Wednesday, January 20, 2021

रावण ने सीता को सोने के महल में क्यों नहीं रखा


आप सभी यह जानते होंगे कि रावण ने किस तरह से राम और लक्ष्मण की अनुपस्थित का लाभ उठा कर सीता को पंचवटी से  हर लाया था। उसके इस पाप कर्म का सहयोगी उसका मामा मारीच बना था। मारीच सोने का मृग बन गया था जिसे देख सीता जी ने राम से कहा कि उन्हें यह मृग चाहिए जीवित या मृत। उन्होंने राम, लक्ष्मण दोनों से कहा था लेकिन सीता की रक्षा का भार छोड़ राम उस स्वर्णमयी माया मृग के पीछे दौड़ पड़े। वह मृग छल करता हुआ राम को बहुत दूर ले गया उसके कुछ देर बाद ही राम ने उस बाण से प्रहार कर दिया। मरते समय वह मायावी जोर से चिल्लाया-हा लक्ष्मण, हा लक्ष्मण। यह ध्वनि पंचवटी में सीता तक पहुंची तो वे व्याकुल हो गयीं। उन्होंने लक्ष्मण से कहा-तुम्हारे भैया पर संकट है तुम उनकी रक्षा के लिए शीघ्र जाओ। लक्ष्मण ने भाभी सीता को बहुत समझाया कि भैया राम पर कोई विपत्ति आ ही नहीं सकती। इस पर भी सीता नहीं मानीं और लक्ष्मण को भैया की खोज में जाना पड़ा। इधर पंचवटी से साधु वेष में आकर रावण सीता का हरण कर ले गया। 

रावण ने लंका ले जाकर सीता को अशोकवाटिका में रखा। प्रश्न यह उठता है कि सोने का इतना बड़ा महल होते हुए भी रावण ने सीता को अशोकवाटिका में क्यों रखा। हम यहां बता रहे हैं कि माता सीता को रावण के अशोकवाटिका में रखने का कारण क्या था। यह भी कि किसके श्राप के चलते रावण कभी सीता माता को स्पर्श करने का साहस नहीं कर पाया।  महान प्रतापी और बलवान लंकापति रावण यदि चाहता तो वह माता सीता को विवाह के लिए विवश कर सकता था अथवा अपनी बात मनवाने के लिए वह माता सीता को कष्ट दे सकता था । 

लेकिन रावण ने ऐसा कुछ नहीं किया, वह माता सीता की स्वीकृति की प्रतीक्षा करता रहा । क्या उसे कोई डर था या वह किसी वचन से बंधा हुआ था । इन सभी प्रश्नों के उत्तर देने का प्रयास हम कर रहे हैं। लंकापति रावण के स्वर्ण महल का निर्माण कुबेर द्वारा किया गया था । सोने का यह महल बहुत ही भव्य एवं विशाल तो था ही इसके साथ ही यह आकर्षक भी था । यदि एक बार कोई इस महल को देख लेता तो इसके आकर्षण से वह बस इसे ही देखता रहता था । परन्तु फिर भी रावण ने माता सीता को कैद करने के बाद लंका के किसी महल में रखने की जगह उन्हें वाटिका में रखा इसका मुख्य कारण था कुबेर के पुत्र नलकुबेर का श्राप। 

 रावण सदैव नलकुबेर के श्राप से भयभीत रहता है यही कारण था की वह माता सीता के समीप जाने से डरता था । एक बार रावण अपने विश्व विजय अभियान के लिए स्वर्ग गया वहां उसकी दृष्टि स्वर्ग की सबसे खूबसूरत अप्सरा रम्भा पर पड़ी । रावण उसकी खूबसूरती पर मोहित हो गया तथा उसे पकड़ लिया । तब रम्भा उसे समझाते हुए बोली की वह रावण के भाई के पुत्र नलकुबेर की पत्नी बनने वाली है । अतः वह रावण की पुत्रवधू है ।

परन्तु रावण ने रम्भा की बात अनसुनी कर दी और रम्भा को अपमानित कर उसके साथ दुर्व्यवहार किया । जब नलकुबेर को रावण की इस बात का पता चला तो वह क्रोध से भर गया । परन्तु क्योकि रावण पंडित होने के साथ ही साथ उसके पिता का भ्राता भी था इसलिए नलकुबेर ने रावण को यह श्राप दिया की भविष्य में जब भी कभी वह किसी स्त्री को उसकी इच्छा या स्वीकृति के बिना अपने महल में रखने का प्रयास करेगा तो वह अग्नि की ज्वाला में भष्म हो जाएगा । यही कारण था जिसकी वजह से रावण ने माता सीता को महल में ना रख कर अशोकवाटिका में रखा।

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