान्यता है कि जिस घर में शंख होता है, वहां लक्ष्मी का वास होता है।

पूजा-पाठ में शंख बजाने से वातावरण पवित्र होता है. जहां तक इसकी आवाज जाती है, इसे सुन कर लोगों के मन में सकारात्मक विचार पैदा होते हैं. अच्छे विचारों का फल भी स्वाभाविक रूप से बेहतर ही होता है.

शंख के जल से श‍िव, लक्ष्मी आदि का अभि‍षेक करने से ईश्वर प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा प्राप्त होती है.

ब्रह्मवैवर्त पुराण में कहा गया है कि शंख में जल रखने और इसे छिड़कने से वातावरण शुद्ध होता है.

 वास्‍तु शास्‍त्र के अनुसार शंख नियमित रूप से बजाना सेहत के लिए बेहतर होता है। फिर चाहे छोटा शंख हो या फिर बड़ा। मान्‍यता है कि शंख बजाने से हृदय संबंधी बीमारियां नहीं होती। ..अगर किसी को हृदय संबंधी कोई परेशानी हो तो उसे बिना चिकित्सक की सलाह लिये शंख नहीं बजाना चाहिए।

 किसी को शिक्षा में बार-बार असफलता मिल रही है तो शंख जरूर रखना चाहिए। वास्‍तुशास्‍त्र के अनुसार ऐसे लोगों अपने घर में शिक्षण कक्ष में उत्‍तर-पूर्व दिशा में शंख रखना

अगर घर-परिवार में सदस्यों के बीच ल़ड़ाई, कलह या मनमुटाव रहता हो और वह किसी भी तरह से दूर ना हो रहा हो तो

 लिविंग रूम में शंख रखना चाहिए। शंख को दक्षिण-पश्चिम दिशा में ही रखना चाहिए। इससे सकारात्मक परिणाम होंगे।

 शंख वादन के अन्य लाभ भी हैं। इसे बजाने से सांस की बीमारियों से छुटकारा मिलता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से शंख बजाना विशेष लाभदायक है। शंख बजाने से पूरक, कुंभक और प्राणायाम एक ही साथ हो जाते हैं। पूरक सांस लेने, कुंभक सांस रोकने और रेचक सांस छोड़ने की प्रक्रिया घर में शंख वादन से घर के बाहर की आसुरी शक्तियां भीतर नहीं आ सकतीं।

अगर आपकी जन्मकुंडली में सूर्य नीचे भाव में है या सूर्य खराब फल प्रदान कर रहा है तो प्रत्येक रविवार दक्षिणावर्ती शंख में जल भरकर सूर्य को अर्ध्य दें।

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