राजेश त्रिपाठी
अगर किसी घर में परिवार का कोई ना कोई सदस्य बराबर बीमार रहता है या कि लाख मेहनत करने पर भी ना ज्यादा आय होती है ना ही पैसा घर में टिक पाता है तो एक बार गंभीरता से सोचें। कहीं आपके घर में वास्तु दोष तो नहीं। वास्तु का अर्थ है रहने की जगह या निवासस्थान। वास्तु के सिद्धांत वातावरण में जल, पृथ्वी, वायु, अग्नि और आकाश तत्वों के बीच तालमेल कायम करना है। जल, पृथ्वी, वायु, अग्नि और आकाश ये तत्व हमारे कार्य प्रदर्शन, स्वभाव, भाग्य व जीवन के अन्य पक्षों पर प्रभाव डालते हैं। कई बार जाने –अनजाने में घर में वास्तु दोष रह जाते हैं। वास्तु भारत की प्राचीन विद्या है। इसमें दिशाओं के आधार पर नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा में बदलने का विधान किया जाता है। ऐसा करके प्रतिकूल प्रभाव को अनुकूल में बदला जा सकता है। शास्त्र सम्मत विधि से निर्मित सुख, धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति कराता है। वास्तु एक प्राचीन विज्ञान है। हमारे ऋषि मनीषियो ने हमारे आसपास की सृष्टि मे व्याप्त अनिष्ट शक्तियो से हमारी रक्षा के उद्देश्य से इस विज्ञान का विकास किया। वास्तु का उद्भव स्थापत्य वेद से हुआ है, जो अथर्ववेद का अंग है। इस सृष्टि के साथ साथ मानव शरीर भी पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश से बना है और वास्तु शास्त्र के अनुसार यही तत्व जीवन तथा जगत को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक है। भवन निर्माण मे भूखंड और उसके आसपास के स्थानों का महत्व बहुत अहम होता है। भूखंड की शुभ-अशुभ दशा का अनुमान वास्तुविद् आसपास की चीजो को देखकर ही लगाते है। भूखंड की किस दिशा की ओर क्या है और उसका भूखंड पर कैसा प्रभाव पड़ेगा, इसकी जानकारी वास्तु शास्त्र के सिद्धांतो के अध्ययन विश्लेषण से ही मिल सकती है। इसके सिद्धांतो के अनुरूप निर्मित भवन मे रहने वालो के जीवन के सुखमय होने की संभावना प्रबल हो जाती है। ऐसे मकानों से नकारात्मक ऊर्जा दूर रहती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
कहां क्या दोष है यह जानना बहुत जरूरी है। यहां
कुछ ऐसे उदाहरण दिये जा रहे हैं जिससे यह पहचानना आसान होगा कि किसी घर में
वास्तुदोष है या नहीं।
ईशान अर्थ होता है ईश्वर। ईशान कोण उस स्थान को
कहते हैं जहां पूर्व और उत्तर दिशा मिलती है। घर का यह स्थान भगवान के मंदिर होना
चाहिए।इस कोण में जल भी होना चाहिए। ध्यान रहे, इस दिशा में रसोई घर बनाना या गैस
की टंकी रखना वास्तुदोष होगा।
अगर आपके घर में ऐसा वास्तु दोष है तो इसे
तुरंत दूर करना चाहिए। इस स्थान पर जल रखने से भी दोष मिट जाता है।
बाथरूम
अगर घर की पूर्व दिशा में हो तो वह शुभ माना जाता है। खाना बनाने वाला स्थान पूर्व
अग्निकोण (दक्षिण और पूर्व के मध्य का कोण) में होना चाहिए। भोजन करते समय कभी
दक्षिण की ओर मुपंह करके नहीं बैठना चाहिये।
परिवार के प्रमुख लोगों का शयन कक्ष नैऋत्य कोण
(दक्षिण और पश्चिम के बीच वाले कोण को नैऋत्य
कोण कहते हैं) में होना चाहिए। बच्चों को वायव्य कोण
(पश्चिम और उत्तर के बीच के कोण को उत्तर-पश्चिम या वायव्य कोण कहा जाता है )
में रखना ठीक होता है। सोते समय सिर उत्तर में, पैर
दक्षिण में नहीं करना चाहिए। अग्निकोण (दक्षिण और
पूर्व के मध्य का कोणीय स्थान आग्नेय कोण कहते हैं) में सोने से पति-पत्नी में अनबन, लडाई हो सकती है इसके अलावा बेकार
