थोड़ी देर बाद मैंने पूछा-भाई
आप कहां से है।
आप गौरिहार से यहां क्यों और कैसे आये हैं।
उसका उत्तर था-हमारी नीलिमा भाभी गैरिहार की हैं उनकी मदद के लिए ही
उनके मायके वालों ने मुझे भेजा है।
मैंने कहा-अरे गौरिहार तो
मेरा ननिहाल है।
लड़के ने चौंक कर पूछा किस
परिवार में।
मेरा जवाब था-पाठक परिवार में। मेरे एक मामा का नाम प्यारेलाल पाठक
है।
यह सुनते ही वह लड़का चौंक कर
बोला-अरे यह तो हमारी नीलिमा भाभी का परिवार है।
No comments:
Post a Comment