में धन व्यय भी हो सकता है। पश्चिम दिशा की ओर पैर रखकर सोने से आध्यात्मिक शक्ति
बढ़ती है। उत्तर की ओर पैर रखकर सोने से धन की वृद्धि होती है, उम्र बढ़ती है।
यहां वास्तु संबंधी कुछ जरूरी जानकारियां दी जा
रही हैं। इनका ध्यान अवश्य रखा जाना चाहिए।
*छत पर रखी टंकी के नीचे कभी भी शयन
कक्ष नहीं होना चाहिए। अगर ऐसा है तो टंकी रखने की जगह या फिर सोने का कमरा बदल
देना चाहिए।
* पलंग कुछ इस तरह रखा जाना चाहिए कि
सोते समय पैर दक्षिण की ओर ना रहें।.पैर उत्तर दिशा ओर सिर दक्षिण दिशा की ओर होना
चाहिए। यह स्थिति स्वास्थ्य के लिए अच्छी मानी जाती है।
* मुख्य द्वार के सामने टायलेट या शीशा
नहीं होना चाहिए।
* शीशा घर की पूर्व या उत्तर दिशा में ही
लगाना उचित होता है।
* घर जहां-तहां देवी-देवताओं के कैलेंडर, मूर्ति न लगाएं। इसके लिए उत्तर-पूर्व यानी ईशान कोण का स्थान सही
होता है। पूजा करते समय आपका मुंह उत्तर या पूर्व दिशा की ओर रहिना चाहिए।
* सीढ़ियों के नीचे भूलकर भी बेडरूम, स्टडी रूम, स्टोर, बाथरूम, किचन या पूजाघर नहीं बनाना चाहिए।
* घर
में झाड़ू छिपा कर रखना चाहिए और बीच-बीच में नमक मिलाकर पोंछा लगाएं.
* बंद पड़ी घड़ियां और खराब समान घर में
कभी भी न रखना चाहिए।
* भोजन
बनाते समय गाय और कुत्ते के लिए ग्रास अवश्श्य निकलना चाहिए।
* घर
से वास्तु दोष को दूर करने के लिए मुख्य प्रवेश द्वार पर स्वास्तिक का चिन्ह लगाना
चाहिए। कारण द्वार से ही सबसे पहले नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती हैं।
* मान्यता
है कि घर के प्रवेश द्वार पर घोड़े की नाल लगाने से भी वास्तु दोष दूर हो जाता है।
* जिस
घर में तुलसी का पौधा लगा हुआ होता है वहां कभी भी किसी तरह का वास्तुदोष नहीं
होता।
* घर
के पूजास्थल में नियमित घी का दीपक जलाने से नकारात्मक ऊर्जाएं घर के अंदर प्रवेश
नहीं करती।
* सुबह
पूजा के दौरान शंख बजान से नकारात्मक ऊर्जा घर से बाहर निकल जाती है।
*घर
के मंदिर में देवताओं की मूर्तिया या तस्वीरों को आमने-सामने नहीं रखना चाहिए।
*यदि मुख्य प्रवेश द्वार पर किसी प्रकार का दोष है तो उसे दूर करने के
लिए कौड़ी, शंख, सीप लाल कपड़े में या मौली में बांधकर दरवाजे पर लटका देना चाहिए।
*यदि रसोई घर गलत दिशा में है तो रसोईघर के अग्निकोण में एक लाल रंग
का बल्ब लगा देना चाहिए। इस बल्ब को सुबह-शाम जरूर जलाये।
* घर में वास्तुदोष हो तो घर में गूगल (यानी लुभान) का हवन करें दोष का प्रभाव
कम हो जाएगा।
* घर के पूजा स्थान के ईशान कोण में जल रखने घर में सात्विक विचार का
संचार होता है।
*घर के पूजा स्थान में यदि आप
अग्निकोण में दीप प्रज्वलित करते है तो धन-धान्य की वृद्धि होती है।
* यदि आपका सोफा पूरब की दीवार से सटा हुआ है तो उसे तुरत दीवार से कम
से कम पांच अंगुल दूर कर दें।
*घर में खाना खाने बैठने का स्थान
पश्चिम दिशा में बनाना चाहिए।
आपको
दिशाएं जानने में सुविधा हो इसलिए यहां उनका उल्लेख भी कर देते हैं।
-उत्तर और
पूर्व के बीच वाले कोण को उत्तर-पूर्व या ईशान कहते हैं।पूर्व और दक्षिण के बीच
वाले कोण को दक्षिण-पूर्व या आग्नेय कहते हैं, दक्षिण और पश्चिम के बीच वाले कोण को
दक्षिण-पश्चिम या नैऋत्य कहते हैं।उसी तरह पश्चिम और उत्तर के बीच के कोण को
उत्तर-पश्चिम या वायव्य कोणकहा जाता है और मध्य स्थान कोब्रह्रास्थान के रूप में
जाना गया है।
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